– प्रदेश की अदालतों में 39 फीसदी जजों के पद खाली
चंडीगढ़। हरियाणा की अदालतों में इस समय से साढ़े चौदह लाख से अधिक केस पेंडिंग हैं और याचियों को मिल रही है केवल तारीख पर तारीख। हालात यह हैं कि इस केसों का फैसला करने वाले 39 फीसदी जजों के पद भी रिक्त पड़े हुए हैं। यह स्थिति तब है जब सरकार एक अप्रैल से प्रदेश की अदालतों में हिंदी भाषा को लागू करने का ऐलान कर चुकी है।
कुछ ऐसी ही स्थिति पड़ोसी राज्य पंजाब व राजधानी चंडीगढ़ की है। उत्तर भारत के अन्य राज्यों के मुकाबले हरियाणा की स्थिति कुछ कमजोर है। यहां न्यायाधीशों के अधिक पद रिक्त पड़े हुए हैं।
हरियाणा की जिला अदालतों में न्यायधीशों के कुल 778 पद स्वीकृत है, इसकी एवज में 308 पद रिक्त पड़े हुए हैं। प्रदेश की अदालतों में कुल 14.58 लाख मामले लंबित हैं। इसी तरह, पंजाब के जिला और अधीनस्थ अदालतों में न्यायाधीशों के 26.2 प्रतिशत पद खाली पड़े हैं, जिन पर 9.23 लाख मामलों के लंबित होने का बोझ है।
पंजाब की जिला अदालतों में जजों के स्वीकृत पदों की संख्या 797 है लेकिन 208 पदों को भरा जाना बाकी है। हरियाणा व पंजाब की राजधानी चंडीगढ़ में न्यायधीशों के सभी पद भरे हुए हैं लेकिन 79 हजार 526 मामले लंबित हैं।
केंद्र की रिपोर्ट में कहा गया है कि 31 दिसंबर 2022 तक देश भर में जिला और अधीनस्थ अदालतों में न्यायाधीशों के 5,764 पद खाली हैं। इन अदालतों में 4.32 करोड़ से अधिक मामलों के लंबित होने का बोझ है। जिला अदालतों में न्यायाधीशों के रिक्त पदों को भरने में केंद्र सरकार की कोई सीधी भूमिका नहीं होती है और यह संबंधित उच्च न्यायालयों और राज्य सरकारों की जिम्मेदारी है।
पंजाब सुपीरियर ज्यूडीशियल सर्विस कैडर के बारे में केंद्रीय कानून मंत्री ने बताया कि 65 प्रतिशत कोटा के अंतर्गत नियमित प्रोन्नति के द्वारा भरी जाने वाली रिक्तियों के लिए भर्ती प्रक्रिया अंतिम चरण में है,जबकि सीमित प्रतियोगी परीक्षा से भरी जाने वाली सीटों के 10 प्रतिशत कोटे के मामले में कोई भी अभ्यर्थी उपयुक्त नहीं पाया गया है। शेष 25 प्रतिशत रिक्त पदों को सीधी भर्ती से भरे जाने की प्रक्रिया शुरू की जा रही है।