किरकिरी : भाजपा सांसद और विधायक के समक्ष ऐसा अमानवीय कृत कल्पना से भी परे

झारखंड एक बार फिर शर्मसार हुआ है और इस बार दुनिया की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी की धनबाद जिला इकाई के धरना कार्यक्रम में शामिल कुछ लंपट और उपद्रवी तत्वों ने इस वारदात को अंजाम दिया है। इन उपद्रवी तत्वों ने प्रधानमंत्री की सुरक्षा में हुई चूक के खिलाफ धरना कार्यक्रम के दौरान एक युवक के साथ जो व्यवहार किया, उससे भाजपा को राजनीतिक तौर पर बड़ा नुकसान उठाना होगा, क्योंकि पार्टी के नेता सिमडेगा में कुछ दिन पहले मॉब लिंचिंग का शिकार हुए युवक संजू प्रधान के लिए इंसाफ की मांग कर रहे हैं। अब इन नेताओं को सिमडेगा की घटना के खिलाफ आवाज उठाने का नैतिक अधिकार नहीं रह गया है, क्योंकि इसी पार्टी के कुछ लोग धनबाद में उसी मॉब लिंचिंग जैसी घटना को अंजाम दे चुके हैं।

वैसे भी झारखंड इस तरह की कट्टरता से अब तक अछूता रहा है और यहां हालांकि भीड़ हिंसा की वारदातें हुई हैं, फिर भी सामाजिक तौर पर सांप्रदायिक विभाजन अब तक नहीं हुआ है। झारखंड में गैर-भाजपा दलों की सरकार है। इस कारण यहां इस तरह की हरकत का गंभीर राजनीतिक मतलब निकाला जा रहा है और किसी भी कोण से धनबाद भाजपा के कार्यकर्ताओं का व्यवहार सकारात्मक असर नहीं डालेगा। भाजपा नेतृत्व को इस दिशा में विचार करने की जरूरत है और ऐसे तत्वों से पार्टी को दूर रखने की जिम्मेदारी भी उनकी है। यह काम जितनी जल्दी हो जाये, उतना ही बढ़िया होगा। धनबाद की घटना के आलोक में भाजपा में घुस आये ऐसे उपद्रवी और अवांछित तत्वों के कारण पार्टी की हो रही किरकिरी पर आजाद सिपाही के विशेष संवाददाता राहुल सिंह की खास रिपोर्ट।

वारदात के दौरान भाजपा के बड़े नेता धरनास्थल पर मौजूद थे

भारत के पौराणिक ग्रंथों में कहा गया है कि लोकप्रियता के शिखर पर पहुंचना आसान है, लेकिन वहां बने रहने के लिए कई तरह के त्याग करने होते हैं। खास कर राजनीति और लोक जीवन में तो अकसर ऐसा करना होता है, क्योंकि यहां अलग-अलग किस्म के लोगों से आपका सामना होता है। खुद को दुनिया की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी बतानेवाली भारतीय जनता पार्टी की धनबाद जिला इकाई के नेताओं और कार्यकर्ताओं को शायद यह सीख मालूम नहीं है। इसलिए तो उनमें बर्दाश्त करने की क्षमता एकदम नहीं है।

7 जनवरी को पार्टी के कुछ कार्यकर्ताओें-समर्थकों ने धनबाद में जिस घटना को अंजाम दिया, वह न केवल उन्हें, बल्कि पूरी पार्टी को शर्मसार करने के लिए काफी है। धनबाद भाजपा की ओर से पीएम मोदी की सुरक्षा में चूक के खिलाफ मौन धरना दिया जा रहा था। उसी दौरान उधर से एक युवक गुजरा, जिसने पीएम मोदी के खिलाफ कुछ अपमानजनक टिप्पणी कर दी। इससे धरना दे रहे भाजपाई इतने उग्र हो गये कि उन्होंने कानून को अपने हाथ में ले लिया, युवक की बुरी तरह पिटाई कर दी, उससे नारे लगवाये और थूक कर चाटने के लिए मजबूर किया। इस पूरी वारदात के दौरान भाजपा के बड़े नेता धरनास्थल पर मौजूद थे, लेकिन किसी ने भी अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं को रोकने की कोशिश नहीं की।

