काठमांडू। प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की कैबिनेट में लाए गए छह अलग-अलग अध्यादेशों के खिलाफ विपक्षी मोर्चा के सांसदों ने पचास से अधिक अस्वीकार प्रस्ताव संसद में पेश किये हैं। सरकार के इन अध्यादेशों पर मंगलवार से चर्चा और वोटिंग होनी है।

संसद सचिवालय के प्रवक्ता एकराम गिरी ने सोमवार को बताया कि सुशासन प्रवर्द्धन तथा सार्वजनिक सेवा प्रवाह संबंधी कानून के बदलाव लाने के लिए पेश किए गए अध्यादेश को वापस लेने की मांग करते हुए अलग-अलग दलों के 9 सांसदों हितराज पाण्डे, दुर्गा राई, शिशिर खनाल, भानुभक्त जोशी, ज्ञानु बस्नेत सुवेदी, रेखा शर्मा, प्रेम सुवाल, सुमना श्रेष्ठ और स्वर्णिम वाग्ले ने अस्वीकार प्रस्ताव पेश किये हैं। इसी तरह आर्थिक कार्यविधि तथा वित्तीय उत्तरदायित्व अध्यादेश अस्वीकृत करने के लिए 6 सांसदों ने अस्वीकार प्रस्ताव पेश किया है। इनमें स्वर्णिम वाग्ले, विराजभक्त श्रेष्ठ, वर्षमान पुन, छिरिङ डम्डुल लामा, प्रकाश ज्वाला, नारायणी शर्मा और प्रेम सुवाल हैं।

प्रवक्ता के मुताबिक निजीकरण कानून को संशोधन करने लिए जारी अध्यादेश कोअस्वीकार करने के लिए सात सांसदों ने अस्वीकार प्रस्ताव पेश किया है। इस प्रस्ताव को पेश करने वालों में माधव सापकोटा, उर्मिला माझी, सूर्यमान तामाङ दोङ, छिरिङ ल्हामु लामा, मेटमणी चौधरी, प्रेम सुवाल और सुमना श्रेष्ठ हैं।इसी तरह आर्थिक तथा व्यावसायिक वातावरण सुधार एवं निवेश अभिवृद्धि सम्बन्धी कानून के संशोधन के लिए लाए गए अध्यादेश को अस्वीकार करने का प्रस्ताव पेश करने वाले सांसदों में शक्ति बहादुर बस्नेत, महेन्द्र बहादुर शाही, रणेन्द्र बराली, भानुभक्त जोशी, नारायणी शर्मा और प्रेम सुवाल हैं।

दरअसल, बीते शुक्रवार को सरकार की तरफ से सभी 6 अध्यादेश प्रतिनिधि सभा से अनुमोदन करने के लिए पेश किये गए थे। इस पर मंगलवार से चर्चा और वोटिंग होनी है। हालांकि, सरकार के पास प्रतिनिधि सभा में स्पष्ट बहुमत ही नहीं, दो तिहाई सांसदों का समर्थन है, लेकिन राष्ट्रीय सभा में सरकार और विपक्षी दलों के सांसदों की संख्या लगभग बराबर है।

Share.

Comments are closed.

Exit mobile version