रांची। झाविमो के छह बागी विधायकों पर चार साल बाद बुधवार को फैसला आया। विधानसभा अध्यक्ष दिनेश उरांव ने फैसला सुनाते हुए सभी छह विधायकों की सदस्यता रद्द करने की मांग को अमान्य ठहराया। साथ ही झाविमो के भाजपा में विलय की बात को सही ठहराया है। इसके साथ ही झाविमो प्रमुख बाबूलाल मरांडी और प्रदीप यादव की याचिका खारिज कर दी। इधर, स्पीकर कोर्ट का यह फैसला झाविमो के गले नहीं उतर रहा है। पार्टी ने हाइकोर्ट से न्याय की उम्मीद जतायी है। बाबूलाल मरांडी के वकील राजवर्धन सहाय ने फैसले के बाद कहा कि जजमेंट को देखेंगे। इसके बाद आगे हाइकोर्ट में रिट दायर करेंगे।
फैसला सुनाते हुए स्पीकर ने कहा कि दोनों पक्षों को अपना तर्क और सबूत रखने के लिए पर्याप्त समय दिया गया। सारी सुनवाई खुली इजलास में हुई। 12 दिसंबर 2018 को फैसला सुरक्षित रख लिया गया था। आदेश की प्रति दोनों पक्षों को शीघ्र उपलब्ध करा दी जायेगी। सारे तथ्य पर सम्यक विचारोपरांत न्यायाधिकरण इस निर्णय पर पहुंचा है कि 12 फरवरी 2015 को दसवीं अनुसूची की धारा चार के खंड दो के तहत प्रथम दृष्टया झाविमो के विधायकों का भाजपा में विलय को वैध मानते हुए सहमति प्रदान की गयी थी। न्यायाधिकरण इस निर्णय पर पहुंचा है कि 12 फरवरी 2015 का निर्णय वैध है। बाबूलाल मरांडी और प्रदीप यादव से प्राप्त आवेदन, जिसमें छह विधायकों को पार्टी विरोधी गतिविधियों में लिप्त रहने के कारण सदस्यता समाप्त करने की मांग की गयी थी, उसे अमान्य करार दिया जाता है।
इस तरह इस याचिका को निष्पादित किया जाता है।
इन विधायकों पर था दल-बदल का आरोप
अमर कुमार बाउरी: चंदनकियारी से 2014 में पहली बार चुनाव जीते। इससे पहले वह 2009 में भी झाविमो के टिकट पर चुनाव लड़े थे, लेकिन आजसू पार्टी के प्रत्याशी से हार गये थे। 2014 में उन्होंने पूर्व मंत्री उमाकांत रजक को हराया।
रणधीर सिंह: सारठ से विधायक और वर्तमान में कृषि मंत्री रणधीर सिंह भी 2014 में पहली दफा चुनाव जीते। इससे पहले 2009 के चुनाव में वह सारठ विधानसभा क्षेत्र से लोकतांत्रिक समता दल से चुनाव लड़े थे। इस चुनाव में झामुमो के शशांक शेखर भोक्ता को जीत मिली थी।
नवीन जयसवाल:नवीन जायसवाल ने आजसू पार्टी से राजनीति की शुरुआत की। 2009 में हटिया विधानसभा चुनाव में तीसरे नंबर पर थे। कांग्रेस के विधायक गोपाल शरण नाथ शाहदेव के निधन के बाद हटिया की रिक्त सीट पर 2012 में हुए उपचुनाव में नवीन जयसवाल आजसू पार्टी से चुनाव जीते। 2014 में नवीन जयसवाल ने झाविमो का दामन थामा और चुनाव लड़े। नवीन ने भाजपा की सीमा शर्मा को हराकर दोबारा इस सीट पर जीत हासिल की।
जानकी यादव: बरकट्ठा विधानसभा क्षेत्र से चुनाव जीते। 2005 के चुनाव में वह राजद के टिकट से चुनाव लड़े थे। 2009 के चुनाव में भी वह झाविमो के टिकट पर चुनाव लड़े और वह दूसरे नंबर पर थे। 2014 में झाविमो ने जानकी यादव को फिर चुनाव लड़ाया। इस बार जीत हासिल की।
गणेश गंझू: सिमरिया विधानसभा क्षेत्र से गणेश गंझू 2014 में पहली बार झाविमो के टिकट से चुनाव जीते। 2009 में गणेश गंझू झामुमो के टिकट से चुनाव लड़े थे और वह दूसरे नंबर पर थे।
आलोक चौरसिया: आलोक चौरसिया भी पहली बार चुनाव जीतनेवालों में शामिल हैं। 2014 में झाविमो के टिकट से चुनाव लड़कर उन्होंने कांग्रेस के पूर्व मंत्री केएन त्रिपाठी को हराया।