रांची। नये साल के पहले दिन उलिहातू स्थित चर्च में विशेष मिस्सा अनुष्ठान का आयोजन किया गया। मुख्य अनुष्ठाता आर्च बिशप फेलिक्स ने नये वर्ष का संदेश दिया। अपने संदेश में उन्होंने कहा कि आज हम माता मरियम को ईश्वर की माता और हमारी माता के रूप में जय-जयकार कर रहे हैं। सन 431 में एफेसुस की महासभा ने मरियम को ईश्वर की माता के रूप में उद्घोषणा की थी। महासभा ने कहा कि मरियम ने यीशु को शारीरिक रूप से जन्म दिया। उस यीशु को जो गर्भ धारण के पहले क्षण ही अपनी ईश्वरता को बरककार रखते हुए एक सच्चा मनुष्य बना। बीस वर्षों के बाद चालसेदोन की महासभा ने इस धर्म मान्यता को पवित्र कैथोलिक कलीसिया की आपैरचारिक शिक्षा के रूप में पुष्टि की। मरियम ईश्वर की माता हैं और जब यीशु ने अपने चेलों को मरियम के हाथों में समर्पित किया तब यीशु ने सारी मानव जाति को उनके हाथों में समर्पित किया। भाइयों, प्रभु का शरीर धारण एक महान रहस्य है। उनसे मिलने के लिए सर्व प्रथम चरवाहा आये। चरवाहे उस समय सबसे निर्धन, लाचार और तिरस्कृत थे। बहुधा उन्हें खुले मैदान में तंबू गाड़कर या गुफाओं में रात बितानी पड़ती थी। मुक्तिदाता के जन्म के बाद दूत के संदेश को कितनी हद तक उन्होंने समझा यह नहीं बताया जा सकता है, लेकिन उन्होंने दूत के संदेश पर विश्वास किया और छोटे-मोटे उपहार लेकर उस नवजात मुक्तिदाता के दर्शन को चल पड़े। मुक्तिदाता का दर्शन कर उन्होंने आराधना की।
मरियम को ईश्वर की माता के रूप में स्वीकार करें
आज हम धन्य कुंवारी मरियम को ईश्वर की माता के रूप में स्वीकार करके, नया दिन और नया साल आरंभ कर रहे हैं। हम एक दूसरे को आशीर्वाद दें। ईश्वर आपलोगों को प्रसन्न रखें।

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