विशेष
अमेरिका से निर्वासित भारतीयों को देख कर समझना होगा घुसपैठ का खतरा
इस गैर-कानूनी रास्ते को अपना कर केवल देश-समाज की बदनामी होती है
अब इस गतिविधि पर सख्ती से रोक लगाने के लिए हरसंभव उपाय करने होंगे
नमस्कार। आजाद सिपाही विशेष में आपका स्वागत है। मैं हूं राकेश सिंह।
‘बहुत बे-आबरू हो कर तिरे कूचे से हम निकले’, गालिब के इस शेर से उन निर्वासित किये गये भारतीयों का दर्द समझा जा सकता है, जिन्हें अमेरिका से भारत वापस भेजा गया है। अमेरिका से दो खेपों में निर्वासित किये गये दो सौ से ज्यादा भारतीय बेहद अमानवीय परिस्थितियों में घर लौट गये हैं। अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप के दूसरे कार्यकाल की शुरूआत में ही अवैध अप्रवासियों के खिलाफ कड़े कदम उठाये गये हैं और इसकी जद में अवैध रूप से अमेरिका गये करीब 18 हजार भारतीय भी आ गये हैं। इन अवैध अप्रवासियों को घुसपैठिया कहा जा रहा है, जो पूरी तरह गलत भी नहीं है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी हालिया अमेरिका यात्रा के दौरान कहा भी है कि किसी भी देश में अवैध ढंग से घुसनेवाले विदेशी नागरिकों के साथ ऐसा ही सलूक किया जाना चाहिए, जैसा अमेरिका कर रहा है। पीएम मोदी की प्रतिक्रिया से साफ है कि भारत भी घुसपैठ के मुद्दे पर गंभीर है। उसे होना भी चाहिए, क्योंकि यह एक ऐसी समस्या है, जो दीमक की तरह किसी देश की जड़ पर ही असर करती है। अवैध आव्रजन और घुसपैठ का रैकेट भारत में बहुत बड़ा हो चुका है और यह कबूतरबाजी के रैकेट से भी बड़ा हो गया है। ऐसे में सवाल उठता है कि लोग क्यों इस तरह का खतरा उठाने के लिए तैयार होते हैं, जबकि उन्हें पता होता है कि इसमें उनकी, परिवार-समाज की और यहां तक कि पूरे देश की बदनामी हो सकती है। जाहिर है कि इसके पीछे समृद्धि की वह चाह है, जिसकी चकाचौंध आज भी हर व्यक्ति को कुछ भी करने के लिए उकसाती है। क्या है घुसपैठ की मानसिकता, क्या है निर्वासन की पूरी प्रक्रिया और क्या होता है इसका असर, बता रहे हैं आजाद सिपाही के विशेष संवाददाता राकेश सिंह।
बीते कुछ दिनों से अमेरिका दुनिया भर के देशों से आये और अमेरिका में रह रहे अवैध प्रवासियों को उनके देश भेजने की कार्रवाई कर रहा है। इस कार्रवाई को अंजाम दे रहे हैं अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की सबसे कठोर अप्रवासन नीति के प्रमुख स्टीफन मिलर। ट्रंप ने अपना दूसरा कार्यकाल जिस दिन संभाला, उसी दिन उन्होंने जिन कार्यकारी आदेशों पर हस्ताक्षर किये, उन पर मिलर के हस्ताक्षर पहले से मौजूद थे। इन आदेशों में थे, जन्मसिद्ध नागरिकता को खत्म करना और दक्षिणी सीमा पर राष्ट्रीय इमरजेंसी घोषित करना। नीतिगत मामलों के डिप्टी डायरेक्टर और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के रूप में मिलर ने ट्रंप के अप्रवासन एजेंडे को लागू करने के लिए कई कार्यकारी आदेशों का