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    Home»Jharkhand Top News»धनबाद भाजपा के सामने अग्निपरीक्षा
    Jharkhand Top News

    धनबाद भाजपा के सामने अग्निपरीक्षा

    azad sipahi deskBy azad sipahi deskJanuary 9, 2021No Comments9 Mins Read
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    देश की कोयला राजधानी धनबाद की सियासत की सूरत और सीरत बदल रही है। युवाओं और महिलाओं में राजनीतिक महत्वाकांक्षाएं बढ़ गयी हैं। कोयला खदानों एवं आउटसोर्सिंग कंपनियों में वर्चस्व की लड़ाई की परिभाषाएं बदल गयी हैं। राजनीतिक पार्टियों के सामने चुनौती नये आयाम लिखने की है। ऐसे में भाजपा के सामने धनबाद की सियासत में खुद को बनाये रखने की बड़ी चुनौती है और पार्टी के लिए अपने ही गढ़ में अग्निपरीक्षा का दौर शुरू हो गया है। प्रस्तुत है आजाद सिपाही के धनबाद ब्यूरो हेड मनोज मिश्र की खास रिपोर्ट।

    चाल, चरित्र और चेहरा की कसौटी पर खुद को कसनेवाली भाजपा के सामने झारखंड में चुनौतियों का अंबार खड़ा हो रहा है। कोरोना काल के दस महीनों के बीच धनबाद भाजपा के अंदर मची कलह ने पार्टी की सूरत को बिगाड़ दिया है। अनुशासित पार्टी अपने ही नेताओं के जुबानी तीरों से लहूलुहान है। नेताओं के बीच चल रहे इस शीतयुद्ध से पार्टी की फजीहत हो रही है। धनबाद भाजपा से कार्यकर्ताओं का पलायन भी शुरू है। दागी लोगों को पदाधिकारी बनाने को लेकर भी सक्रिय कार्यकर्ता नाराज हैं। गुटबाजी जैसे शब्दों का प्रयोग संगठन के वरीय कार्यकर्ता कर रहे हैं। दबे शब्दों में की जानेवाली आलोचनाएं सोशल मीडिया से लेकर हाट-बाजार तक चर्चा में हैं। इन सबके बीच पार्टी के अभिभावक सह स्थानीय सांसद पीएन सिंह पार्टीजनों की नाराजगी भी दूर कर रहे हैं। पिछले दो महीने से वह बेहद सक्रिय हैं। जन समस्याओं से लेकर संगठन की समस्याओं तक पैनी नजर वह रख रहे हैं और उनके समाधान में जुटे रहते हैं।
    इधर धनबाद भाजपा को कठिन चुनौती दी गयी। औकात पूछी गयी। कटाक्ष भी किया गया। मजाक भी बनाया गया। देखते ही देखते पार्टी की अंदरूनी कलह सतह पर आ गयी। सक्रिय कार्यकर्ता संगठन में उम्मीद के मुताबिक पद और दायित्व नहीं मिलने से नाराज हैं। दूसरी तरफ नवनियुक्त जिला पदाधिकारी, मंडल अध्यक्ष जोश के साथ संगठन की मजबूती को लेकर काम कर रहे हैं।
    फूट रहे कार्यकर्ताओं में विरोध के स्वर
    जिला भाजपा के सभी मंडल अध्यक्षों और जिला पदाधिकारियों की कमेटी घोषित होने के बाद से विरोधी का स्वर तेज हो गया है। कार्यकर्ताओं की उपेक्षा और रायशुमारी के इतर कमेटी और मंडल अध्यक्षों की घोषणा करने का खुलेआम आरोप लगाया जा रहा है। सबसे अधिक विरोध महानगर मंडल कमेटी, जिलाध्यक्ष और भाजयुमो जिलाध्यक्ष की हो रही है। विधायक राज सिन्हा निशाने पर हैं। अधिक विरोध श्रवण राय को महामंत्री बनाने को लेकर है। कार्यकर्ताओं का मानना है कि उन्हें विधायक के कहने पर ही महामंत्री बनाया गया है। श्रवण के विरोध की एक वजह यह भी है कि उन पर आपराधिक मामले में संलिप्त होने का आरोप है और दूसरा यह कि वह धनबाद विधानसभा क्षेत्र से बाहर के हैं। कभी विधायक के अत्यंत विश्वस्त रहे प्रभात रंजन सिन्हा ने पहले तो सोशल मीडिया पर ‘विनाश काले विपरीत बुद्धि’ जैसी टिप्पणी की, फिर लिखा कि यह राजतंत्र है क्या कि आप मनमानी करो और हम सवाल भी न पूछें। आज तो बधाई का दौर है, कल से तैयार रहना। उन्होंने आगे लिखा कि जिस नेता को कार्यकर्ताओं ने भारी बहुमत से जिताया, उसने वहां के कार्यकर्ता पर ज्यादा विश्वास किया, जहां पार्टी हार गयी। ऐसा क्यों हुआ, हम सबको सोचना पड़ेगा। उनका समर्थन करते हुए आरएसएस कार्यकर्ता रिकू शर्मा ने लिखा, जो अपने बूथ पर लीड नहीं कर पाता है, वह पद का हकदार और जो मेहनत करते हैं, उनकी अपने बूथ पर भी पूछ नहीं। समय निर्णय लेगा।
    पार्टी के वरिष्ठ कार्यकर्ता सुरेश कुमार महतो ने लिखा कि जो रायशुमारी में जीता, वह पैरवी में हारा। शायद अब दो लाख पार की जगह तीन लाख पार हो जाये, पर ग्रामीणों के बिना। सोशल मीडिया सेल में शामिल किये गये चुन्ना सिंह ने लिखा कि राजनीति में सीनियर और जूनियर, काबिलियत नहीं चलता है। क्या चलता है, आपको भी मालूम है। पार्टी कार्यकर्ता संतोष सिंह का कहना है कि बीजेपी में सब पैसा का खेल हो गया है। अरविंद बिहारी ने लिखा है कि बाकी लोग पार्टी का झंडा ढोते रहें और जयकारा लगाते रहें।
