भारत समेत कई मुल्कों ने अपने यहां लॉकडाउन कर रखा है.
दक्षिण कोरिया में 129 लोगों की मौत हुई है, जबकि सिर्फ 59 मरीज अभी भी गंभीर हैं. लेकिन पहले हालात ऐसे नहीं थे. 8-9 मार्च को पूरे देश में 8,000 संक्रमित मिले थे, लेकिन बीते दो दिनों में यहां सिर्फ 12 नए मामले मिले हैं. चौंकाने वाली बात है कि पहला मामला मिलने से आज तक यहां न लॉकडाउन हुआ और न ही बाजार बंद हुए.
दक्षिण कोरिया एक अलग ही कहानी दुनिया के सामने लेकर हाज़िर है. एक वक़्त था, जब चीन के बाद सबसे ज़्यादा संक्रमितों की संख्या इसी मुल्क में थी, लेकिन देखते ही देखते दक्षिण कोरिया ने हालात पर क़ाबू पा लिया. ताइवान के बाद दक्षिण कोरिया ने जिस तरह कोरोनावायरस से लड़ाई लड़ी, उसे आज पूरी दुनिया में मॉडल माना जा रहा है.
आज दक्षिण कोरिया कोरोना संक्रमित देशों की सूची में 8वें पायदान पर खड़ा है. वहां रोज़ाना सामने आने वाले मामलों में भारी कमी दर्ज हो रही है. अब तक यहां संक्रमण के 9,037 मामले मिले हैं, जिनमें से 3500 से ज़्यादा लोगों को ठीक करने में दक्षिण कोरिया ने क़ामयाबी हासिल कर ली.
दक्षिण कोरिया के विदेश मंत्री कांग युंग वा बताते हैं कि जल्द टेस्ट और बेहतर इलाज की वजह से ही मामले कम हुए और इसीलिए मौतें भी कम हुईं. दक्षिण कोरिया ने शुरुआती दिनों में ही कोरोनावायरस के ख़तरे को भांप लिया और आनन-फानन में देश के हर हिस्से में टेस्ट सेंटर्स खोले गए.
सरकार के मुताबिक़ देश में 600 से ज़्यादा परीक्षण केंद्र खोले गए. इसके अलावा 50 से ज्यादा ड्राइविंग स्टेशनों पर स्क्रीनिंग की. रिमोट टेम्परेचर स्कैनर के ज़रिए लोगों के शरीर के तापमान की जांच की.
इसके लिए लोगों तक पहुंचने की भी ज़रूरत नहीं थी. दूर से ही हर व्यक्ति के शरीर का तापमान नापा गया और जिसमें भी बुखार के लक्षण दिखे, उसे फौरन मेडिकल सहायता के लिए आइसोलेट कर दिया गया. दक्षिण कोरिया ने संदिग्धों पर काफी सख़्ती बरती. पूरे देश को जांच के लिए प्रोत्साहित किया. हर संदिग्ध व्यक्ति के गले की ख़राबी जांची, जिसमें महज 10 मिनट लगे. एक घंटे के अंदर हर व्यक्ति को जांच रिपोर्ट मिल जाए, ऐसी व्यवस्था की गई. सरकार के मुताबिक़ वहां हर जगह पारदर्शी फोनबूथ को टेस्टिंग सेंटर में तब्दील किया गया.
दक्षिण कोरिया के विशेषज्ञों ने लोगों को संक्रमण से बचने के लिए हाथों के इस्तेमाल का तरीका भी सिखाया. इसमें अगर व्यक्ति दाएं हाथ से काम करता है, तो उसे मोबाइल चलाने, दरवाजे का हैंडल पकड़ने और हर छोटे-बड़े काम में बाएं हाथ का इस्तेमाल करने की सलाह दी गई. इसी तरह बाएं हाथ से ज़्यादातर काम करने वालों को दाएं हाथ के इस्तेमाल के लिए कहा गया. ऐसा इसलिए क्योंकि व्यक्ति जिस हाथ का ज़्यादा इस्तेमाल रोज़मर्रा के कामों के लिए करता है, वही हाथ सबसे पहले चेहरे पर भी जाता है. यह तकनीक बेहद कारगर रही और इसी के चलते सोशल मीडिया और व्हॉट्सएप पर तेज़ी से वायरल भी हुई.
जनवरी में पहला केस सामने आने के बाद सबसे पहले दवा कंपनियों के साथ मिलकर टेस्टिंग किट का उत्पादन बढ़ाया. दो हफ्तों में जब संक्रमण के मामले बढ़े, तो तेज़ी से हर जगह टेस्टिंग किट की उपलब्धता सुनिश्चित की. आज दक्षिण कोरिया में रोजाना 1 लाख टेस्टिंग किट बन रही हैं. अब 17 देशों में इनका निर्यात भी शुरू होने जा रहा है.