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    Home»Breaking News»जंगी बेड़े में ‘चीता’ की जगह लेगा स्वदेशी एलयूएच
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    जंगी बेड़े में ‘चीता’ की जगह लेगा स्वदेशी एलयूएच

    sonu kumarBy sonu kumarMarch 25, 2021No Comments3 Mins Read
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    लद्दाख की वादियों में आखिरी परीक्षण के दौरान खरे उतरे स्वदेशी लाइट यूटिलिटी हेलीकॉप्टर (एलयूएच) आखिरकार लम्बे इन्तजार के बाद सशस्त्र बलों के बेड़े का हिस्सा बनने के लिए तैयार हैं। सरकार ने एचएएल को 12 एलयूएच का पहला ऑर्डर दे दिया है. जिसमें क्रमशः छह-छह हेलीकॉप्टर सेना और वायुसेना को मिलेंगे। पहला ​हेलीकॉप्टर अगले साल अगस्त तक मिलेगा और बाकी​ स्वदेशी हल्के हेलीकॉप्टरों की आपूर्ति 2022 तक होगी। इसी के साथ अब वायुसेना के बेड़े से चीता हेलीकॉप्टरों को रिटायर करने का रास्ता साफ हो गया है।
     
    भारत और चीनी सेनाओं के बीच सैन्य गतिरोध के बीच हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) ने 19 अगस्त, 2020 को दो स्वदेशी लाइट यूटिलिटी हेलीकॉप्टर लद्दाख की वादियों में उड़ान भरने के लिए भेजे थे। अपने आखिरी परीक्षण में एलयूएच भारतीय वायुसेना और सेना के लिए पूरी तरह खरे उतरे हैं। चीन सीमा पर चल रहे टकराव के चलते गर्म आसमानी माहौल में एलयूएच ने अपने अंतिम परीक्षण पूरे किये। इस दौरान हिमालय के गर्म और उच्च मौसम की स्थिति में उड़ान भरने के साथ ही उच्च ऊंचाई वाले हेलीपैड पर लैंडिंग करने की क्षमता का भी सफलतापूर्वक प्रदर्शन किया। परीक्षण के दौरान स्वदेशी लाइट यूटिलिटी हेलीकॉप्टर (एलयूएच) ने लेह में 3300 मीटर की ऊंचाई पर अंतरराष्ट्रीय मानक वातावरण 32 डिग्री सेल्सियस तापमान पर उड़ान भरी। 
     
    परीक्षण के दौरान लेह से उड़ान भरकर 5000 मीटर की ऊंचाई पर दौलत बेग ओल्डी के एडवांस्ड लैंडिंग ग्राउंड पर उतरने का प्रदर्शन किया। इसके बाद एक अन्य अग्रिम हेलीपैड पर 5500 मीटर की ऊंचाई पर 27 डिग्री सेल्सियस तापमान में इसका प्रदर्शन किया गया। इस दौरान सियाचिन ग्लेशियर में अति-ऊंचाई वाले हेलीपैड पर पायलेट्स ने उतारकर पेलोड क्षमता जांची। एलयूएच ने परीक्षण के दौरान लद्दाख की वास्तविक नियंत्रण रेखा पर भी उड़ान भरकर अपनी उपयोगिता साबित की। इससे पहले हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) ने खुद पिछले साल 24 अगस्त से दो सितम्बर के बीच दुनिया के सबसे ऊंचे हवाई क्षेत्र दौलत बेग ओल्डी में इनका परीक्षण किया था। यह परीक्षण भारतीय वायुसेना और थलसेना की निगरानी में किए गये थे और उस समय भी परीक्षण में सफल रहे थे। 
     
    परीक्षण के दौरान हेलीकॉप्टर ने बेंगलुरू से लेह के बीच तीन दिनों में 3000 किलोमीटर लंबी उड़ान भरी और इस दौरान यह कई नागरिक व सैन्य एयरफील्ड से गुजरा। एलयूएच ने 2018 में नागपुर और चेन्नई के गर्म मौसम में, 2019 में जम्मू-कश्मीर के ठंडे वातावरण में और पुडुचेरी में 2019 में समुद्र स्तरीय परीक्षण पूरा किया है। एचएएल के निदेशक (इंजीनियरिंग एंड रिसर्च) अरूप चटर्जी के मुताबिक अंतिम परीक्षण में सेनाओं की जरूरत के लिहाज से सफल उपयोगी प्रदर्शन किया है। इन परीक्षणों के दौरान एचएएल की ओर से विंग कमांडर (रिटायर्ड) उन्नी पिल्लई, विंग कमांडर (रिटायर्ड) अनिल भाम्बानी, ग्रुप कैप्टन  (रिटायर्ड) पुपिंदर सिंह, भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन वी पंवार, आर दुबे स्क्वाड्रन लीडर जोशी तथा भारतीय सेना की ओर से लेफ्टिनेंट कर्नल ग्रेवाल और पवन शामिल रहे।
     
    सरकार ने एचएएल को फिलहाल 12 एलयूएच का पहला ऑर्डर दिया है लेकिन कुल 187 हेलीकॉप्टरों का उत्पादन होना है। इनमें 126 हेलीकॉप्टर भारतीय सेना को और 61 हेलीकॉप्टर वायुसेना को मिलेंगे। इसके साथ ही अब तक वायुसेना के कई मोर्चों में शामिल रहे चीता हेलीकॉप्टर की 40 साल बाद विदाई करके उनकी जगह जंगी बेड़े में स्वदेशी एलयूएच को शामिल करने का रास्ता साफ हो गया है। वायुसेना की फ़्लाइट लेफ़्टिनेंट गुंजन सक्सेना ने इसी चीता हेलीकॉप्टर से कारगिल वार में पाकिस्तानियों के छक्के छुड़ाए थे।
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