राणा प्रताप सिंह
रांची। झारखंड हाइकोर्ट की पहल पर अंतरजातीय विवाह करनेवाले जोड़े को मिलाया गया। हाइकोर्ट ने बोकारो निवासी राजेश कुमार की ओर से दायर हैवियस कॉरपस याचिका पर सुनवाई करते हुए आदेश दिया कि युवक और युवती दोनों वयस्क हैं, दोनों पति-पत्नी हैं और वे साथ रहेंगे। दोनों बालिग हैं इसलिए किसके साथ वे रहेंगे, इस पर निर्णय लेने के लिए वे स्वतंत्र हैं।
कोर्ट ने एसपी बोकारो और नावाडीह थाना को निर्देश दिया कि वे पति राजेश कुमार तथा पत्नी चांदनी कुमारी को सुरक्षित लड़के (राजेश) के घर पहुंचायें। सुनवाई के दौरान हाइकोर्ट के न्यायमूर्ति एचसी मिश्र की अध्यक्षता वाली खंडपीठ के समक्ष लड़की चांदनी को उसके मां-बाप के घर से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से प्रस्तुत किया गया। इस दौरान चांदनी ने अपने मां-बाप के साथ रहने की बात कही। वहीं प्रार्थी राजेश ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से लड़की से बात कराने का आग्रह कोर्ट से किया। कोर्ट ने दोनों को हाइकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल के समक्ष उपस्थित होकर अपनी बात रखने का निर्देश दिया। यहां चांदनी ने स्वीकार किया कि उसने दवाब में मां-बाप के साथ रहने की बात कही थी। चांदनी और राजेश के बयान को आधार बनाते हुए रजिस्ट्रार जनरल ने एक रिपोर्ट तैयार की, जिसे कोर्ट के समक्ष रखा था। कोर्ट ने दोनों को अपनी अभिरक्षा में लेते हुए गेस्ट हाउस में रखने का निर्देश दिया। प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता योगेश मोदी ने पैरवी की। उन्होंने कोर्ट को बताया था कि अंतरजातीय विवाह करनेवाले प्रार्थी राजेश कुमार तुरी जाति से आते हैं और लड़की चांदनी महतो जाति की है। दोनों बालिग हैं और उन्होंने 20 जनवरी 2020 को शादी कर ली है। उन्होंने बताया कि दोनों ने बाद में कोर्ट मैरिज भी कर ली है।
लड़की के घरवालों को मंजूर नहीं थी शादी
लड़की के घरवाले को यह शादी मंजूर नहीं थी। इस कारण वे दोनों आंध्रप्रदेश चले गये। इस दौरान लड़की गर्भवती भी हो गयी थी, जिसके बाद अक्टूबर माह में दोनों वापस अपने गांव लौटे थे। लड़की के परिजनों ने जबरन लड़की को अपने घर में रख लिया था। प्रार्थी राजेश कुमार ने हाइकोर्ट में हैवियस कॉरपस दायर कर अपनी पत्नी को कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत करने की गुहार लगायी थी। 21 अक्तूबर 2020 को सुनवाई के दौरान राज्य सरकार के अधिवक्ता ने कोर्ट को सूचित किया था कि टेलीफोनिक बातचीत में लड़की ने बताया है कि वह अपने परिजनों के साथ खुश है।