— रास्ते अलग-अलग, लेकिन मंजिल सभी की एक–प्रेम, शांति और आत्मज्ञान— महाकुंभ का आध्यात्मिक संगम दे रहा धर्मों की गहराई और बहुलता का परिचय
महाकुम्भ नगर। गंगा, यमुना और अन्त: सलिला सरस्वती के संगम पर चल रहे महाकुम्भ में जल का ही नहीं, बल्कि धर्म, पंथ और आध्यात्मिक विचारधाराओं का भी अभूतपूर्व संगम देखने को मिल रहा है। यह आयोजन न केवल हिंदू धर्म के वैदिक मंत्रों और ऋचाओं का स्वर गुंजा रहा है, बल्कि भगवान बुद्ध के शांति संदेश, गुरु नानक की गुरबानी और संत कबीर के वचनों से भी वातावरण को आध्यात्मिक और विविधतापूर्ण बना रहा है।
महाकुंभ केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं है, यह भारतीय समाज की गहराई और बहुलता को एक मंच पर दिखाने का प्रयास है। यहां गुरबानी, बुद्ध के उपदेश और कबीर के वचन के माध्यम से मानवता, शांति और आध्यात्मिक जागरूकता का संदेश दिया जा रहा है। महाकुंभ का यह अनोखा संगम हमें सिखाता है कि भले ही रास्ते अलग-अलग हों, लेकिन मंजिल सभी की एक है– प्रेम, शांति और आत्मज्ञान।
निर्मल अखाड़ा: सुबह चार बजे से गूंज रही गुरबानी
महाकुम्भ के सेक्टर 19 स्थित निर्मल अखाड़ा में हर सुबह गुरबानी की गूंज श्रद्धालुओं को एक अलग आध्यात्मिक अनुभूति करा रही है। सुबह 4 बजे ‘इक ओंकार सतनाम करता पुरख…’ के साथ गुरबानी का पाठ शुरू होता है, जिससे हर कोना गूंज उठता है। सुबह 6 से 8 बजे कीर्तन के मधुर स्वर श्रद्धालुओं को एक आध्यात्मिक ऊर्जा से भर देते हैं। 8 से 9:30 बजे गुरु ग्रंथ साहिब का अखंड पाठ किया जाता है, जो हर व्यक्ति को ध्यान और आत्मविश्लेषण की ओर प्रेरित करता है। 9:30 से 11:30 बजे संतों के प्रवचन और कथा में सिख धर्म के दस गुरुओं के उपदेश श्रद्धालुओं को मानवीयता और सत्य के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देते हैं। निर्मल अखाड़ा में साधु-संतों और श्रद्धालुओं के बीच सिख धर्म की शिक्षाओं और गुरु नानक देव जी के विचारों को साझा करने का यह संगम महाकुंभ के विविधतापूर्ण धार्मिक परिवेश का उत्कृष्ट उदाहरण है।
बौद्ध संगम: भगवान बुद्ध के उपदेशों का आभास
सेक्टर 18 में स्थित हिमालय बौद्ध संरक्षण सभा और अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ के शिविरों में भगवान बुद्ध के उपदेश एक अद्वितीय शांति और आध्यात्मिकता का अनुभव करा रहे हैं। सुबह 6 बजे विपश्यना ध्यान की विशेष सत्र के साथ दिन की शुरुआत होती है। सुबह 7 से 9 बजे भगवान बुद्ध के उपदेशों का पाठ होता है। ‘सत्य ही सबसे बड़ा धर्म है’ और ‘भूतकाल व भविष्य की चिंताओं से मुक्त रहना’ जैसे संदेश जीवन में शांति और स्थिरता का मार्ग दिखा रहे हैं। सुबह 10 से शाम 4 बजे तक बौद्ध भिक्षु और लामा दूसरे शिविरों में जाकर अपने विचार साझा करते हैं। शाम 6 से 8 बजे विशेष पूजा सत्र में बुद्ध के जीवन और विचारों पर ध्यान केंद्रित किया जाता है। यह शिविर न केवल बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए बल्कि हर उस व्यक्ति के लिए खुला है, जो शांति और आध्यात्मिकता की तलाश में है।
कबीरपंथी शिविर: कबीर के वचन बता रहे जीवन के सत्य
महाकुम्भ में सेक्टर 22 स्थित संत श्रीअसंग देव धर्मार्थ ट्रस्ट के शिविर में कबीरपंथी संत असंगदेव की उपस्थिति श्रद्धालुओं को कबीर के अमर वचनों से रूबरू करा रही है। सुबह 5:30 बजे शिविर में घंटी बजाकर श्रद्धालुओं को जागने का संकेत दिया जाता है। सुबह 6 से 8 बजे ध्यान और पूजा-पाठ के बाद कबीर के विचारों का पाठ किया जाता है। दोपहर 2 से 5 बजे संगोष्ठी और कथा में कबीर के वचन सुनाए जाते हैं। संत असंगदेव ‘जब लग आश शरीर की…’ जैसे विचारों के माध्यम से आत्ममोह और सांसारिक बंधनों को छोड़ने की प्रेरणा दे रहे हैं। कबीर के दोहों और वचनों की गूंज जीवन के मूलभूत सत्य और आध्यात्मिक शुद्धता का एहसास कराती है। यह शिविर कबीर की सरल भाषा में छिपे गहरे संदेशों को समझने का एक अद्भुत मंच है।
धर्म, पंथ और समरसता का संगम
महाकुम्भ का यह अनोखा पक्ष जहां गुरबानी, बुद्ध के उपदेश और कबीर के वचन एक साथ गूंज रहे हैं, यह दर्शाता है कि भारतीय संस्कृति की जड़ें कितनी गहरी और व्यापक हैं। यहां हर धर्म और पंथ के विचारधाराओं का सम्मान और आदान-प्रदान हो रहा है। यह आयोजन न केवल धार्मिक अनुष्ठानों तक सीमित है, बल्कि यह विविधता में एकता का प्रतीक भी बन गया है।
श्रद्धालुओं के लिए अद्भुत अनुभव
यह धार्मिक संगम हर श्रद्धालु के लिए भावनात्मक और आध्यात्मिक यात्रा का अवसर है। यहां आकर लोग न केवल अपने ईष्ट की आराधना करते हैं, बल्कि अन्य धर्मों और पंथों की शिक्षाओं को भी आत्मसात करते हैं। यह महाकुंभ भारत की धार्मिक और सांस्कृतिक विविधता का सजीव उदाहरण है।
कबीर के दोहों में दुनियादारी की सीख
महाकुम्भ में कबीरपंथी संतों के प्रवचन और कबीर के दोहों का पाठ श्रद्धालुओं को जीवन की गहराइयों और व्यवहारिकता का पाठ सिखा रहा है। उनके दोहे दुनियादारी में संतुलन और सत्य के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देते हैं।
कबीर के विचार, जीवन की सादगी और सत्य
कबीर का दर्शन सिखाता है कि जीवन सादगी, ईमानदारी और आत्मचिंतन से संतुलित होता है। उनकी वाणी हमें सांसारिक मोह-माया से ऊपर उठकर एक संतुलित और शांतिपूर्ण जीवन जीने की प्रेरणा देती है। महाकुंभ के कबीरपंथी शिविरों में श्रद्धालु इन्हीं दोहों के माध्यम से दुनियादारी की गहरी सीख पा रहे हैं।