रांची। झारखंड के अलग-अलग जिलों के रहनेवाले बेरोजगार युवकों से नौकरी दिलाने के नाम पर करोड़ों रुपये की ठगी करनेवाला युवक शेखर कुमार को लालपुर पुलिस ने शनिवार को जेल भेज दिया। पूछताथ के क्रम में शेखर ने यह स्वीकार किया कि वह खुफिया विभाग के अधिकारी होने का फरजी आइ कार्ड बनाया था। उसे दिखाकर ही बेरोजगारों को झांसा देता था। वह हजारीबाग, रांची, पलामू, कोडरमा, लातेहार, इलाके के युवकों से ठगी कर चुका है।
हर युवक से ढाई से पांच लाख रुपये लिये हैं। लालपुर थाना प्रभारी अरविंद कुमार के समक्ष उसने स्वीकार किया कि वह पहले कोयले के कारोबार से भी जुड़ा था। बड़कागांव में उसकी पहचान एक लड़की से हुई, जिससे उसने शादी कर लिया था। बाद में दोनों का तलाक भी हो गया। इसके बाद वह रांची आया और कई राजनेताओं से मिला। वह राजनीति के क्षेत्र में पहचान बनाना चाहता था। कई लोगों से पहचान भी हुई और कई ठेकेदारों को काम भी दिलाया। बाद में वह नौकरी दिलाने के नाम पर बेरोजगारों से पैसा भी लेने लगा। वह दिल्ली यूनिवर्सिटी से राजनीति विज्ञान की पढ़ाई कर चुका है।
साल भर पहले पकड़ा था सदर पुलिस ने: जिन युवकों से वह ठगी कर चुका है, वे उसे एक दिन सदर थाना इलाके में खोजते पहुंचे और उसका घर ढूंढ निकाला। युवकों को देख शेखर कुमार घर से बाहर निकला और अपनी गाड़ी उन्हें बिठाया और शहर के दूसरे इलाके में ले जाने लगा।
इसी बीच उसके परिवार के किसी सदस्य ने पुलिस को खबर कर दी कि शेखर का अपहरण कर लिया है। सदर पुलिस ने शेखर की गाड़ी में बैठे युवकों को पकड़ा और थाने ले गयी। युवकों को थाना हाजत में बंद कर दिया गया। तैयारी अपहरण के केस की थी। सदर पुलिस के जूनियर अधिकारियों ने पीड़ित छात्रों को ही हड़काया।
पैसा देकर छुटे थे पीड़ित: 26 फरवरी 2019 को पीड़ित युवक सदर पुलिस के जूनियर अधिकारियों को अठ हजार रुपया देकर छुटे थे। उनसे 10 हजार रुपये की मांग की गयी थी। पैसा नहीं देने पर अपहरण के केस में जेल भेजने की धमकी दी गयी थी। पीड़ित पुलिस को बता रहे थे कि करीब 25 लाख रुपये शेखर में ठगा है। शहर में कहीं बैठकर बात करने के लिए वह खुद ले जा रहा था। युवक आरोप लगा रहे थे कि शेखर से पुलिस ने दो लाख रुपये वसूल कर छोड़ दिया था। दोनों के बीच थाना में समझौता भी कराया गया था। अगर उस समय कार्रवाई हो गयी होती, तो ठगी के शिकार होने से कई युवक बच सकते थे।
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