लखनऊ । कई जगहों पर ‘आईएनडीआईए’ गठबंधन के घटक दलों में खटपट के कारण उप्र कांग्रेस में भी हलचल तेज हो गयी है। इससे कांग्रेस के संभावित उम्मीदवारों की धड़कनें भी बढ़ गयी है, क्योंकि समाजवादी पार्टी के साथ चुनाव लड़कर ही कांग्रेस कुछ सीटों को जीतने की उम्मीद कर रही है।

राजनीतिक विश्लेषकों की मानें यदि सपा-कांग्रेस का गठबंधन नहीं हुआ तो पिछली बार मात्र एक लोकसभा सीट पर विजय पाने वाली कांग्रेस इस बार शून्य पर भी जा सकती है।

इस संबंध में राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि समाजवादी पार्टी के साथ यदि कांग्रेस लड़े तभी प्रदेश में वह जिंदा रह सकती है, लेकिन कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के बीच बढ़े तकरार से इसकी उम्मीद कम दिखती है। इसका कारण है कि समाजवादी पार्टी अपने हिसाब से कांग्रेस को सीटें देना चाहती है, जबकि कांग्रेस राष्ट्रीय पार्टी होने के बल पर यहां 20 से 25 सीटें लेना चाहती है।

राजनीतिक विश्लेषक राजीव रंजन सिंह का कहना है कि कांग्रेस का अस्तित्व वर्तमान में उप्र से खत्म हो चुका है। अजय राय इसमें जान फूंकने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन भूत की स्थिति को देखकर ऐसा नहीं लगता कि अब उप्र में कांग्रेस अपने अस्तित्व को बचा पाएगी। पिछली बार प्रियंका गांधी वाड्रा बहुत सक्रिय रहीं। इसके बावजूद मात्र सोनिया गांधी ही अपनी सीट बचा पाईं।

सपा के साथ सीटों का बंटवारा न होने से कांग्रेस के संभावित उम्मीदवारों की भी धड़कनें बढ़ती जा रही है। यदि सीटों का बंटवारा जल्द नहीं हुआ तो कांग्रेस में भी भगदड़ की स्थिति हो सकती है, क्योंकि आजकल हर संभावित उम्मीदवार पहले अपनी सीट पक्की करना चाहता है।

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