हरियाणा में मुख्यमंत्री मनोहर लाल के नेतृत्व वाली भाजपा-जजपा सरकार ने बुधवार को विधानसभा में विश्वास मत हासिल कर लिया। कृषि कानूनों के मुद्दे पर नेता प्रतिपक्ष एवं पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा द्वारा सरकार के खिलाफ लाया गया अविश्वास प्रस्ताव विधानसभा में गिर गया। 88 विधायकों वाली हरियाणा विधानसभा में बहुमत के लिए 45 वोटों की जरूरत थी। 
 
सदन में चर्चा से पहले भाजपा, कांग्रेस व जजपा ने व्हिप जारी कर सभी विधायकों को सदन में मौजूद रहने के निर्देश दिए थे। नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने पांच मार्च को सत्र की शुरुआत के समय कृषि कानून के खिलाफ पिछले साल लाकडाउन के दौरान हुए शराब घोटाले, रजिस्ट्री घोटाले तथा जहरीली शराब से 47 मौतों समेत 10 मुद्दों को आधार बनाकर अविश्वास प्रस्ताव दिया था जिस पर बुधवार को सदन में चर्चा हुई। 
 
चर्चा के दौरान सदन में भाजपा-जजपा तथा कांग्रेस के बीच जमकर बहस हुई। करीब छह घंटे की चर्चा के दौरान कांग्रेस के विधायक कई बार अपनी कुर्सियों से उठकर स्पीकर की वेल की तरफ बढ़े। सदन में भारी हंगामे ओर बहस के बाद स्पीकर ज्ञान चंद गुप्ता ने सदन को प्रस्ताव के बारे में जानकारी दी। काफी शोरगुल व हंगामे के बीच सदन में अविश्वास प्रस्ताव पर हुई वोटिंग के दौरान भाजपा-जजपा गठबंधन को 55 तथा कांग्रेस को 32 वोट मिले। इसके बाद स्पीकर ज्ञान चंद गुप्ता ने ऐलान किया कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने एक बार फिर से सदन में विश्वास मत हासिल कर लिया है।
 
सदन में कैसे बने समीकरण
हरियाणा विधानसभा में कुल 90 विधायक हैं। ऐलनाबाद के विधायक अभय चौटाला ने 27 जनवरी को कृषि कानूनों के विरोध के इस्तीफा दे दिया था। हिमाचल के नालागढ़ की अदालत द्वारा कालका के विधायक प्रदीप चौधरी को सजा सुनाए जाने के बाद स्पीकर द्वारा 30 जनवरी को उनकी सदस्यता रद्द कर दी गई। 88 सदस्यों वाली विधानसभा में विश्वास का मत हासिल करने के लिए 45 विधायकों की जरूरत है। स्पीकर का एक वोट कम होने के बाद विश्वास मत के दौरान सदन में सरकार के पक्ष में भाजपा के 39 तथा जजपा के 10 विधायकों के अलावा हरियाणा लोकहित पार्टी के एक तथा पांच निर्दलीय विधायकों के वोट मिले। पंचकूला के विधायक ज्ञान चंद गुप्ता स्पीकर होने के चलते वोटिंग में शामिल नहीं हुए। अविश्वास प्रस्ताव के समर्थन और सरकार के विरुद्ध विपक्ष को कांग्रेस के 30 और दो निर्दलीय विधायकों का वोट मिला। 
 
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