आजाद सिपाही संवाददाता
रांची। पारसनाथ को लेकर चल रहे विवाद के बीच जैन समुदाय लोगों का कहना है कि पारसनाथ पर्वत सबका है। हम स्वामित्व की के बात ही नहीं कर रहे हैं। हम आदिवासियों की भावना का भी कद्र करते हैं। मानते हैं कि आदिवासी समाज का भी यह मरांग बुरु है और हम लोगों का भी तीर्थ स्थल है। इसे पर्यटन क्षेत्र से मुक्त करने की मांग हमारी थी। लेकिन अब राजनीति हो रही है। अहिंसा वादी जैन समाज सिर्फ तीर्थ स्थल की स्वच्छता और सुरक्षा की मांग करता है।
जैन महिला जागृति मंच की कोषाध्यक्ष स्मिता जैन ने कहा, हमने पारसनाथ पर्वत पर कोई दावा नहीं किया है। हमने उसकी सुरक्षा व्यवस्था की मांग सरकार से की थी, क्योंकि हम शाकाहारी लोग हैं। हमारी मांग थी कि वहां मांस, मछली, जूते- चप्पल, मदिरा का उपयोग ना किया जाए। वहां आदिवासियों से कोई जंग नहीं है बल्कि हमसे ज्यादा उनकी आस्था वहां से जुड़ी है। हमें किसी भी प्रकार का लड़ाई – झगड़ा उनसे नहीं है। हम अहिंसा वादी लोग हैं। हम उनकी श्रद्धा का भी उतना ही कद्र है। वहीं समुदाय के अजय जैन ने कहा है कि अब इसमें राजनीति हो रही जैन है। हम स्वामित्व की बात ही नहीं कर रहे हैं। पारसनाथ पर्वत सबका है। सभी पारसनाथ भगवान के उपासक हैं। लेकिन अब हमें इस मुद्दे पर राजनीति दिख रही है। स्वामित्व की बात आ गयी है। हम इसे मानते हैं की आदिवासी समाज का भी यह मरांग बुरु है। आदिवासी समाज का पक्ष हम सही मानते हैं। हमारा पक्ष भी सही है। बस हमारा यही मांग है कि इसे पर्यटन क्षेत्र ना बनाएं। वहां स्वच्छता बरकरार रहे। मांस मदिरा का सेवन न हो।

 

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