रांची। 22 साल पुराने अलकतरा घोटाले में संयुक्त बिहार के पूर्व पथ निर्माण मंत्री मोहम्मद इलियास हुसैन सहित सात अभियुक्तों को कोर्ट ने पांच-पांच साल की सजा सुनायी है। साथ ही, 20-20 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है। सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश अनिल कुमार मिश्र की अदालत ने सजा सुनायी है। मामला 1.57 करोड़ के अलकतरा घोटाले का है।

इन्हें सुनायी गयी सजा

मामले में जिन आरोपियों पर फैसला आया, उनमें संयुक्त बिहार के पूर्व पथ निर्माण मंत्री मो इलियास हुसैन, उनके सचिव शहाबुद्दीन बेक, खरीद एवं परिवहन विभाग के निदेशक केदार पासवान, उपनिदेशक मुज्तबा अहमद, कार्यपालक अभियंता रामानंद राम, सेक्शन पदाधिकारी शोभा सिन्हा और ट्रांसपोर्टर आपूर्तिकर्ता डीएन सिंह शामिल हैं।

उपनिदेशक के खिलाफ जारी हुआ गिरफ्तारी वारंट : 

उपनिदेशक मुज्तबा अहमद कोर्ट में हाजिर नहीं हुए थे। इस वजह से उनके खिलाफ कोर्ट ने सजा सुनाते हुए वारंट जारी किया है। अदालत ने बीते 19 फरवरी को अभियोजन और बचाव पक्ष की ओर से दलील सुनने के बाद फैसले की तिथि निर्धारित की थी। इसके बाद निर्धारित तिथि पर फैसला सुनाया गया।

1997 में सीबीआइ ने केस दर्ज किया था : मामले में सीबीआइ ने वर्ष 1997 में कांड संख्या-आरसी-2/97 दर्ज किया था। इसमें बिहार के पूर्व पथ निर्माण मंत्री इलियास हुसैन सहित सात लोगों को आरोपित किया गया था।

यह है मामला : वर्ष 1994 में रोड डिवीजन द्वारा चतरा में सड़कों का निर्माण किया जा रहा था। इसके लिए हल्दिया आॅयल रिफाइनरी कोलकाता से अलकतरा आना था। लेकिन, मंत्री और इंजीनियरों ने कंपनी से साठ गांठ कर सरकार को करोड़ों का नुकसान पहुंचाया।

सीबीआइ को मिले थे घोटाले के सबूत : सीबीआइ जांच में सरकार को नुकसान पहुंचाने के सबूत मिले थे। 3266 मीट्रिक टन अलकतरा अवैध तरीके से बेच दिया गया़, जिसकी कीमत उस समय 1.57 करोड़ रुपये थी।

Share.

Comments are closed.

Exit mobile version