नई दिल्ली: महाराष्ट्र निकाय चुनावों के नतीजे आने के बाद इस्तीफों का सिलसिला शुरू हो गया. महाराष्ट्र सरकार में मंत्री पंकजा मुंडे ने अपने संसदीय क्षेत्र बीड जिले में स्थानीय निकाय चुनाव में भाजपा के खराब प्रदर्शन के बाद राज्य की देवेंद्र फडणवीस नीत सरकार से इस्तीफे की आज पेशकश की. हालांकि सीएम देवेंद्र फडणवीस ने उनका इस्तीफा नामंजूर कर दिया.
हालांकि इससे पहले भाजपा प्रदेश अध्यक्ष रावसाहेब दानवे ने इस मामले को कमतर करने का प्रयास किया. दानवे ने कहा, ‘मेरी पंकजा मुंडे से बात हुई. जीत हम पर कभी भी हावी नहीं होती और हम कभी भी हार से दुखी नहीं होते. हम उनके रूख (इस्तीफे) पर निर्णय करेंगे’.
उन्होंने कहा, ‘मुझे निजी तौर पर उनके इस्तीफे के पीछे कोई उपयुक्त कारण नहीं दिखता. मुझे लगता है कि उनके इस्तीफे से मुद्दों का समाधान नहीं होगा’. उन्होंने कहा, ‘वह एक वरिष्ठ नेता और हमारी कोर टीम का हिस्सा हैं. वह जिला परिषद परिणामों से उदास हैं और हम उनकी चिंताओं का आपसी सलाह से हल निकालने का प्रयास करेंगे’. भाजपा नेता ने पार्टी में अंदरूनी खींचतान की खबरों को भी खारिज कर दिया.
उन्होंने कहा, ‘भाजपा में कोई अंदरूनी खींचतान नहीं है. हम सब साथ काम कर रहे हैं. उनके इस्तीफे का भाजपा से और उनकी निराशा से कोई लेना-देना नहीं है. मैंने पहले ही कहा है कि भाजपा (राज्य में) नंबर एक पार्टी होगी’.
निकाय चुनाव नतीजो में परली की सभी 6 सीटें एनसीपी ने जीत ली है. इससे पहले के निगम चुनाव में 6 में से 5 बीजेपी के खाते में आई थी. बीड जिले में परली एक म्यूनिसिपल काउंसिल है.
पंकज मुंडे महाराष्ट्र सरकार में ग्रामीण विकास, महिला एवं बाल कल्याण मंत्री हैं. वह पूर्व केंद्रीय मंत्री गोपीनाथ मुंडे की बेटी हैं. दिवंगत बीजेपी नेता गोपीनाथ मुंडे की महाराष्ट्र की राजनीति में अच्छी पकड़ थी.
इससे पहले भी उनके इलाके पार्ली नगर परिषद के नतीजों में बीजेपी का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा था. उनको उनके चचेरे भाई और राकांपा नेता धनंजय मुंडे ने पीछे छोड़ दिया था. विधानपरिषद में विपक्ष के नेता धनंजय के समर्थन वाले पैनल ने पार्ली में 33 सीटों में 27 सीटें जीत ली थी. नतीजे आने के बाद पंकजा मुंडे कैबिनेट की बैठक से भी दूर रही थीं. मुंडे की गैर-हाजरी को अपने इलाके परली में निकाय चुनाव में मिली शिकस्त से जोड़कर देखा जा रहा था.
विवादों से रहा है नाता
– पंकजा मुंडे का नाम चिक्की घोटाले में आया था. हालांकि बाद में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने उन्हें क्लीन चिट दे दी थी. उन पर स्कूली बच्चों के लिए सामान खरीदने से जुड़े लगभग 206 करोड़ रुपये के ठेकों में अनियमितता का आरोप लगा था.
– सूखाग्रस्त लातूर में सेल्फी लेकर भी वह निशाने पर आई थीं.
– हाल ही में उन्होंने कहा था कि हमारे लोगों को रुपये (घूस) लेना भी नहीं आता है. उनकी इस टिप्पणी से काफी विवाद पैदा हुआ था.
उधर कांग्रेसी खेमे में भी मायूसी छाई हुई है. मुंबई में महानगरपालिका के चुनाव में पार्टी की हार की जिम्मेदारी लेते हुए मुंबई कांग्रेस अध्यक्ष संजय निरुपम ने पद से इस्तीफा दे दिया है.