मसौदा तैयार करने की अगुवाई की। इसमें अवैध प्रवासियों के आने पर रोक और अमेरिकी धरती पर पहले से मौजूद रहने वालों को प्रत्यर्पित करने का वादा किया गया है। इसी आदेश के तहत अमेरिका ने दो खेप में दो सौ से अधिक वैसे भारतीयों को भी वापस भेजा है, जो अवैध तरीके से वहां रह रहे थे, यानी घुसपैठिये थे। ऐसा बहुत कम होता है कि अमेरिका में रह रहे अवैध अप्रवासियों को वापस उनके देश भेजने के काम में सेना को लगाया जाये, लेकिन ट्रंप के दूसरे कार्यकाल में घुसपैठियों को भेजने के मिशन में सेना का इस्तेमाल किया जा रहा है।
क्या किया अमेरिका ने
अमेरिका ने वहां अवैध रूप से रह रहे दो सौ से अधिक भारतीय नागरिकों को निर्वासित किया है। यह निर्वासन अवैध आव्रजन से निपटने के बारे में भारत और अमेरिका के बीच हाल ही में हुई बातचीत के बाद हुआ है, जो पिछले महीने ट्रंप के पदभार संभालने के बाद से एक प्रमुख मुद्दा बन गया है। अमेरिका ने पहले भी पूर्ववर्ती प्रशासनों के तहत भारतीय नागरिकों को निर्वासित किया है, लेकिन यह पहली बार है कि इस तरह के आॅपरेशन के लिए सैन्य विमान का उपयोग किया गया है।
निर्वासन क्या है और अमेरिका से किसे निर्वासित किया जाता है?
निर्वासन से मतलब आव्रजन कानून के उल्लंघन के कारण अमेरिका से किसी गैर-नागरिक को निकालने की प्रक्रिया से है। अमेरिकी आव्रजन और सीमा शुल्क प्रवर्तन एजेंसी निर्वासन प्रक्रिया की देखरेख करती है। निर्वासन कई कारणों से हो सकता है। इसमें वीजा स्टेटस का उल्लंघन, आपराधिक गतिविधि या सार्वजनिक सुरक्षा के लिए खतरा पैदा करना शामिल हैं। कई वर्षों से अमेरिका से निर्वासन तनाव का विषय रहा है। अप्रवासी, जो आव्रजन कानूनों का उल्लंघन करते हैं या अपने वीजा की अवधि से अधिक समय तक रहते हैं, उन्हें निकाले जाने की संभावना का सामना करना पड़ता है। इनमें से किसी भी कानून का उल्लंघन करने वाले व्यक्ति को पहले हिरासत में लिया जाता है और हिरासत केंद्र ले जाया जाता है। वे तब तक वहां रहते हैं, जब तक उन्हें आव्रजन न्यायालय के समक्ष पेश नहीं किया जाता। फिर न्यायालय समीक्षा करता है कि क्या अप्रवासी शरण चाहता है और परिस्थितियों के आधार पर निष्कासन का आदेश देता है।
क्यों अमेरिका में बसना चाहते हैं लोग
दरअसल अमेरिका में बसना एक ऐसा सपना है, जिसे ज्यादातर लोग हकीकत में बदलना चाहते हैं, खासतौर पर अमेरिकी जीवन शैली और सुविधाएं सभी को आकर्षित करती हैं। आकर्षण का यही जाल मुसीबत का सौदा साबित होता है। जब वैध तरीके से अमरीका में प्रवेश नहीं मिलता है, तो अवैध रास्ते से घुसने की कोशिश की जाती है। बेरोजगारी की समस्या और खूब धन कमा कर अच्छी जिंदगी जीने की चाह कई भारतीय युवाओं को विदेश जाकर रोजगार तलाशने के लिए प्रेरित करती है। इस तरह की घुसपैठ को ‘डंकी रूट’ कहा जाता है। आंकड़े बताते हैं कि डंकी रूट से भारत से अमेरिका जाने वालों की संख्या काफी है।
