श्रीनगर। श्रीनगर के डलगेट इलाके में सीआरपीएफ बटालियन का मुख्यालय बुधवार को बॉलीवुड गानों पर गूंज उठा। सीआरपीएफ कर्मियों ने डांस किया और होली मनाने के लिए एक-दूसरे को रंगों में सराबोर कर दिया।
अपने घरों और परिवारों से दूर होने के बावजूद जवान उत्साहित और ऊर्जा से भरे हुए थे। उन्होंने एक-दूसरे को बधाई दी और मिठाइयां भेंट कीं। बटालियन के कमांडिंग ऑफिसर विजय खटाना ने कहा कि बटालियन के अधिकांश कर्मी शहर के संवेदनशील डाउनटाउन क्षेत्रों में तैनात हैं और उन्हें उच्च स्तर की सतर्कता बनाए रखनी होती है। बुधवार को रंगों का त्योहार मनाने के लिए जवान और अधिकारी एक दूसरे के साथ घुल-मिल गए। उन्होंने कहा कि होली के त्योहार पर सभी एक परिवार की तरह होते हैं और इस मौके पर रैंकों की कोई सीमा नहीं होती है। खटाना ने कहा कि अर्धसैनिक बल के जवान अपने परिवारों से दूर थे, लेकिन बल और बटालियन उनका विस्तारित परिवार है।
उन्होंने कहा कि हम एक बटालियन में लगभग नौ से 10 महीने तक रहते हैं और यह हमारे परिवार का एक हिस्सा है। हम एक-दूसरे का ख्याल रखते हैं और इसे एक परिवार की तरह ही मानते हैं। उन्हें (जवानों को) उनके परिवार के सदस्यों के फोन, वीडियो कॉल आते हैं। चूंकि यह एक गैर-पारिवारिक स्टेशन है, इसलिए हम उनके परिवारों को समायोजित करने की स्थिति में नहीं हैं, लेकिन जब भी उन्हें छुट्टी की आवश्यकता होती है, हम इसे मंजूरी देते हैं ताकि वे अपने घर जा सकें।
उन्होंने कहा कि जवान विभिन्न राज्यों और संस्कृतियों से हो सकते हैं, लेकिन जब वे वर्दी धारण करते हैं तो वे अपनी व्यक्तिगत पहचान खो देते हैं। सीआरपीएफ को आमतौर पर मिनी-इंडिया के रूप में जाना जाता है, हम विभिन्न पृष्ठभूमि, विभिन्न धर्मों, जाति, पंथ, भाषाओं से आते हैं, लेकिन जब हम इस वर्दी को पहनते हैं तो हमारी पहचान यह वर्दी ही होती है। इस वर्दी की आड़ में हम अपनी व्यक्तिगत पहचान को छोड़ते हैं और यह वर्दी हमारी पहचान है।
सीआरपीएफ के जवान आदेश कुमार ने कहा कि हम होली और अन्य त्योहार एक साथ मनाते हैं। यह बटालियन हमारा परिवार है। सिपाही भास्कर चड्ढा ने बल को हमारा सबसे बड़ा परिवार बताया।उन्होंने कहा कि हम दो-तीन महीने घर पर रहते हैं लेकिन यही वह जगह है जहां हमने अपना ज्यादातर समय बिताया है।