नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुरुवार को भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महानायक नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 128वीं जयंती ‘पराक्रम दिवस’ पर कटक में आयोजित समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि विकसित भारत के संकल्प की सिद्धि के लिए नेताजी सुभाष के जीवन से हमें निरंतर प्रेरणा मिलती है। उन्होंने कहा कि नेताजी सुभाष कंफर्ट जोन के बंधन में नहीं बंधे इसी प्रकार हमें भी विकसित भारत के लिए अपना कंफर्ट जोन छोड़ना होगा।
प्रधानमंत्री ने कार्यक्रम के लिए जारी एक वीडियो संदेश में कहा कि आज जब हमारा देश विकसित भारत के संकल्प की सिद्धि में जुटा है, तब नेताजी सुभाष के जीवन से हमें निरंतर प्रेरणा मिलती है। नेताजी के जीवन का सबसे बड़ा लक्ष्य ‘आजाद हिंद’ था। उन्होंने अपने संकल्प की सिद्धि के लिए अपने फैसले को एक ही कसौटी पर परखा ‘आजाद हिंद’। नेताजी एक समृद्ध परिवार में जन्में। उन्होंने सिविल सर्विसेज की परीक्षा पास की। वो चाहते तो अंग्रेजी शासन में एक वरिष्ठ अधिकारी बनकर आराम की जिंदगी जीते लेकिन उन्होंने आजादी के लिए कष्टों को चुना, चुनौतियों को चुना, देश-विदेश में भटकना पसंद किया।
उन्होंने कहा कि नेताजी सुभाष कंफर्ट जोन के बंधन में नहीं बंधे। इसी तरह आज हम सभी को विकसित भारत के निर्माण के लिए अपने कंफर्ट जोन से बाहर निकलना है। हमें खुद को विश्व स्तर पर सर्वश्रेष्ठ बनाना है, उत्कृष्टता को चुनना ही है, क्षमता पर फोकस करना है। नेताजी ने देश की स्वतंत्रता के लिए आजाद हिंद फौज बनाई। इसमें देश के हर क्षेत्र, हर वर्ग के वीर-वीरांगनाएं शामिल थे। सबकी भाषाएं अलग-अलग थी, लेकिन भावना एक थी- देश की आजादी। यही एकजुटता आज विकसित भारत के लिए भी बहुत बड़ी सीख है। तब स्वराज के लिए हमें एक होना था, आज विकसित भारत के लिए हमें एक रहना है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आज नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती पर पूरा देश श्रद्धापूर्वक उन्हें याद कर रहा है। इस वर्ष के पराक्रम दिवस का भव्य उत्सव नेताजी की जन्मभूमि पर हो रहा है। कटक में नेताजी के जीवन से जुड़ी एक विशाल प्रदर्शनी भी लगाई गई है। इस प्रदर्शनी में नेताजी के जीवन से जुड़ी अनेक विरासतों को एक साथ सहेजा गया है। कई चित्रकारों ने कैनवास पर नेताजी के जीवन प्रसंग की तस्वीरें उकेरी हैं। इन सबके साथ नेताजी पर आधारित कई पुस्तकों को भी इकट्ठा किया गया है। नेताजी की जीवन यात्रा की ये सारी विरासत ‘मेरे युवा भारत’ को एक नई ऊर्जा देगी।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आज देश में विश्व में हर तरफ भारत की प्रगति के लिए अनुकूल माहौल है। दुनिया भारत की ओर देख रही है कि कैसे हम इस 21वीं सदी को भारत की शताब्दी बनाते हैं। ऐसे महत्वपूर्ण कालखंड में हमें नेताजी सुभाष की प्रेरणा से भारत की एकजुटता पर बल देना है। हमें उन लोगों से भी सतर्क रहना है जो देश को कमजोर करना चाहते हैं। देश की एकता को तोड़ना चाहते हैं। नेताजी सुभाष भारत की विरासत पर बहुत गर्व करते थे। वे अक्सर भारत के समृद्ध लोकतांत्रिक इतिहास की चर्चा करते थे। आज भारत गुलामी की मानसिकता के बाहर निकल रहा है। अपनी विरासत पर गर्व करते हुए विकास कर रहा है।
मोदी ने कहा कि उनका सौभाग्य है कि उन्हें आजाद हिंद सरकार की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर लाल किले से झंडा फहराने का अवसर मिला था। नेताजी की विरासत से प्रेरित होकर हमारी सरकार ने 2019 में दिल्ली के लाल किले में उन्हें समर्पित एक संग्रहालय का निर्माण किया। उसी वर्ष, हमने सुभाष चंद्र बोस आपदा प्रबंधन पुरस्कार भी शुरू किया। 2021 में सरकार ने नेताजी की जयंती को पराक्रम दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया। इंडिया गेट के समीप नेताजी की विशाल प्रतिमा लगाना, अंडमान में द्वीप का नाम नेताजी के नाम पर रखना, गणतंत्र दिवस की परेड में आईएनए के जवानों को नमन करना सरकार की इसी भावना का प्रतीक है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि बीते 10 वर्षों में देश ने यह भी दिखाया है कि तेज विकास से सामान्य जन का जीवन भी आसान होता है और सैन्य सामर्थ्य भी बढ़ता है। बीते दशक में 25 करोड़ भारतीयों को गरीबी से बाहर निकाला गया है। ये बहुत बड़ी सफलता है। आज गांव हो या शहर, हर तरफ आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण हो रहा है, साथ ही भारत की सेना की ताकत में भी अभूतपूर्व वृद्धि हुई है। उन्होंने कहा कि आज विश्व मंच पर भारत की भूमिका बढ़ रही है, भारत की आवाज बुलंद हो रही है। वो दिन दूर नहीं जब भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी आर्थिक ताकत बनेगा। हमें नेताजी सुभाष की प्रेरणा से ‘एक लक्ष्य-एक ध्येय’ विकसित भारत के लिए निरंतर काम करते रहना है।