कोलकाता। कलकत्ता हाईकोर्ट ने शुक्रवार को आर.जी. कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष की वह याचिका खारिज कर दी, जिसमें उन्होंने आरोप तय करने की प्रक्रिया शुरू होने से पहले अतिरिक्त समय की मांग की थी। यह मामला संस्थान में वित्तीय अनियमितताओं से जुड़ा हुआ है।
28 जनवरी को कलकत्ता हाईकोर्ट के न्यायाधीश तीर्थंकर घोष की एकलपीठ ने केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को छह फरवरी तक आरोप तय करने की प्रक्रिया पूरी करने का निर्देश दिया था, जिसके बाद मुकदमे की सुनवाई शुरू हो सकेगी। लेकिन शुक्रवार को संदीप घोष के वकील ने अदालत में एक याचिका दाखिल कर इस प्रक्रिया में और समय मांगा।
हालांकि, न्यायमूर्ति घोष ने इस याचिका को खारिज करते हुए कहा कि मामले की सुनवाई में पहले ही काफी देरी हो चुकी है। उन्होंने यह भी कहा कि सीबीआई ने पिछले साल नवंबर में आरोप पत्र दाखिल किया था, लेकिन इसके बावजूद सुनवाई शुरू नहीं हो सकी थी।
दरअसल, संदीप घोष के खिलाफ आरोप तय करने की प्रक्रिया पहले इसलिए शुरू नहीं हो पाई थी क्योंकि इसके लिए राज्य सरकार की अनापत्ति प्रमाणपत्र (एनओसी) जरूरी थी। बिना एनओसी के किसी भी सरकारी कर्मचारी पर मुकदमे की कार्यवाही नहीं हो सकती।
लेकिन 28 जनवरी को सीबीआई ने अदालत को बताया कि उन्हें अब राज्य सरकार से एनओसी मिल चुकी है। इसके बाद न्यायमूर्ति घोष ने सीबीआई को छह फरवरी तक आरोप तय करने की प्रक्रिया पूरी करने का निर्देश दिया।
इस मामले में सीबीआई के अलावा प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) भी अलग से मनी लॉन्ड्रिंग की जांच कर रहा है। सीबीआई ने हाईकोर्ट के आदेश के बाद जांच शुरू की थी, जबकि ईडी ने अपनी तरफ से ही प्रवर्तन मामला सूचना रिपोर्ट (ईसीआईआर) दर्ज कर इस घोटाले में धनशोधन की जांच शुरू कर दी।
सीबीआई ने इस मामले में कुल पांच लोगों को आरोपित बनाया है, जिनमें संदीप घोष, उनके सहायक और बॉडीगार्ड अफसर अली, निजी ठेकेदार बिप्लब सिन्हा और सुमन हाजरा तथा एक जूनियर डॉक्टर आशीष पांडे शामिल हैं। इन सभी को न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है।