नई दिल्ली : राजधानी दिल्ली की सड़कों पर जब नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के विरोधी और समर्थक भिड़े तो हिंसा में कई घरों के चिराग बुझ गए। किसी ने अपनों को खोया, तो कोई अपनों को अस्पताल में मौत और जिंदगी के बीच जूझता देख रहा है। दिल्ली की इसी सड़क पर हेड कॉन्स्टेबल रतन लाल की दंगाइयों ने जान ले ली, तो गंभीर रूप से घायल डीसीपी अमित शर्मा का अस्पताल में अब भी इलाज चल रहा है। ऐसे हालात में पैरा-मिलिटरी फोर्स उत्तर-पूर्वी दिल्ली के हिंसा प्रभावित इलाके में सुरक्षा दे रही है तो वहीं, हिंसा की आग में झुलसे दिल्लीवासियों की जान बचाने के लिए सीआरपीएफ के 1500 जवानों ने अपना खून दिया है।
30 से अधिक सीआरपीएफ जवानों ने जीटीबी अस्पताल में रक्तदान किया है ताकि घायलों के इलाज में खून की कमी न हो। अधिकारियों ने बताया कि मंगलवार को पैरामिलिटरी के 50 जवानों को अस्पताल भेजा गया था, जिनमें से 34 ने रक्तदान किया। बाकियों को स्टैंडबाय पर रखा गया है।