-मुख्यमंत्री उत्कृष्ट विद्यालय के प्रबंधन समिति के सदस्यों का राज्य स्तरीय सम्मेलन में हुए शामिल
आजाद सिपाही संवाददाता
रांची। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा है कि हमारी सोच है कि प्रतिस्पर्धा के इस युग में हमारे सरकारी विद्यालयों के बच्चे निजी विद्यालयों या बड़े शहरों के विद्यालयों के बच्चों से किसी भी क्षेत्र में कम न रहें। हमारी सरकार ने राज्य में सरकारी विद्यालयों में अध्ययनरत छात्र-छात्राओं को क्वालिटी एजुकेशन उपलब्ध कराने का संकल्प लिया है। पहले चरण में 80 उत्कृष्ट विद्यालयों में सीबीएसइ की तर्ज पर हमारे बच्चों को शिक्षा मिलनी शुरू हो चुकी है। आनेवाले समय में राज्य में 4000 से अधिक सरकारी विद्यालयों में यह व्यवस्था लागू की जायेगी। आने वाली पीढ़ी को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देकर उन्हें बौद्धिक तथा सामाजिक रूप से मजबूत बनाया जायेगा। मुख्यमंत्री सोमवार को खेलगांव स्थित टाना भगत स्टेडियम में उत्कृष्ट विद्यालय की प्रबंधन समिति के सदस्यों के राज्य स्तरीय सम्मेलन में बोल रहे थे। कार्यक्रम का आयोजन झारखंड शिक्षा परियोजना परिषद द्वारा किया गया था।
विकसित राज्य की परिकल्पना शिक्षित राज्य से:
मुख्यमंत्री ने कहा कि विकसित राज्य की परिकल्पना शिक्षित राज्य से ही पूरी होगी। जो राज्य शिक्षित होता है, उसे किसी के सहारे की जरूरत नहीं पड़ती है। उन्होंने केरल राज्य का उदाहरण पेश करते हुए अपने अनुभव साझा किये। मुख्यमंत्री ने कहा कि ईश्वर ने हमारे राज्य को प्राकृतिक संसाधनों के साथ-साथ प्राकृतिक सुंदरता से भी नवाजा है। हमारे राज्य में कोई कमी नहीं है, बस थोड़ा हम सभी और आनेवाले पीढ़ी को जागरूक होने की आवश्यकता है। समय के साथ-साथ स्वत: सभी चीजें सुधरेंगी और हमारा राज्य तेज गति से आगे बढ़ेगा।
खेलकूद के साथ शिक्षा में भी लहरायेंगे परचम:
हेमंत सोरेन ने कहा कि हमारे बच्चे किसी भी क्षेत्र में पीछे नहीं हैं, जरूरत है कि हम उन्हें संसाधनों के साथ जोड़ें। जो बच्चे-बच्चियां पिछड़ापन और गरीबी के कारण संसाधनों के अभाव में आगे नहीं बढ़ पा रहे हैं, वैसे बच्चे-बच्चियों को आगे बढ़ाने के लिए हमारी सरकार कृतसंकल्पित है। झारखंड के बच्चे-बच्चियों ने खेल के क्षेत्र में देश और दुनिया में झारखंड का नाम रोशन किया है। हमारी सरकार का प्रयास है कि खेल के साथ-साथ अब हमारे बच्चे देश के अंदर शिक्षा के क्षेत्र में भी अपना परचम लहरायें। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के वैसे बच्चे, जो स्कूली शिक्षा से आगे बढ़ कर इंजीनियरिंग, मेडिकल सहित अन्य स्ट्रीम में पढ़ाई करना चाहते हैं, उन्हें राज्य सरकार आर्थिक मदद देते हुए पढ़ाई में होने वाले सभी खर्चों का वहन करेगी। देश में पहली बार इस राज्य ने अपने बच्चों को उच्चतर शिक्षा के लिए विदेशों में पढ़ाई करने के लिए 100 प्रतिश्त स्कॉलरशिप प्रदान की है।
प्रबंधन समिति की भूमिका महत्वपूर्ण:
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य की स्कूली व्यवस्था प्रबंधन समिति की देख-रेख में चलती है। स्कूलों के सफल एवं उत्कृष्ट संचालन के लिए स्कूल प्रबंधन समिति की जिम्मेदारी अहम और महत्वपूर्ण रहती है। स्कूल प्रबंधन समिति को अब पहले से ज्यादा बेहतर होने की आवश्यकता है तभी हम उत्कृष्ट विद्यालय की परिकल्पना को साकार कर सकेंगे। हर वर्ग, हर समूह के बच्चे-बच्चियों को शिक्षा का समान अधिकार तथा अवसर देना है। प्रबंधन समिति के सदस्य गांव-गांव, घर-घर पहुंच कर बच्चों का स्कूलों में शत-प्रतिशत नामांकन सुनिश्चित करायें। प्रबंधन समिति के सदस्य गांव प्रत्येक बच्चे- बच्चियों को अपने परिवार के बच्चों की भांति ही उन्हें बेहतर शिक्षा व्यवस्था का लाभ दिलाने का काम करें। राज्य सरकार सदैव आपके साथ खड़ी है। हेमंत सोरेन ने कहा कि झारखंड के इतिहास में पहली बार यहां की शिक्षा व्यवस्था में सुधार को लेकर ऐसा आयोजन हुआ है।
शिक्षा व्यवस्था में सुधार को एक चुनौती के रूप में लिया:
मुख्यमंत्री ने कहा कि यूं तो पिछले कई वर्षों से शिक्षा के क्षेत्र में कार्य हो रहे हैं, परंतु मौजूदा वक्त में शिक्षा के महत्व को समझना हम सभी के लिए अत्यंत जरूरी है। झारखंड जैसे राज्य में स्किल्ड तथा अनस्किल्ड मजदूर के रूप में ही लोग आगे बढ़ते रहे हैं। इसको ध्यान में रख कर हमारी सरकार ने यहां के शिक्षा स्तर को एक नये आयाम के साथ आगे बढ़ाने का कार्य कर रही है। हमने झारखंड की शिक्षा व्यवस्था को एक चुनौती के रूप में लिया है। अभी तो सिर्फ शुरूआत है, आगे कई महत्वपूर्ण योजनाएं शिक्षा के क्षेत्र में जुड़ेंगी।
बच्चे-बच्चियों के हौसले को देना है पंख:
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रतिस्पर्धा के इस समय में अध्ययनरत बच्चे-बच्चियों को आगे बढ़ने के लिए हौसला देने की आवश्यकता है। राज्य स्तर पर मेधावी टॉपर बच्चे-बच्चियों को राज्य सरकार प्रोत्साहन राशि के साथ-साथ अब लैपटाप तथा मोबाइल भी देगी, जो गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा हेतु वर्तमान समय में आवश्यक है। हेमंत सोरेन ने कहा कि राज्य सरकार स्कूलों में क्वालिटी एजुकेशन के साथ-साथ हमारे बच्चों को झारखंड की कला संस्कृति के संरक्षण के लिए प्रेरित करेगी तथा पाठ्यक्रम में नये विषयों के रूप में झारखंड की कला संस्कृति से संबंधित एक अलग विषय जोड़ा जायेगा। राज्य की भाषा, कला संस्कृति को आनेवाली पीढ़ी भूले नहीं, यह हम सभी की नैतिक जिम्मेदारी है। हमें अपनी भाषा संस्कृति को अक्षुण्ण रखने की आवश्यकता सदैव रहेगी।