नई दिल्ली: सरकारी स्कूल में बच्चों को दिए जाने वाले मिडडे मील कार्यक्रम को लेकर बड़ा खुलासा सामने आया है। आधार कार्ड के जरिए इस योजना में देश के तीन राज्यों झारखंड, मणिपुर और आंध्र प्रदेश के 4.4 लाख फर्जी छात्रों का पता चला है। ये छात्र स्कूलों में नहीं थे लेकिन इनके मिडडे मील को लेकर सरकार पैसे भेजा करती थी।
देशभर के सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले 8वीं से 12वीं कक्षा के बच्चों को मिडडे मील योजना के तहत सरकार दोपहर का भोजन मुफ्त उपलब्ध कराती है। हाल ही में केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने छात्रों के मिडडे मील योजना को लेकर आधार कार्ड अनिवार्य कर दिया।
आधार कार्ड के नंबर अनिवार्य करने को लेकर कई संगठनों और कार्यकर्ताओं ने विरोध का सुर बुलंद किया।
उनका कहना था कि इससे कई छात्र मिडडे मील योजना का फायदा उठाने से वंचित हो जाएंगे। इस बीच खुलासा हुआ है कि 12 अंकों वाले आधार कार्ड के नंबर अनिवार्य होने के बाद झारखंड, मणिपुर और आंध्र प्रदेश में 4.4 लाख छात्र फर्जी निकले। इन छात्रों के लिए फंड की व्यवस्था सरकार कर रही थी, जबिक ये छात्र स्कूल में मौजूद ही नहीं थे।
2015-16 और 2016-17 के आंकड़े मानव संसाधन मंत्रालय के सामने आए हैं जिसमें खुलासा हुआ है कि झारखंड, मणिपुर और आध्र प्रदेश के कई स्कूलों में फर्जी तरीके से छात्रों के नाम जोड़े गए थे। ये स्कूल मिडडे मील को लेकर फंड की चाहत में फर्जी छात्रों के नाम रजिस्टर में जोड़े हुए थे। आंकड़ों पर गौर करें तो आंध्र प्रदेश के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले 29 लाख छात्र आधार कार्ड के जरिए जोड़े गए थे। हालांकि बाद में पता चला कि 2.1 लाख बच्चे कागजी तौर पर इसमें शामिल थे।
मानव संसाधन मंत्रालय के एक अधिकारी के अधिकारी ने बताया कि हम लगातार इस पर काम कर रहे हैं कि सभी राज्यों के आंकड़ों को एकट्ठा किया जा सके, जिससे पता चल सके कि आखिर कितने छात्रों के नाम फर्जी तरीके से इस योजना में शामिल हैं। अधिकारी ने बताया कि आधार नंबर के जरिए अन्य राज्यों के आंकड़े सामने आने के बाद माना जा रहा है कि फर्जी छात्रों की संख्या में इजाफा हो सकता है। झारखंड में 2.2 लाख छात्र ऐसे थे जो कागजी तौर पर शामिल थे। इनके नाम स्कूल के रिकॉर्ड से गायब कर दिए गए हैं। मणिपुर स्कूल पर गौर करें तो यहां फर्जी छात्रों की संख्या 1500 मिली है।