पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव की गहमागहमी के बीच पूर्व केंद्रीय वित्त एवं विदेश मंत्री यशवंत सिन्हा शनिवार को तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) में शामिल हो गए। सिन्हा ने टीएमसी के कार्यालय में पार्टी की सदस्यता ग्रहण की। बागी तेवर अपनाने वाले सिन्हा ने वर्ष 2018 में भाजपा से इस्तीफा दे दिया था।
लोकसभा में टीएमसी संसदीय दल के नेता सुदीप बंदोपाध्याय और वरिष्ठ नेता एवं राज्य सरकार के मंत्री सुब्रत मुखर्जी ने सिन्हा को पार्टी का झंडा देकर स्वागत किया। इस मौके पर टीएमसी के राज्यसभा सदस्य डेरेक ओ’ ब्रायन भी मौजूद थे।
सिन्हा ने कहा कि हम सभी परिचित हैं कि प्रजातंत्र की ताकत प्रजातंत्र की संस्थाएं हैं। आज हर संस्थाएं कमजोर हो गई हैं। इसलिए सरकार के मनमाने पर अंकुश लगाने वाला कोई नहीं है। प्रजातंत्र का मतलब यह नहीं होता है कि पांच साल पर चुनाव करा लें। उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि किसी को कोई चिंता नहीं है। आज इस देश का किसान उद्वेलित है। किसान अन्नदाता है, दिल्ली की सरहद पर बैठा है और किसी को कोई चिंता नहीं है। सत्तारूढ़ पार्टी का एक ही मकसद है कि जहां भी चुनाव हो, उसे जीतना जरूरी है। अटलजी की पार्टी और आज की पार्टी में जमीन और आसमान का अंतर है। अटलजी सर्वसम्मति पर विश्वास करते थे। आज की सरकार दबाने में विश्वास करती है। जो लोग विश्वास करते हैं कि देश में प्रजातंत्र रहनी चाहिए। उन्हें साथ आने की जरूरत है। ममता बनर्जी शुरू से ही फाइटर रही हैं। बंगाल में चुनाव में टीएमसी बहुत बहुमत से सत्ता में वापस आएगी। बंगाल से देश में संदेश जाए कि देश बर्दाश्त नहीं करेगा। मोदी और शाह देश चला रहे हैं। उसे देश बर्दाश्त नहीं करेगा। ‌बंगाल के भविष्य के लिए यह चुनाव महत्वपूर्ण है। देश के भविष्य के लिए यह चुनाव महत्वपूर्ण है। 2024 के परिवर्तन का रास्ता बंगाल से होकर गुजरेग। सिन्हा ने कहा कि तृणमूल कांग्रेस बहुमत से जीतेगी और 2024 के परिवर्तन का रास्ता बंगाल से होकर गुजरेगा।
उल्लेखनीय है कि सिन्हा अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में वित्त एवं विदेश मंत्री रह चुके हैं। सिन्हा झारखंड के हजारीबाग से कई बार सांसद रह चुके हैं। अभी इस सीट से उनके पुत्र जयंत सिन्हा भाजपा के सांसद हैं।
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