चीन ने पठानकोठ आतंकी हमले के मास्टरमाइंड एवं जैश-ए-मोहम्मद प्रमुख मसूद अजहर को संयुक्त राष्ट्र में वैश्विक आतंकवादी घोषित करने के अमेरिकी प्रस्ताव को रोकने के अपने फैसले का बचाव किया। चीन ने कहा कि इस संबंध में मापदंडों को पूरा नहीं किया गया था। अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित करने के प्रयास को चीन द्वारा तीसरी बार रोके जाने से संबंधित सवालों के जवाब में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लू कांग ने मीडिया से कहा कि बीजिंग ने यह कदम इसलिए उठाया ताकि संबद्ध पक्ष आम सहमति पर पहुंच सकें।
लू ने कहा, पिछले साल संरा सुरक्षा परिषद की 1,267 समिति ने मसूद को प्रतिबंध की सूची में डालने के मुददे पर चर्चा की थी।
लेकिन इस पर अलग-अलग किस्म के विचार सामने आए और अंत में कोई आम सहमति नहीं बनी। जैश-ए-मोहम्मद के प्रमुख मसूद अजहर को आतंकी घोषित करने के लिए पिछले साल भारत ने प्रयास किए थे लेकिन उस पर प्रतिबंध लगाने की कवायद इस बार इसलिए अहम है क्योंकि अब इसका दबाव अमेरिका बना रहा है।
चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लू कांग ने कहा कि मसूद अजहर के मुद्दे पर भारत-चीन संबंधों पर नकारात्मक असर नहीं पड़ेगा। इस आरोप पर कि चीन इस कदम को पाकिस्तान के कहने पर रोक रहा है, लू ने कहा, सुरक्षा परिषद में चीन द्वारा उठाया गया कदम और इसकी संबद्धताएं नियमों और प्रक्रियाओं के अनुरूप ही हैं। आपको बता दें कि अमेरिका द्वारा आगे बढ़ाए गए इस प्रस्ताव पर चीन ने रोक लगा रखी है। इससे कुछ ही हफ्तों पहले गत दिसंबर माह में भारत ने अजहर को संरा की प्रतिबंध की सूची में शामिल करवाने की कोशिश की थी जिस पर बीजिंग ने पानी फेर दिया था। जिसके बाद भारत ने इस मुददे को चीन की सरकार के समझ उठाया था।
मसूद पर बैन के लिए राजी अमेरिका
अमेरिका ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के दो अन्य स्थायी सदस्यों ब्रिटेन और फ्रांस के समर्थन से संरा की प्रतिबंधों से जुड़ी समिति 1267 को अहजर को आतंकी घोषित करने का प्रस्ताव पिछले महीने ही भेजा था। इस प्रस्ताव को वॉशिंगटन और नई दिल्ली से चर्चा के बाद अंतिम रूप दिया गया था। इसमें कहा गया था कि जैश-ए-मोहम्मद प्रतिबंधित आतंकी संगठन हैं इसलिए इसके नेता दंड से नहीं बच सकते।