झारखंड में भाजपा की छवि को बड़ा नुकसान

मुट्ठी भर उपद्रवी कार्यकर्ताओं-समर्थकों की इस करतूत ने पूरे झारखंड में भाजपा की छवि को बड़ा नुकसान पहुंचाया है। झारखंड उन कुछ प्रदेशों में शुमार है, जहां भाजपा को अब तक अल्पसंख्यक विरोधी या कट्टरवादी नहीं समझा जाता है। झारखंड का सामाजिक ताना-बाना ऐसा है कि यहां लोगों का सांप्रदायिक लाइन पर विभाजन बहुत मुश्किल है। हालांकि यह सच है कि झारखंड में भीड़ हिंसा की कई घटनाएं हुई हैं, लेकिन उन घटनाओं का ठीकरा सीधे-सीधे भाजपा पर नहीं फूटा था।

इतना ही नहीं, अभी पिछले दिनों सिमडेगा में भीड़ हिंसा का शिकार बने एक युवक के लिए इंसाफ की मांग भाजपा नेता ही कर रहे हैं। ऐसे में धनबाद की घटना ने पार्टी की नीतियों को ही कटघरे में खड़ा कर दिया है। अब जब बाबूलाल मरांडी और रघुवर दास सरीखे नेता सिमडेगा के संजू प्रधान के लिए इंसाफ मांगेंगे, तब उन्हें धनबाद की घटना की याद दिलायी जायेगी और सफाई मांगी जायेगी। यह झारखंड की सत्ता में वापसी की भाजपा की कोशिशों में बड़ी बाधा बन सकती है।

समाज का धार्मिक आधार पर ध्रुवीकरण करना इतना आसान नहीं

2019 के विधानसभा चुनाव में भाजपा की पराजय का एक बड़ा कारण समाज के ध्रुवीकरण की कोशिश को बताया जाता है। रामगढ़ से लेकर खरसावां तक भीड़ हिंसा की जो वारदातें हुईं और उन पर भाजपा की प्रतिक्रिया ने वोटरों को भाजपा के प्रति असहज बना दिया था। पिछले दो साल में भाजपा ने पार्टी की इस छवि को सुधारने के लिए कई अभियान चलाये हैं और उसे इसमें सफलता भी मिली है। लेकिन धनबाद की घटना ने सारे किये-कराये पर पानी फेर दिया है। भाजपा को समझना होगा कि झारखंड के समाज का धार्मिक आधार पर ध्रुवीकरण करना इतना आसान नहीं है। यहां की संस्कृति और लोक जीवन का आधार ही धार्मिक एकता है। यह एकता जीवन के हर क्षेत्र में अकसर सामने आती है और झारखंड में अन्य राज्यों की अपेक्षा सांप्रदायिक टकराव जैसी घटनाएं कम होती हैं।

भाजपा नेतृत्व को संभल जाना चाहिए

अब भी वक्त है कि भाजपा नेतृत्व को संभल जाना चाहिए और उन्हें तत्काल डैमेज कंट्रोल में जुटना चाहिए। बाबूलाल मरांडी सरीखे प्रदेश भाजपा के ऐसे नेता, जिनकी पहचान ही उदार और विवादरहित नेता के रूप में है, को तत्काल आगे आकर धनबाद की घटना की भर्त्सना करनी चाहिए। साथ ही चाल-चरित्र-चेहरा वाली भाजपा के दामन पर लगे इस दाग को धोने के लिए उन तमाम नेताओं-कार्यकर्ताओं को किनारे करना चाहिए, जिनका इस घटना में हाथ है। यदि भाजपा ऐसा कर लेती है, तो उसे जो सियासी लाभ मिलेगा, उसका अंदाजा भी उसे नहीं है। सभी को पता है कि झारखंड में अभी भाजपा विपक्ष में है और इसलिए उसे बदनाम करने के लिए तमाम हथकंडे अपनाये जायेंगे।

भाजपा खुद का चेहरा पाक-साफ बनाये रखे, इसके लिए जरूरी है कि वह धनबाद जैसी विवादास्पद घटना से खुद को अलग कर ले। यदि ऐसा नहीं किया गया, तो झारखंड में अपने खोये जनाधार को हासिल करने की उसकी कोशिशों को करारा झटका लग सकता है। यह झटका कुछ मुट्ठी भर उपद्रवी तत्वों के कारण लगेगा, जो भाजपा निश्चित तौर पर सहन करना नहीं चाहेगी।

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