दयानंद राय
रांची। झारखंड की गरीबी पर मोबाइल का क्रेज भारी है। यह राज्य की सच्चाई है। वजह चाहे जरूरत हो या फिर शौक झारखंड में मोबाइल धारकों की संख्या बढ़ती जा रही है। झारखंड आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार राज्य में 2,61,91,903 लोग मोबाइल का उपयोग करते हैं। जबकि राज्य की कुल आबादी लगभग 3.30 करोड़ है। वहीं ओपीएचआई और यूएनडीपी की वैश्विक बहुआयामी गरीबी इंडेक्स रिपोर्ट कहती है कि वर्ष 2015-16 में झारखंड के 46.5 फीसदी यानि 1.62 करोड़ लोग गरीब थे। इस रिपोर्ट की अच्छी बात यह है कि वर्ष 2005-06 से तुलना करें तो झारखंडी में बहुआयामी गरीबी कम हुई है। वर्ष 2005-06 में इसका प्रतिशत 74.9 फीसदी था जो घटकर 46.5 फीसदी हो गया। इस रिपोर्ट का उल्लेख झारखंड आर्थिक सर्वे 2019-20 में भी किया गया है।
रोजगार के अवसर सृजित न होना गरीबी का बड़ा कारण
सरला बिरला यूनिवर्सिटी के डीन और मैनेजमेंट के प्रोफेसर संजीव बजाज ने बताया कि झारखंड में गरीबी का बड़ा कारण रोजगार के पर्याप्त अवसर सृजित नहीं होना है। यहां की लगभग 75 फीसदी आबादी रोजगार के लिए कृषि पर निर्भर है। ऐसे में उसकी आय कम है। झारखंड में कृषि जोत छोटी है जिससे यहां मैकेनाइज्ड कृषि संभव नहीं हो पाती। इससे भी किसानों को आय कम होती है। गुजरात में दूध के क्षेत्र में को-आॅपरेटिव मूवमेंट से न सिर्फ किसानों की आय बढ़ी बल्कि वहां खुशहाली आयी। झारखंड में भी ऐसा कोई मूवमेंट शुरू किया जाना चाहिए। एक दूसरा रास्ता तीव्र औद्योगिकीकरण का है। इसके अलावा यहां सीजनल टूरिज्म को बढ़ावा दिया जा सकता है।
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