देहरादून। 38वें राष्ट्रीय खेलों के अंतर्गत आयोजित ‘मौली संवाद’ में खेलों में करियर, उद्योग में उपलब्ध अवसरों और चोटों के गैर-सर्जिकल उपचार पर गहन चर्चा हुई। इस कार्यक्रम का उद्देश्य युवाओं को खेल जगत में नए अवसरों से परिचित कराना और इस क्षेत्र से जुड़ी चुनौतियों को समझाना था।

खेल उद्योग में करियर के अवसर
पहले सत्र का विषय “खेल से आगे: शिक्षा, करियर और अवसर” था। इस सत्र का संचालन मार्केटिंग प्रोफेशनल और नेशनल एशियन चैंपियन प्रतीक सोनवाने ने किया। उन्होंने खेलों को सिर्फ मनोरंजन नहीं, बल्कि एक आर्थिक शक्ति बताया।

इस सत्र में स्पोर्ट्स इंडिया के प्रमुख नील शाह, Mizaki की को-फाउंडर और Emami की सीईओ नम्रता पारेख, कार्यक्रम निदेशक अरुण कार्तिक और ब्रॉडकास्टिंग हेड गौरव गाला शामिल हुए।

नील शाह ने खेलों में करियर बनाने के लिए मेहनत और सही ज्ञान को आवश्यक बताया। नम्रता पारेख ने खेल मार्केटिंग को तेजी से बढ़ता क्षेत्र बताते हुए कहा कि अनुभव केवल किताबों से नहीं, बल्कि खुद मेहनत करके मिलता है। अरुण कार्तिक ने अमेरिका और भारत की तुलना करते हुए कहा कि यदि कॉलेज स्तर पर खेलों को बढ़ावा दिया जाए, तो खेल उद्योग में नौकरियों के नए अवसर खुल सकते हैं। वहीं, गौरव गाला ने खेल मीडिया और कंटेंट क्रिएशन के बढ़ते अवसरों पर चर्चा की।

महत्वपूर्ण कौशलों पर जोर
विशेषज्ञों से जब खेल उद्योग में सफलता के लिए आवश्यक कौशलों के बारे में पूछा गया, तो नील शाह ने संचार कौशल, अरुण कार्तिक ने नेटवर्किंग, नम्रता पारेख ने उद्यमिता, और गौरव गाला ने आत्मविश्वास को सबसे महत्वपूर्ण बताया।

इस मौके पर 38वें राष्ट्रीय खेलों के सीईओ अमित सिन्हा भी मंच पर आए और इस पहल की सराहना की। उन्होंने इसे युवाओं के लिए बेहतरीन मंच बताया, जहां वे खेलों में करियर की संभावनाओं को समझ सकते हैं।

खेलों में गैर-सर्जिकल उपचार के नए उपाय
दूसरे सत्र “रिकवर स्ट्रॉन्गर: गैर-सर्जिकल समाधान” में खेलों के दौरान लगने वाली चोटों और उनके उपचार पर चर्चा हुई। मुख्य वक्ता खेल चिकित्सा विशेषज्ञ डॉ. मनन वोरा थे। सत्र की शुरुआत नित्यांगन इंस्टिट्यूट ऑफ परफॉर्मिंग आर्ट्स की छात्राओं द्वारा प्रस्तुत नृत्य प्रदर्शन से हुई।

डॉ. वोरा ने बताया कि खेल चोटों के उपचार में आधुनिक गैर-सर्जिकल तकनीकें मददगार साबित हो रही हैं। उन्होंने पुनर्जीवित चिकित्सा, प्रोथेरेपी, स्टेम सेल थेरेपी और प्लेटलेट रिच प्लाज्मा (PRP) तकनीक जैसी विधियों पर प्रकाश डाला, जिनकी मदद से बिना सर्जरी के भी कई चोटों का इलाज संभव है।

उन्होंने सचिन तेंदुलकर का उदाहरण देते हुए समझाया कि टेनिस एल्बो जैसी चोटें बार-बार एक ही तकनीक अपनाने से होती हैं, जिससे शरीर पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है। उन्होंने कहा कि सही समय पर उचित इलाज और संतुलित आहार से खिलाड़ी तेजी से रिकवरी कर सकते हैं।

दर्शकों की उत्सुकता और भागीदारी
इस सत्र में दर्शकों ने भी बढ़-चढ़कर भाग लिया। महाराणा प्रताप स्कूल के एक छात्र ने खेल चोटों के समाधान पर सवाल किया, जिसका डॉ. वोरा ने विस्तार से उत्तर दिया। उन्होंने पहनने योग्य तकनीक और सही प्रशिक्षण की आवश्यकता पर जोर दिया।

युवाओं को नई दिशा दिखाने वाला मंच
‘मौली संवाद’ ने खेलों को सिर्फ प्रतिस्पर्धा तक सीमित न रखकर उसे एक संभावित करियर और जीवनशैली के रूप में देखने का अवसर दिया। इस कार्यक्रम ने खेल उद्योग में बढ़ते अवसरों को समझाने के साथ ही, खिलाड़ियों को चोटों से बचाव और बेहतर रिकवरी के उपाय भी बताए।

आज खेल केवल शौक नहीं, बल्कि एक सफल करियर का माध्यम भी बन चुके हैं, और ‘मौली संवाद’ जैसी पहल युवाओं को सही दिशा दिखाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।

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