क्या है डंकी रूट
विदेश जाकर बहुत सारा धन कमाने का सपना देखने वाले हजारों लोग हर साल डंकी रूट से अमेरिका जाने का जोखिम उठाते हैं। डंकी रूट एक ऐसा जोखिम है, जिसमें हर कदम पर परेशानी ही परेशानी है और कई बार मौत का भी सामना करना पड़ता है। अमेरिकी सीमा पार करने के लिए लोगों को कई महीनों तक लंबी यात्रा करनी पड़ती है। मानव तस्कर इस रूट में संचालक की भूमिका में होते हैं, जो अवैध रूप से देशों की सीमाएं लांघने में मदद के बदले लोगों से अच्छी-खासी रकम लेते हैं। कई बार यह रकम 50 से 85 लाख रुपये तक होती है। अमेरिका में डॉलर में धन कमा कर भारत पैसा भेजने वाले लोगों के घर अलग से पहचाने जाते हैं। कई परिवारों के लिए उनके किसी सदस्य का अमेरिका में होना स्टेटस माना जाता है। भारत में 2018 से लगातार बेरोजगारी दर गिरने के बावजूद ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार की समस्या युवाओं के पलायन का कारण मानी जाती है। पिछले साल रिकॉर्ड 97 हजार भारतीयों को अमेरिका में अवैध तरीके से प्रवेश करने की कोशिश करते हुए पकड़ा गया या निष्कासित किया गया था, जबकि 2021 में यह संख्या 31 हजार थी।
डंकी रूट का मतलब ऐसे रास्ते हैं, जो अवैध रूप से लोगों को एक देश से दूसरे देश ले जाता है। सीमा नियंत्रण से बचने के लिए यह एक लंबी और चक्करदार यात्रा होती है। पंजाब में डंकी रूट एक दशक से भी ज्यादा समय से एक खुला रहस्य रहा है। यह शब्द पंजाबी शब्द ‘डुंकी’ से आया है, जिसका अर्थ है एक जगह से दूसरी जगह कूदना। दिसंबर 2023 में डंकी प्रैक्टिस तब अंतरराष्ट्रीय सुर्खियों में आया था, जब फ्रांस ने मानव तस्करी के संदेह में दुबई से निकारागुआ जा रहे 303 भारतीय यात्रियों वाले एक चार्टर्ड विमान को रोक दिया था। इनमें से अधिकांश को वापस भारत भेज दिया गया था।
अमेरिका-भारत संबंधों पर प्रभाव
अमेरिका में ऐसे 18 हजार भारतीयों की पहचान की गयी है, जो अवैध रूप से वहां रह रहे हैं। आसान भाषा में इन्हें घुसपैठिया कहा जा सकता है, जैसे भारत में बांग्लादेश और पाकिस्तान से आकर यहां बस गये लोग। ट्रंप प्रशासन द्वारा ऐसे लोगों की पहचान कर उन्हें वापस भेजे जाने पर काफी कुछ कहा गया है। यहां तक कि पीएम मोदी की हालिया अमेरिका यात्रा के दौरान भी यह सवाल उठा, लेकिन पीएम मोदी ने भी कह दिया कि इस तरह अवैध तरीके से किसी देश में घुसना गलत है और कोई भी देश ऐसे लोगों के खिलाफ अपने कानून के हिसाब से कार्रवाई करने के लिए स्वतंत्र है। इसलिए भारतीयों के निर्वासन पर दोनों देशों के संबंधों पर कोई असर तो नहीं पड़ेगा, लेकिन अब भारत को सोचना होगा कि इस तरह की प्रवृत्ति पर कैसे रोक लगायी जाये। अवैध तरीके से विदेश जानेवालों की संख्या में अचानक वृद्धि हुई है और इसे रोका जाना जरूरी हो गया है। लोगों को भी समझना होगा कि इस तरह के कदम से न केवल उनकी, बल्कि परिवार-समाज और देश की भी बदनामी होती है।