चेन्नई : तमिलनाडु में मुख्यमंत्री पद को लेकर इस समय मुख्यमंत्री पद को लेकर घमासान मचा हुआ है. अन्नाद्रमुक (एआईडीएमके) की महासचिव वीके शशिकला ने मुख्यमंत्री पद की कुर्सी पाने की पूरी तैयारी कर ली है, लेकिन राजनीतिक विरोध और सुप्रीम कोर्ट में चल रहे आय से अधिक संपत्ति रखने के मामले में अगले सप्ताह आने वाले फैसले की वजह से उन्हें इस कुर्सी पर आसीन होना आसान नहीं है. ऐसे में एक अहम सवाल पैदा होता है कि अगर सुप्रीम कोर्ट की ओर से आय से अधिक संपत्ति रखने के मामले में दोषी करार दिये जाने के बाद मुख्यमंत्री नहीं बनती हैं, तो क्या इसके बाद भी पार्टी में उनकी पकड़ मजबूत रह पायेगी?
मीडिया में आ रही खबरों ने अनुसार, पूर्व मुख्यमंत्री जे जयललिता के निधन के बाद मंगलवार को वीके शशिकला को राज्य के नये मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ग्रहण कराना था.
इस बीच खबर यह भी आयी कि राज्यपाल विद्यासागर ने मद्रास यूनिवर्सिटी में होने वाले शपथ ग्रहण कार्यक्रम को रद्द कर मुंबई वापस लौट गये. अब बताया जा रहा है कि मुख्यमंत्री शपथ ग्रहण समारोह अब गुरुवार नौ फरवरी को आयोजित किया जायेगा.
भावी सरकार के स्थायित्व को लेकर चिंता
सूत्रों के हवाले से दी जा रही खबरों में यह कयास लगाया जा रहा है कि सूबे के राज्यपाल विद्यासागर को नयी सरकार के स्थायित्व को लेकर चिंता अधिक है. इसके पीछे अहम कारण वीके शशिकला पर आय से अधिक संपत्ति रखने के मामले में सुप्रीम कोर्ट में चल रहा केस बताया जा रहा है. बताया यह भी जा रहा है कि आय से अधिक संपत्ति रखने के मामले में सुप्रीम कोर्ट से अगले सप्ताह फैसला आने वाला है. अब अगर शशिकला गुरुवार को मुख्यमंत्री के पद का शपथ ले लेती हैं और इसके बाद उन्हें सुप्रीम कोर्ट से आय से अधिक संपत्ति रखने के मामले में दोषी ठहरा दिया जाता है, तो राज्य में एक बार फिर राजनीतिक अस्थिरता आ जायेगी. ऐसे में, पार्टी के लिए फिर मुख्यमंत्री के लिए नये चेहरे का चयन करना और फिर विरोध के सुर के मुखर होने से राजनीतिक और प्रशासनिक संतुलन गड़बड़ा सकता है.
राज्यपाल विद्यासागर ने अटॉर्नी जनरल से मांगी राय
बताया यह भी जा रहा है कि वीके शशिकला के मुख्यमंत्री बनाये जाने के बाद सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पड़ने वाले असर को लेकर राज्यपाल विद्यासागर ने अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी से सलाह भी मांगी है. फिलहाल, कयास यह लगाया जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट की ओर से दोषी ठहराये जाने की स्थिति में शशिकला को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना होगा और फिर वह चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य भी ठहरा दी जा सकती हैं.
इधर, हो रहा राजनीतिक विरोध
वीके शशिकला को तमिलनाडु का मुख्यमंत्री बनाये जाने को लेकर पार्टी में ही विरोध के सुर बुलंदी के साथ मुखर भी होने लगे हैं. इसके विरोध में पार्टी के कई नेताओं ने अपनी आवाज को बुलंद करना शुरू कर दिया है. अन्ना द्रमुक के वरिष्ठ नेता और तमिलनाडु विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष पीएच पांडियन ने पार्टी की ओर से शशिकला को मुख्यमंत्री बनाये जाने को लेकर कड़ा ऐतराज जाहिर किया है. उन्होंने शशिकला का विरोध करते हुए साफ तौर पर कहा है कि वह पार्टी प्रमुख अथवा राज्य के मुख्यमंत्री बनने के काबिल ही नहीं हैं. उन्होंने आरोप लगाया है कि जयललिता की मौत के करीब 20 दिन के भीतर पार्टी के नेताओं की ओर से शशिकला को पार्टी प्रमुख बनाने के लिए कहलवाया गया है. उन्होंने यह आरोप भी लगाया है कि यह पार्टी के नियमों के खिलाफ है और महासचिव का चुनाव पार्टी का कार्यकर्ता ही कर सकता है.
जयललिता के मौत पर उठाये जा रहे सवाल
विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष और अन्ना द्रमुक के नेता पीएच पांडियन राज्य की पूर्व मुख्यमंत्री जे जयललिता की मौत पर भी सवाल खड़े कर रहे हैं. उन्होंने उनकी मौत पर संदेह जाहिर करते हुए दावा किया है कि जयललिता की मौत स्वाभाविक तरीके से नहीं हुई है. उन्होंने मंगलवार को एक प्रेसवार्ता के दौरान खुलासा करते हुए कहा है कि मुझे पता चला है कि जया कुंठाग्रस्त थीं और पोएस गार्डेन में उनकी किसी से बहस हुई थी. इस बहस के समय ही उन्हें किसी ने धक्का भी दिया था, जिसके बाद वह गिर गयी थीं. किसी को संदेह न होने देने के लिए उन्हें अस्पताल ले जाया गया था.