सीएम योगी आदित्यनाथ ने रविवार को गोरखपुर में कहा कि वह भोजपुरी, अवधी, ब्रज, सिंधी, नेपाली, बुंदेलखंडी सहित विभिन्न क्षेत्रीय भाषाओं के विकास के लिए हिन्दुस्तानी एकेडमी बनाएंगे। इसके अलावा उन्होंने कहा कि तुलसीदास ने अकबर को कभी राजा नहीं माना। गोरखनाथ मंदिर में बाबा गम्भीरनाथ पुण्यतिथि शताब्दी वर्ष समारोह के समापन समारोह के मौके पर उन्होंने सामजिक समरसता में नाथ पंथ के योगदान का उल्लेख किया।
उन्होंने कहा भारत की परंपरा ऐसी है जिसने जाति भेद को समाप्त किया। क्षेत्रीयता की दीवारों को तोड़ा। पंथ और जाति के भेदों को तोड़कर सामाजिक समरसता का मार्ग प्रशस्त किया। उन्होंने कहा कि भारत की पहचान विशिष्ट ज्ञान- अध्यात्म के नाम पर है।
विश्वविजेता बनने का सपना देखने वाले सिकन्दर को सिन्धु तट पर बैठे एक सन्यासी ने बता दिया था कि इस विश्व का विधाता तो है विजेता नहीं।
तुलसीदास ने अकबर को नहीं माना राजा
सीएम ने कहा कि भक्ति आंदोलन के प्रणेता तुलसीदास जी ने अकबर को कभी राजा नहीं माना। अकबर को उदारवादी माना जाता था। उसने सोचा कि तुलसीदास को जबरन दबाया तो विरोध होगा। सो, उसने उन्हें नवरत्नों में शामिल करने का प्रस्ताव भेजा। अकबर के दूत ने जब उनसे कहा कि राजा ने बुलाया है तो तुलसीदास जी ने कहा कि वह सिर्फ राम को राजा मानते हैं।
इसके पहले कार्यक्रम के मुख्य वक्ता और उत्तर प्रदेश भाजपा के मुख्य वक्ता हृदय नारायण दीक्षित ने कहा कि योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने से यूपी का रसायन बदल रहा है। उन्होंने कहा कि मैंने लोगों का ऐसा उत्साह कभी नहीं देखा जैसा गोरखपुर में देखने को मिल रहा है। उन्होंने बाबा गम्भीरनाथ की योग पद्धति, गुरु गोरक्षनाथ की परंपरा और गोरक्षपीठ के सामाजिक सरोकारों पर व्याख्यान दिया।
महंत सुरेशदास ने किया राममंदिर निर्माण का आह्वान
दिगम्बर अखाड़ा के महंत सुरेश दास ने राममंदिर निर्माण का आह्वान किया। सुप्रीम कोर्ट के सुझाव का स्वागत करते हुए उन्होंने कहा कि बातचीत की जायेगी लेकिन वहां मस्जिद नहीं बन सकती। यदि विपक्षी पक्ष मान जाता है तो ठीक नहीं तो क़ानून बनाकर मंदिर निर्माण कराया जायेगा।
छह किताबों का विमोचन
कार्यक्रम में बाबा गम्भीरनाथ पर छह किताबों का विमोचन सीएम योगी आदित्यनाथ और अन्य अतिथियों ने किया।
मुख्य रूप से ये थे मौजूद
भाजपा के प्रदेश सह प्रभारी रामेश्वर चौरसिया, अयोध्या दिगम्बर अखाड़ा के महंत सुरेश दास, गोरखपुर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो पृथ्वीश नाग, सिद्धार्थ विश्वविद्यालय के कुलपति रजनीकांत पांडेय, महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के उपाध्यक्ष प्रो.यू. पी. सिंह।