OTT प्लेटफॉर्म्स के खिलाफ अलग-अलग हाई कोर्ट में लंबित मामलों की सुनवाई पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है. कोर्ट ने कहा है कि वह सभी मामलों की एक साथ सुनवाई की मांग पर विचार करेगा. यह मांग केंद्र सरकार ने की है. केंद्र का कहना है कि सभी मामलों को एक साथ सुप्रीम कोर्ट में सुना जाना चाहिए.

 

सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिकाओं में OTT प्लेटफॉर्म पर निगरानी और नियंत्रण के लिए स्वायत्त संस्था के गठन की मांग की गई है. इसी सुनवाई के दौरान केंद्र ने जानकारी दी कि इसी तरह की याचिकाएं कई हाई कोर्ट में लंबित हैं. उनमें अलग-अलग कार्यक्रमों पर आपत्ति जताने के अलावा विस्तृत नियम बनाने की भी मांग की गई है. इस पर सुप्रीम कोर्ट सभी मामलों की अपने यहां सुनवाई की मांग पर विचार करने को सहमत हो गया.

 

केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर बताया है कि उसने 5 फरवरी को आईटी इंटरमीडियरी रूल्स जारी किए हैं. इसके तहत OTT प्लेटफॉर्म को आत्मनियंत्रण का मौका दिया गया है. कार्यक्रमों पर नियंत्रण के शुरुआती 2 स्तर खुद OTT पकेटफॉर्म और उनकी तरफ से बनाई गई स्वायत्त संस्था से जुड़े हैं. अगर यह किसी दर्शक की शिकायत का समाधान न कर सकें तो मामला सरकार के पास आएगा. उसे अंतर-मंत्रालयीय (अलग-अलग मंत्रालयों के अधिकारियों की) कमिटी देखेगी. चूंकि, व्यवस्था बनाए दी गई है. इसलिए कोर्ट याचिकाओं पर आगे विचार न करे.

 

हालांकि, याचिकाकर्ता जस्टिस फ़ॉर राइट्स फाउंडेशन और शशांक शेखर झा इससे सहमत नहीं हैं. उनका कहना है कि उन्होंने कार्यक्रमों के प्रसारण से पहले उन्हें देख कर अनुमति देने वाली स्वतंत्र संस्था की मांग की है. वैसी ही जैसे फिल्मों के लिए केंद्रीय फ़िल्म प्रमाणन बोर्ड (CBFC) है. सरकार ने किसी कार्यक्रम के प्रसारण के बाद शिकायत की जो लंबी प्रक्रिया बनाई है, उससे कोई खास फायदा नहीं होगा.

 

सुप्रीम कोर्ट की एक दूसरी बेंच भी वेब सीरीज़ ‘तांडव’ से जुड़े एक मामले को सुनते हुए सरकार के नए नियमों को नाकाफी बता चुकी है. तब कोर्ट ने कहाथा कि बिना दंड का प्रावधान किए नियम प्रभावी नहीं हो सकते. सरकार को दंड का प्रावधान करते हुए उचित कानून बनाने पर विचार करना चाहिए.

 

साफ है कि सरकार के नियम बना देने से मामला खत्म नहीं हुआ है. न तो इनसे याचिकाकर्ता संतुष्ट हैं, न सुप्रीम कोर्ट. ऐसे में यह तय माना जा रहा है कि OTT को लेकर देश भर में लंबित सभी मामलों की एक साथ सुप्रीम कोर्ट में विस्तृत सुनवाई होगी.

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