नई दिल्ली: कांग्रेस सदस्य के.सी.वेणुगोपाल ने बुधवार को लोकपाल की नियुक्ति नहीं करने पर केंद्र सरकार पर निशाना साधा और सरकार की भ्रष्टाचार से लड़ने की मंशा पर सवाल उठाया। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष नहीं होने की वजह से लोकपाल की नियुक्ति का मुद्दा लंबे अर्से से लटका हुआ है और अलग प्रावधान बनाने के लिए विधेयक में संशोधन करना पड़ा।
सरकार ने हालांकि कहा कि लोकपाल विधेयक में संशोधन संसदीय समिति के समक्ष लंबित पड़ा है और समिति द्वारा इसे मंजूरी देने के बाद ही कानून में बदलाव किया जा सकता है।
प्रश्नकाल के तुरंत बाद इस मुद्दे को उठाते हुए वेणुगोपाल ने कहा, “लोकपाल की नियुक्ति का मुद्दा पिछले ढाई वर्षों से लटका हुआ है।
सरकार भ्रष्टाचार से निपटने से झूठे वादे कर सत्ता में आई। सरकार एक तरफ भ्रष्टाचार की बात कर रही है तो दूसरी तरफ इस तरह की संस्थाओं को कमजोर करने की कोशिश कर रही है।”
वित्तमंत्री अरुण जेटली ने कहा कि विधेयक संसदीय समिति के पास लंबित है। जेटली ने कहा, “स्थाई समिति के समक्ष एक संशोधन लंबित है। पहले स्थाई समिति की रपट आने दीजिए, हम उसका अनुसरण करेंगे।” शहरी विकास मंत्री एम.वेंकैया नायडू ने बुल्डोजिंग शब्द के इस्तेमाल पर आपत्ति जताई।
उन्होंने कहा, “संसद बहुमत की स्थिति में ही विधेयकों को पारित कर सकती है। कुछ सदस्य बुल्डोजिंग शब्द का इस्तेमाल कर रहे हैं, जो गलत है।”
इस दौरान कांग्रेस के एक अन्य नेता सुरेश कोडिकुन्निल ने अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अल्पसंख्यक आयोगों में सदस्यों की नियुक्ति नहीं होने पर सरकार की आलोचना की।
सामाजिक न्याय एवं अधिकारित मंत्री थावर चंद गहलोत ने कहा कि इन आयोगों में नियुक्तियों को लेकर तीन से 10 महीनों तक का अंतर रहता है। उन्होंने कहा, “हम सभी आयोगों का सम्मान करते हैं और इन्हें सशक्त करने के लिए कदम उठाए हैं। इनमें नियुक्तियों में तीन से 10 महीनों का अंतर रहता है।”गहलोत ने कहा कि सरकार जल्द ही पिछड़े वर्गो के लिए एक आयोग का गठन करेगी।