किसान आंदोलन (Farmers Protest) को लेकर अब शिवसेना (Shivsena) भी सरकार पर हमलावर हो गई है. अपने मुखपत्र सामना (Saamna) में शिवसेना ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) सरकार और सुप्रीम कोर्ट दोनों पर निशाना साधा है. संपादकीय में दावा किया गया है कि सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय के कंधे पर रखकर बंदूक चलाई है. अखबार में लिखा गया है कि सरकार अदालत को आगे कर आंदोलन को खत्म करने की कोशिश कर रही है. खास बात है कि केंद्र और किसान पक्ष शुक्रवार को 9वीं बार आमने-सामने आ रहे हैं.
सामना में लिखा है, ‘सर्वोच्च न्यायालय ने तीन कृषि कानूनों (New Farm Laws) को स्थगनादेश दे दिया है. फिर भी किसान आंदोलन पर अड़े हुए हैं. अब सरकार की ओर से कहा जाएगा, ‘देखो, किसानों की अकड़, सर्वोच्च न्यायालय की बात भी नहीं मानते.’ सवाल सर्वोच्च न्यायालय के मान-सम्मान का नहीं है बल्कि देश की कृषि संबंधी नीति का है. किसानों की मांग है कि कृषि कानूनों को रद्द करो. निर्णय सरकार को लेना है. सरकार ने न्यायालय के कंधे पर बंदूक रखकर किसानों पर चलाई है लेकिन किसान हटने को तैयार नहीं हैं.’
इसके अलावा शिवसेना ने किसानों को चेताया भी है. उसने लिखा, ‘एक बार सिंघु बॉर्डर से किसान अगर अपने घर लौट गये तो सरकार कृषि कानून के स्थगन को हटाकर किसानों की नाकाबंदी कर डालेगी इसलिए जो कुछ होगा, वह अभी हो जाए.’ गौरतलब है कि अदालत ने तीनों नए कानूनों को लागू किए जाने पर फिलहाल रोक लगा दी है. वहीं, मामले के निपटारे के लिए 4 सदस्यीय समिति का गठन किया गया है. शिवसेना ने इस समिति में शामिल सदस्यों पर भी सवाल उठाए हैं. संपादकीय में लिखा गया कि चारों सदस्य कल तक कानूनों का समर्थन कर रहे थे.
शिवसेना ने आरोप लगाए हैं कि सरकार आंदोलन खत्म नहीं होने देना चाहती है. सामना में लिखा, ‘आंदोलनकारी सरकार की बात नहीं सुन रहे इसलिए उन्हें देशद्रोही, खालिस्तानवादी साबित करके क्या हासिल करने वाले हो? चीनी सैनिक हिंदुस्तान की सीमा में घुस आए हैं. उनके पीछे हटने की चर्चा शुरू है लेकिन किसान आंदोलनकारियों को खालिस्तान समर्थक बताकर उन्हें बदनाम किया जा रहा है. अगर इस आंदोलन में खालिस्तान समर्थक घुस आए हैं तो सरकार की असफलता है. सरकार इस आंदोलन को खत्म नहीं करवाना चाहती और इस आंदोलन पर देशद्रोह का रंग चढ़ाकर राजनीति करना चाहती है.’