    इधर हाल ही में विधायक सरयू राय की पार्टी में शामिल हुए पूर्व विहिप नेता रमेश पांडेय का भाजपा में प्रवेश नहीं मिलने पर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। पांडेय समर्थक इस विवाद को ब्राह्मण बनाम राजपूत बना कर राजनीतिक बढ़त लेने की जुगत में लगे हैं। इस बीच दो दिन पहले मनइटांड़ महिला मोर्चा मंडल अध्यक्ष बॉबी पांडेय ने पार्टी पर महिलाओं की अनदेखी समेत कई आरोप लगाते हुए पद से इस्तीफा दे दिया। भाजपा के उपाध्यक्ष और सांसद प्रतिनिधि नितिन भट्ट समेत कई वरीय कार्यकर्ता भाजपा के आदेश के विपरीत हेमंत सरकार के एक साल पूरे होने के उपलक्ष्य में आयोजित जलसे में शामिल हुए। इसकी चर्चा जिला भर में है।
    किसी भी संगठन के लिए गुटबाजी अच्छी नहीं
    किसी भी संगठन के लिए गुटबाजी अच्छी नहीं होती। कभी-कभी गुटों में बंटे नेता पार्टी के लिए अभिशाप साबित हो जाते हैं। कुछ ऐसा ही इन दिनों धनबाद भाजपा में देखने को मिल रहा है। स्थिति बदल रही है। गुटबाजी का फायदा जेएमएम को मिलता दिखने लगा है। जेएमएम यहां अपनी पूरी ताकत झोंक रहा है और भाजपा के सक्रिय कार्यकर्ताओं एवं समर्थकों का धीरे-धीरे अपने पाले में करने की जुगत में है। हाल के दिनों में स्थानीय नेताओं की गुटबाजी से भाजपा में उपजी असहजता को जेएमएम फायदा उठा रहा है। झारखंड मुक्ति मोर्चा व्यावसायिक प्रकोष्ठ के केंद्रीय अध्यक्ष सह जीटा अध्यक्ष अमितेश सहाय अपनी कुशल रणनीति से अब जेएमएम संगठन में जान भरने में कामयाब हुए हैं।
    भाजपा में अनुशासन तार-तार
    लॉकडाउन और कोरोना जैसे संकट के समय से धनबाद के भाजपाई आपस में लड़ रहे हैं। यह लड़ाई अब सार्वजनिक भी हो गयी है। इस लड़ाई में छोटे-छोटे कार्यकर्ताओं की बजाय सांसद, विधायक और जिलाध्यक्ष शामिल हैं। इससे भाजपा की किरकिरी हो रही है। भाजपा में पदाधिकारी बनाने के सवाल पर भी घमासान है और कहा जा रहा है अभी तक सांसद का ही पलड़ा भारी दिख रहा। उनकी पसंद को ही ज्यादा तरजीह मिल रही है। जबकि इस बार विधायक राज सिन्हा, ढुल्लू महतो, पूर्व विधायक संजीव सिंह भी अपने खास समर्थकों को पद दिलाना चाहते थे। सभी को खुश करने के चक्कर में ही मामला बहुत दिनों तक पेंडिंग रहा। कई मंडल अध्यक्षों के नाम पर सांसद एवं विधायकों में विवाद बताया जा रहा है। अनुशासन का दंभ भरने वाली पार्टी में अनुशासन तार-तार हो रहा है। कोई किसी की बात सुनने को तैयार नहीं है। प्रदेश नेतृत्व ने चुप्पी साध रखी है। प्रदेश भाजपा की पैनी नजर जरूर बनी हुई है, लेकिन इस पर विराम देने की कोशिश सीधे तौर पर नहीं हो रही। इससे कार्यकर्ता नाखृश तो हैं ही, असमंजस की स्थिति में भी हैं। अनेकों कार्यकर्ताओं ने नाम नहीं छापने की शर्त पर कहा कि वरीय कार्यकर्ताओं की अनदेखी धनबाद भाजपा को मंहगी पड़ सकती है। संगठन में तमाल राय, मुकेश पांडे, अमरेश सिंह, अभिषेक सिंह समेत दर्जनों युवा कार्यकर्ता हैं. जिन्हें संगठन में बड़ी जिम्मेवारी दी जा सकती है। इससे संगठन को मजबूती मिलेगी। लेकिन इनकी पूरी तरह अनदेखी हो रही है। समर्पित कार्यकर्ताओं को सम्मान देने के बदले दरकिनार किया जा रहा। नितिन भट्ट, मुकेश पांडेय, संजय झा जैसे कार्यकर्ता जिलाध्यक्ष के प्रबल दावेदार थे, लेकिन इन्हें दरकिनार किया गया।
    दागी को पदाधिकारी बनाने पर भी सवाल
    हत्या और आर्म्स एक्ट के आरोपी श्रवण राय को भाजपा महानगर का महामंत्री बनाया गया है। होटल कारोबारी प्रदीप मंडल को कोषाध्यक्ष बनाया गया है। श्री मंडल के होटल में कई बार उत्पाद विभाग एवं पुलिस अवैध शराब को लेकर छापामारी कर चुकी है। इन दोनों के नाम पर धनबाद भाजपा में विरोध है। कहा जा रहा है कि श्रवण राय जिला भाजपा की राजनीति में कभी बहुत सक्रिय नहीं रहे। वर्ष 2004 में जोड़ापोखर थाना क्षेत्र में जंगी पासवान की हुई हत्या में श्रवण राय नामजद अभियुक्त बने और सुर्खियों में आये। उनकी सिंह मेंशन से कभी नहीं बनी। उन्हें महामंत्री बनाये जाने से रागिनी सिंह भी नाराज बतायी जाती हैं। झरिया के अनेक नेता, कार्यकर्ता उनका विरोध कर रहे हैं।
    इधर, भाजपा महानगर अध्यक्ष चंद्रशेखर सिंह, संजय झा, नितिन भट्ट, मानस प्रसून और मिल्टन पार्थसारथी, अमरेश सिंह, उमेश यादव, अखिलेश सिंह, अभिषेक पांडेय, बाबू जैना, स्वरूप राय, विशाल श्रीवास्तव, शशिकांत निराला आदि समेत अन्य वरीय कार्यकर्ताओं की मानें, तो सांसद पीएन सिंह पर आरोप गलत है। सांसद 41 वर्षों से निर्वाचित पदों पर रहे हैं। बीते लोकसभा चुनाव में भी लगभग पांच लाख मतों से जीते। अपनी राजनीति चमकाने के लिए कुछ लोग अनर्गल बयान दे रहे हैं।

