रांची। राज्य सरकार के मॉब लिचिंग निवारण विधेयक को राजभवन ने लौटा दिया है। राजभवन ने कहा है कि इस विधेयक को सही तरीके से परिभाषित नहीं किया गया है। सरकार से साफ तौर पर कहा गया है कि भीड़ को सही तरीके से परिभाषित करें। इसमें हिंदी और अंग्रेजी के प्रारूप में कई अंतर भी बताया गया है।

बताया जाता है कि इससे पहले भी राज्यपाल रमेश बैस ने विधेयक पर विधि परामर्श लिया था। दरअसल, विधेयक में दो या दो से अधिक व्यक्तियों के समूह को भीड़ कहा गया है। इसी पर राजभवन ने आपत्ति जताते हुए इसे सही ढंग से परिभाषित कर सुधार करने की बात कही है।

उल्लेखनीय है कि झारखंड विधानसभा ने 21 दिसंबर को शीतकालीन सत्र के दौरान इस विधेयक को स्वीकृति दी थी। इसमें प्रावधान किया गया कि किसी का सामाजिक या व्यवसायिक बहिष्कार करना भी भीड़ हिंसा कहलाएगा। दो या दो से अधिक लोगों द्वारा हिंसा करने पर इसे कानून की नजरों में भीड़ द्वारा किया गया हिंसा माना जाएगा। इसमें किसी व्यक्ति की मौत होने पर दोषी को आजीवन कारावास और पांच से 25 लाख तक के जुर्माना की सजा का प्रावधान किया गया है।

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