काठमांडू। प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने शनिवार को सत्तारूढ़ गठबंधन की बैठक बुलाकर शामिल दलों का अध्यादेश का विरोध नहीं करने का आग्रह किया है।

प्रधानमंत्री ओली ने अपने सरकारी निवास पर बुलाई बैठक में सत्तारूढ़ गठबंधन में शामिल मधेशी दलों के शीर्ष नेताओं से अध्यादेश का विरोध करने की बजाय इसे सदन से पारित करने में सहयोग का आग्रह किया है। प्रधानमंत्री ओली के प्रमुख राजनीतिक सलाहकार विष्णु रिमाल ने इसकी पुष्टि की है।

रिमाल के मुताबिक जिस भूमि आयोग के विधेयक को लेकर मधेशी दलों ने विरोध किया है, उसके कुछ प्रावधानों को आने वाले समय में बदलने का प्रधानमंत्री की तरफ से आश्वासन भी किया गया है। उन्होंने बताया कि एक बार अध्यादेश पास हो जाने के बाद जब उस संबंध में नोटिफिकेशन जारी किया जाएगा तो उस समय विवादित प्रावधानों को हटाने दिया जाएगा।

प्रमुख राजनीतिक सलाहकार ने बताया कि प्रधानमंत्री के आग्रह और आश्वासन के बाद भी विधेयक का विरोध कर रहे मधेशी दलों ने अपने रुख में कोई भी परिवर्तन नहीं किया है। प्रधानमंत्री निवास पर हुई बैठक में शामिल होने गए जनमत पार्टी के उपाध्यक्ष अब्दुल खान ने कहा कि सिर्फ आश्वासन देने से समस्या का समाधान नहीं होने वाला है। उन्होंने बताया कि मधेशी दलों की तरफ से प्रधानमंत्री ओली को इस अध्यादेश को वापस लेने को कहा गया है और सबकी सहमति से एक विधेयक लाने की मांग की गई है।

आज की बैठक में अध्यादेश का विरोध करने वाले सत्तारूढ़ गठबंधन के जनता समाजवादी पार्टी नेपाल का कोई भी प्रतिनिधि मौजूद नहीं था, जबकि जनमत पार्टी के अध्यक्ष ने इस बैठक में खुद सहभागी न होकर अपने उपाध्यक्ष को भेज दिया था। इसी तरह लोकतांत्रिक समाजवादी पार्टी की तरफ से सरकार में सहभागी शरद सिंह भंडारी बैठक में शामिल नहीं हुए लेकिन पार्टी अध्यक्ष महंत ठाकुर ने बैठक में सहभागी होने के बावजूद अपना विरोध जताया।

नेपाल सरकार के लाए गए 6 अध्यादेश के संसद के दोनों सदनों से पारित कराने के लिए सरकार पिछले 15 दिन से प्रयासरत है। प्रतिनिधि सभा में दो तिहाई बहुमत होने के बाद भी राष्ट्रीय सभा में सामान्य बहुमत के अभाव में ये सभी अध्यादेश लटका हुआ है। जब तक यह अध्यादेश संसद के दोनों सदनों से पारित नहीं होता तब तक इसका कार्यान्वयन नहीं हो सकता है।

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