1932 खतियान: मुख्यमंत्री ने राज्यपाल रमेश बैस पर साधा निशाना
-वे लोग आज भी हमको बोका सोचते हैं, अब वही बोका लोग ठोकेगा
आजाद सिपाही संवाददाता
सरायकेला। राज्यपाल रमेश बैस ने स्थानीयता के लिए 1932 खतियान संबंधित विधेयक वापस कर दिया है। इसके बाद से राज्य में एक बार फिर सियासत तेज है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने राज्यपाल रमेश बैस पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा है कि जो राज्यपाल चाहेंगे वह नहीं, जो सरकार चाहेगी वही होगा। हमें आज भी लोग बोका सोचते हैं। अब यही बोका लोग ठोकेगा। मुख्यमंत्री सोमवार को सरायकेला में आयोजित खतियान जोहार यात्रा में बोल रहे थे।
जोहार यात्रा को लोगों का मिल रहा समर्थन:
मुख्यमंत्री ने सरायकेला में जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि हमने महीने भर से आधा दर्जन से अधिक जिलों में खतियानी जोहार यात्रा की। इस जोहार यात्रा में लोगों का पूरा साथ मिल रहा है। मैं जब आ रहा था, तो रास्ते में मैंने कई लोगों को देखा। इन लोगों के माथे पर अलग राज्य का इतिहास लिखा है। उनके चेहरे पर स्पष्ट दिखायी दे रहा है कि कितने लोगों ने बलिदान किया, कितना संघर्ष किया। आप हाथ में नहीं गिन सकते, इतने लोग शहीद हुए हैं।
आजादी से ज्यादा लंबा रहा है हमारा संघर्ष:
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि जब देश आजादी का सपना नहीं देखता था, उससे पहले से हमारे पूर्वज सपना देखते थे। मैं जैसे ही यहां से बाहर निकलूंगा तो पत्रकार साथी माइक मेरे मुंह में ठूस देंगे। यह कोई नयी बात नहीं है। इस राज्य के सोच के विपरीत यहां का राज्यपाल जा रहे हैं। ऐसा उन्हीं राज्यों में हो रहा है, जहां भाजपा की सरकार नहीं है। लेकिन हम कह देना चाहते हैं कि यह दिल्ली नहीं, अंडमान नहीं, यह झारखंड है। यहां वही होगा, जो सरकार चाहेगी, गवर्नर चाहेगा, वह नहीं होगा।
राज्य को पांच साल एक छत्तीसगढ़िया ने चलाया:
हेमंत सोरेन ने कहा कि इस राज्य को पांच साल राज्य के पहले मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी भी नहीं चला सके। फिर आये अर्जुन मुंडा तुर्रम खान, वह भी नहीं चला सके। इस राज्य को पहली बार पांच साल रघुबर दास ने चलाया, जो छत्तीसगढ़ के हैं। भाजपा के लोग झारखंड के खून पर भरोसा नहीं करते।
अब बोका लोग ठोकेगा:
मुख्यमंत्री ने कहा कि ये कहते हैं कि जो कानून बनाया है, वह नियमसंगत नहीं है। यह कितने दिन होगा, हमें कब तक यह लोग बोका सोचेगा। अब यही बोका लोग ठोकेगा। पेट में गमछा बांध कर आंदोलन होता था, उस समय भी उसे असंवैधानिक कहा जाता था। उस वक्त तो दिशोम गुरु को देखो और गोली मार दो का आदेश दे दिया था।
कई जंग जीते, आगे भी जीतेंगे:
हेमंत सोरेन ने कहा कि आदिवासी जब-जब अपनी आवाज उठायेगा, इन्हें पेट में दर्द होगा। कहा जा रहा है सरकार ऐसा विधेयक ना लाये, जिससे विवाद पैदा हो। यहां के मूल निवासियों को नौकरी देना, अधिकार देना गलत है क्या? इसे ये लोग असंवैधानिक कहते हैं। अभी यह शुरू हुई है, अभी लड़ाई जारी रहेगी। हमने कई जंग जीता है, आगे भी जंग जीतेंगे। उन्होंने कहा कि मैं जब यहां आ रहा था, तो आते-आते जानकारी ली कि सोनखंडी, काठीटांड़ जैसी कई जगह है। जरा पता करो, यहां पारा शिक्षक कहां से हैं, सब बाहरी हैं। हमारे बाल बच्चे यहां नहीं हैं। किस राज्य में अपने राज्य के लोगों के रोजगार के लिए कानून नहीं बना।
भारत सरकार कानून बनाये:
मुख्यमंत्री ने कहा कि मैं यहां से वापस लौट कर देखूंगा कि राज्यपाल ने क्या लिखा। मैं कह रहा हूं, सब राज्य का अधिकार है। सीएनटी-एसपीटी राज्य सरकार ने बनाया। आंदोलन ने केंद्र सरकार को मजबूर किया। हम भी वही करेंगे। हमने कहा कि भारत सरकार कानून बनाये। यह राज्य हमें छिन कर मिला है। मांगने से नहीं मिला।
हमारा बकाया है, उसे ना देना क्या संवैधानिक है:
हेमंत सोरेन ने मंच से कहा कि मैं पूछना चाहता हूं कि गरीबों को घर देने के लिए पैसे मांगें, तो केंद्र सरकार ने घर नहीं दिया, क्या ये संवैधानिक है। पूरे देश के मुख्यमंत्री कह रहे हैं कि जीएसटी के लिए नियम की अवधि नहीं बढ़ायी जा रही है। इससे राज्य को नुकसान हो रहा है, क्या यह संवैधानिक है। एक लाख 37 हजार करोड़ रुपया कोल और खनन कंपनी पर निकलता है। हमें पैसे नहीं मिल रहे, क्या यह संवैधानिक है। खनन कंपनियां हमारे कोल से मुनाफा कमा रही है और हम थर्ड और फोर्थ ग्रेड के लिए भीख मांग रहे हैं, यह संवैधानिक है? 40 साल लगे राज्य को अलग करने में। 20 साल लग गये राज्य में मूल वासी को पद पर बने रहने के लिए। यही लोग थे, जिन्होंने राज्य को बनाया।
मंत्रियों ने क्या कहा: इस सभा में स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता, परिवहन मंत्री चंपई सोरेन, सत्यानंद भोक्ता सहित कई विधायक और सरकारी अधिकारी मौजूद रहे। मंत्री और विधायकों ने एक सुर में कहा कि किसी भी हाल में 1932 आधारित स्थानीय नीति का फैसला टल नहीं सकता। सीएम दोबारा इसे राज्यपाल के पास भेजेंगे।