    भाजपा को धनबाद से उखाड़ फेकेंगे: अमितेश
    झारखंड मुक्ति मोर्चा के व्यावसायिक प्रकोष्ठ के केंद्रीय अध्यक्ष सह झारखंड इंडस्ट्री एंड ट्रेड एसोसिएशन (जीटा) अध्यक्ष अमितेश सहाय का कहना है कि आने वाले दिनों में धनबाद जिला जेएमएम का गढ़ होगा। यहां से भाजपा की विदाई होगी। उन्होंने कहा, टुंडी विधानसभा क्षेत्र जेएमएम का है ही, आगामी चुनाव में सिंदरी और निरसा भी जीतेंगे। धनबाद, बाघमारा से भी भाजपा को उखाड़ फेकेंगे। साफ-सुथरे धनबाद की परिकल्पना मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की मंशा है।
    जेएमएम से टुंडी भी छीन लेंगे: पीएन सिंह
    धनबाद भाजपा सांसद पीएन सिंह ने कहा है कि जेएमएम वह सपना देख रहा, जो पूरा नहीं हो सकता। भाजपा दिनों-दिन मजबूत हो रही। ग्रामीण से लेकर शहरी महिलाओं तक में भाजपा ही भाजपा है। सिंदरी, धनबाद, निरसा, चंदनकियारी, बोकारो भाजपा का है ही, झरिया वापसी के साथ जेएमएम से टुंडी छीन लेंगे। उन्होंने कहा-इस बार ही टुंडी हम जीत जाते, लेकिन देर से प्रत्याशी की घोषणा के कारण भाजपा पिछड़ गयी, लेकिन 50 हजार से अधिक वोट भाजपा को मिले। कार्यकर्ताओं की नाराजगी पर उन्होंने कहा कि भाजपा ने जमीनी कार्यकर्ताओं को हमेशा मौका दिया है। पदाधिकारी के अलावा भी संगठन में अनेक जिम्मेवारियां हैं जिसे वरीय कार्यकर्ताओं को निर्वहन करना होता है। इसके लिए ही प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं। भाजपा की नीति, परंपरा, रणनीति से कार्यकर्ताओं को अवगत करा कर उनमें राष्टÑप्रेम, संगठन प्रेम की भावना भरी जाती है। परिवार में लोग रूठते जरूर हैं, लेकिन घर नहीं छोड़ते।

    Dhanbad fire test in front of BJP
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