रांची। डीवीसी के साथ बकाया राशि को लेकर जारी गतिरोध को दूर करने का ऊर्जा विकास निगम लिमिटेड के प्रयास को सफलता मिली है। ऊर्जा विकास निगम लिमिटेड के सीएमडी एल ख्यांग्ते ने शनिवार को डीवीसी के अधिकारियों संग मैराथन बैठक की। बैठक के बाद बिजली बहाल करने पर सहमति बन गयी। डीवीसी ने सभी सात जिलों में बिजली बहाल कर दी है। जेबीवीएनएल अधिकारियों के साथ समझौता हो गया है। इसको लेकर एमओयू साइन हो गया। हर महीने नियमित बकाया 170 करोड़ देने पर सहमति बनी। वहीं डीवीसी को 400 करोड़ रुपये का भुगतान कर दिया गया है।
बता दें कि 400 करोड़ रुपये झारखंड सरकार से वसूल करने के बाद भी डीवीसी बिजली कटौती वापस लेने का तैयार नहीं था। डीवीसी ने 18 के बजाय 12 घंटे बिजली की कटौती पर सहमति दी थी। नये शिड्यूल के मुताबिक अब हर तीन घंटे के बाद तीन घंटे के लिए बिजली काटी जा रही थी। जबकि पहले हर दो घंटे के बाद छह घंटे के लिए बिजली काटी जा रही थी।
जेबीवीएनएल डीवीसी से बिजली खरीदकर अपने उपभोक्ताओं को आपूर्ति करती है। डीवीसी ने नवंबर 2019 तक बकाया मद में जेबीवीएनएल पर 4955 करोड़ रुपये का दावा ठोका है। बकाया वसूली के लिए डीवीसी ने होली के दिन से ही झारखंड के सात जिलों धनबाद, रामगढ़, हजारीबाग, कोडरमा, चतरा, गिरिडीह और बोकारो में बिजली की कटौती शुरू कर दी। 18 घंटे की कटौती। हर दो घंटे के बाद छह घंटे बिजली गुल। इससे झारखंड में अभूतपूर्व बिजली संकट हो गया। चारों ओर अंधकार, हाहाकार मच गया। इसके विरोध में जगह-जगह उग्र प्रदर्शन होने लगे। विपक्ष ने गठबंधन सरकार पर हमला बोल दिया। वहीं, सरकार और इसके मंत्रियों ने इसे केंद्र की साजिश करार दिया। इसके बाद समस्या का हल निकालने के लिए जेबीवीएनएल ने डीवीसी को 400 करोड़ रुपये का भुगतान कर दिया। कोषागार के जरिए फंड ट्रांसफर करने के बाद जेबीवीएनएल ने डीवीसी से बिजली आपूर्ति सुचारू करने के लिए पत्र लिखा। इसके बावजूद डीवीसी का रवैया अभी तक सख्त बना हुआ था।

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