रांची। झारखंड विधानसभा में बुधवार को झारखंड अनुसूचित जनजाति के लिए राज्य आयोग विधयेक सहित दो अन्य विधेयक पारित हुए। सदन में कल्याण मंत्री लुइस मरांडी ने इस विधेयक को रखा। विपक्ष की तरफ से कोई संशोधन प्रस्ताव नहीं था। मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहा कि झारखंड में 70 सालों से आदिवासियों के हितों की अनदेखी हो रही थी। कांग्रेस, झामुमो, झाविमो ने आदिवासियों का शोषण किया। आदिवासियों की आर्थिक, सामाजिक उन्नति हो इसकी चिंता विपक्ष को नहीं थी। झूठ और फरेब की राजनीति कर मतपेटी और अर्थपेटी भरने का काम किया। उन्होंने कहा कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय के अंत्योदय को साकार करने के लिए सरकार ने जनजाति आयोग विधेयक को पारित कराया है। कहा कि सरकार गरीब, शोषित और वंचितों के उत्थान के लिए काम कर रही है।

इससे पहले सत्ता पक्ष के मुख्य सचेतक राधाकृष्ण किशोर ने कहा कि विधेयक के अध्याय दो में कहा गया है कि आयोग का अध्यक्ष और उपाध्यक्ष वैसे व्यक्ति होंगे, जो झारखंड के अनुसूचित जनजाति से संबंधित मामलों का विशिष्ट ज्ञान रखता हो। उन्होंने कहा कि ऐसे में आयोग के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के पद पर अनुसूचित जनजाति के अलावा किसी अन्य वर्ग का भी अध्यक्ष बन सकेगा। उन्होंने सरकार से मांग की कि इसमें यह स्पष्ट होना चाहिए कि आयोग का अध्यक्ष और उपाध्यक्ष अनुसूचित जनजाति का ही होगा। विधायक शिवशंकर उरांव ने कहा कि आयोग के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष के अलावा जो तीन सदस्य होंगे, वह भी अनुसूचित जनजाति का हो। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि विधेयक में यह स्पष्ट होना चाहिए कि आयोग का अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और सदस्य वैसे व्यक्ति को बनाया जाये जो आदिवासी रीति-रिवाज, परंपरा, विवाह और जन्म से मृत्यु तक अनुसूचित जनजाति में हुआ हो।

उन्होंने कहा कि आज का दिन ऐतिहासिक दिन है। जनजाति आयोग की मांग बिहार के समय से ही हो रही थी। अलग राज्य बनने के बाद भी मांग जारी थी। विधायक रामकुमार पहन, लक्ष्मण टुडू और संसदीय कार्य मंत्री नीलकंठ सिंह मुंडा ने भी जनजाति आयोग के गठन के लिए सरकार को धन्यवाद दिया। सदस्यों के सुझाव को सुनने के बाद मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहा कि जनजाति आयोग के गठन का मामला टीएसी की बैठक में भी आया था। टीएसी से यह पास हुआ कि आयोग का गठन हो।

उन्होंने कहा कि सदन में जो सुझाव आया है कि आयोग का अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और सदस्य वैसे व्यक्ति को बनाया जाये, जो आदिवासी रीति रिवाज, परंपरा को जन्म से मृत्यु तक मानता हो, उसे ही बनाया जाये। सरकार इस सुझाव को मानती है। उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष से आग्रह किया कि सदस्यों ने जो संशोधन दिया है उसे मानते हुए इस विधेयक को पारित किया जाये। कल्याण मंत्री लुइस मरांडी ने कहा कि झारखंड अलग राज्य बनने के बाद एसटी समाज के अधिकार और हितों की रक्षा के लिए कोई आयोग का गठन नहीं हो पाया था। उन्होंने कहा कि जनजाति समाज के लोग गांवों और जंगलों में रहते हैं। वे अपनी समस्या के समाधान के लिए सरकारी कार्यालय नहीं आ पाते हैं। इस विधेयक के माध्यम से आदिवासी समाज के हक और अधिकार को सुरक्षा दी जायेगी। विधानसभा से झारखंड राज्य आवास बोर्ड संशोधन विधेयक भी पारित हुआ।
विनगर विकास मंत्री सीपी सिंह ने कहा कि वर्ष 1982 से बोर्ड के पास खर्च करने का पॉवर मात्र दो करोड़ रुपये का था। इस संशोधन विधेयक के माध्यम से बोर्ड को 10 करोड़ सालाना खर्च करने का अधिकार दिया गया है। इसके अलावा सदन से झारखंड खनिज क्षेत्र विकास प्राधिकार संशोधन विधेयक भी पारित हुआ।

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