अजय शर्मा
रांची। हेमंत सरकार के 50 दिन पूरे हो गये हैं। इस दौरान मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और उनके मंत्रिमंडल के सदस्यों ने 50 बड़े फैसले लिये और दावा किया कि सभी फैसले राज्यहित में लिये गये हैं। चुनाव परिणाम आने के तुरंत बाद से ही सीएम अपने शालीन स्वभाव के कारण लोकप्रियता के पायदान में बड़ी छलांग लगायी। चुनाव के दौरान सभाओं में किये गये वादे को पूरा करने का वक्त चुनाव परिणाम आने के बाद से ही हो गया। वे स्थानीय लोगों और स्थानीयता की बात कह रहे थे। परिणाम आने के बाद जिस कदर उनके घर में भीड़ उमड़ती रही। वे लोगों से मिलते रहे, ऐसा लग ही नहीं रहा था कि लोग सीएम से मिल रहे हैं। उन्हें लग रहा था कि उन्हीं के बीच का एक बेटा सीएम बना है। लिहाजा उम्रदराज से लेकर युवाओं की भीड़ घर में लगने लगी। हेमंत किसी को नाराज नहीं किये। उस समय भी उन्होंने यही संकेत दिया था कि हर फैसला राज्यहित में लिया जायेगा।
मुख्यमंत्री ने पहला फैसला पत्थलगड़ी के दौरान देशद्रोह के तहत दर्ज मामलों को वापस लेने का था। यह फैसला मानों पूरे राज्य में लोगों के बीच यह संकेत दिया कि सीएम एक-एक कर बड़े फैसले लेंगे और हुआ भी यही। मुख्यमंत्री ने गॉर्ड आफ आॅनर की परंपरा को समाप्त करने की घोषणा की। उन्होंने खुद कहा था कि यह अंगे्रज काल की परंपरा है। सीएम ने स्थानीय नीति और नियोजन नीति को विवादास्पद मानते हुए उसकी समीक्षा करने की भी घोषणा की। सीएम की इस घोषणा के बाद झारखंड वासियों की उम्मीदें बढ़ गयीं। गठबंधन सरकार ने दो लाख तक किसानों के कर्ज माफ करने, 100 यूनिट बिजली निशुल्क देने, आदिवासियों को वन पट्टा देने, फर्जी राशन कार्ड के जरिये किये जा रहे खाद्यान्न की गड़बड़ी की जांच करने, प्रज्ञा केंद्र से तुरंत सभी तरह के सर्टिफिकेट बनाने, कोयला की शेष राशि करीब पांच हजार करोड़ रुपया नहीं मिलने पर झारखंड का कोयला नहीं भेजने की धमकी भी दी। सबसे बड़ा फैसला पारा टीचर को जल्द ही स्थायी किया जायेगा या उनके मानदेय में भारी बढोत्तरी की जायेगी। जिन स्कूलों को बंद कर दिया गया था उन स्कूलों को खोलने का फैसला भी सरकार का साहसिक कदम है।
सीएम ने घोषणा की कि नियोजन कार्यालय को मजबूत किया जाये। पंचायत स्तर पर इस तरह के कार्यालय खोले जायेंगे, बेरोजगारों को चिह्नित कर बेरोजगारी भत्ता देने पर भी सरकार विचार कर रही है। यह सरकार भूमि अधिग्रहण बिल की भी समीक्षा कर रही है। तय किया गया है कि जमीन जिसकी जायेगी उसके एक परिवार को नौकरी हर हाल में देना होगा। अभी दो एकड़ जमीन पर ही एक नौकरी का प्रावधान है। हेमंत जब कुर्सी संभाले तो खजाना खाली था। सीएम ने फिजूलखर्ची पर तुरंत रोक लगा दी। पैसा कहां से आये इसके नये रास्ते ढूंढे गये। तय किया गया कि महिलाओं के नाम एक रुपये की रजिस्ट्री बंद करायी जायेगी, मुख्यमंत्री आशीर्वाद योजना बंद हो।
डोभा निर्माण की जांच की घोषणा, तालाब निर्माण की जांच की घोषणा, पथ निर्माण विभाग में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी की जांच के आदेश, मुख्य अभियंता समेत दो का निलंबन का कड़ा फैसला भी शामिल है। राज्यसभा चुनाव के दौरान गड़बड़ी करने के आरोप में सीनियर आइपीएस अधिकारी अनुराग गुप्ता के निलंबन से यह संकेत देने की कोशिश की कि उनके सरकार में भ्रष्टाचार के लिए कोई जगह नहीं। सीएम चुपचाप अपना काम कर रहे। विरोधी उन पर जमकर हमला कर रहे। सीएम ने पलटवार करने के बजाये लंबी लकीर खींचने की नीति पर काम शुरू किया है। सीएम व्यवहार के कारण अधिक चर्चित हुए हैं। 29 दिसंबर को मोरहाबादी में शपथ ग्रहण हुआ था, उसी समय उन्होंने यह संकते दिया कि उनकी सरकार में भ्रष्टाचार के लिए कोई जगह नहीं होगी।