नयी दिल्ली। 13 प्वाइंट रोस्टर के जरिये विश्वविद्यालयों में नियुक्ति को लेकर देश भर में जारी आंदोलन के बाद केंद्र ने 200 प्वाइंटर को हरी झंडी दे दी। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कैबिनेट मीटिंग के बाद गुुरुवार को यह जानकारी दी कि केंद्रीय कैबिनेट ने यह महत्वपूर्ण फैसला लिया है, ताकि आरक्षित श्रेणी के एससी, एसटी और ओबीसी को विश्वविद्यालय फैकल्टी में नौकरी के लिए समुचित प्रतिनिधितित्व मिल सके।

इस अध्यादेश में विभाग या विषय की बजाय विश्वविद्यालय या कॉलेज को इकाई माना गया है। इस निर्णय से शिक्षक कैडर में सीधी भर्ती के तहत पांच हजार से अधिक रिक्तियों को भरते समय यह सुनिश्चित किया जा सकेगा कि इससे संविधान के अनुच्छेद 14, 16 और 21 का पूरी तरह से अनुपालन हो सके और जिससे अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए नियत आरक्षण प्रावधान का पालन हो सके।

इस विषय पर छात्रों और शिक्षक संगठनों ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया था। इन संगठनों की ओर से सरकार से आग्रह किया गया था कि शिक्षक पदों में आरक्षण इकाई के रूप में कॉलेजों एवं विश्वविद्यालयों में 200 प्वाइंट की रोस्टर प्रणाली को बहाल करने के लिए अध्यादेश लाया जाये।

मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने मंगलवार को अश्वासन दिया था कि केंद्र सरकार शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण रोस्टर बहाल करने को प्रतिबद्ध है और इस संबंध में किसी विरोध प्रदर्शन की जरूरत नहीं है। विश्वविद्यालय आरक्षण रोस्टर को लेकर यह विवाद उस समय शुरू हुआ था, जब इलाहाबाद हाइकोर्ट ने अपने एक फैसले में आरक्षण रोस्टर का निर्धारण विवि को यूनिट मानकर तय करने की बजाय विभाग को यूनिट मानकर तय करने का निर्देश दिया था। इसके बाद यूजीसी ने सभी विवि को आदेश जारी कर विभागवार आरक्षण रोस्टर तैयार करने का निर्देश दिया था।

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