Close Menu
Azad SipahiAzad Sipahi
    Facebook X (Twitter) YouTube WhatsApp
    Sunday, May 25
    • Jharkhand Top News
    • Azad Sipahi Digital
    • रांची
    • हाई-टेक्नो
      • विज्ञान
      • गैजेट्स
      • मोबाइल
      • ऑटोमुविट
    • राज्य
      • झारखंड
      • बिहार
      • उत्तर प्रदेश
    • रोचक पोस्ट
    • स्पेशल रिपोर्ट
    • e-Paper
    • Top Story
    • DMCA
    Facebook X (Twitter) Instagram
    Azad SipahiAzad Sipahi
    • होम
    • झारखंड
      • कोडरमा
      • खलारी
      • खूंटी
      • गढ़वा
      • गिरिडीह
      • गुमला
      • गोड्डा
      • चतरा
      • चाईबासा
      • जमशेदपुर
      • जामताड़ा
      • दुमका
      • देवघर
      • धनबाद
      • पलामू
      • पाकुर
      • बोकारो
      • रांची
      • रामगढ़
      • लातेहार
      • लोहरदगा
      • सरायकेला-खरसावाँ
      • साहिबगंज
      • सिमडेगा
      • हजारीबाग
    • विशेष
    • बिहार
    • उत्तर प्रदेश
    • देश
    • दुनिया
    • राजनीति
    • राज्य
      • मध्य प्रदेश
    • स्पोर्ट्स
      • हॉकी
      • क्रिकेट
      • टेनिस
      • फुटबॉल
      • अन्य खेल
    • YouTube
    • ई-पेपर
    Azad SipahiAzad Sipahi
    Home»स्पेशल रिपोर्ट»राहुल गांधी के लिए अब आत्ममंथन करने का समय
    स्पेशल रिपोर्ट

    राहुल गांधी के लिए अब आत्ममंथन करने का समय

    adminBy adminMarch 24, 2023No Comments9 Mins Read
    Facebook Twitter WhatsApp Telegram Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Share
    Facebook Twitter WhatsApp Telegram LinkedIn Pinterest Email

    विशेष
    -समझना होगा कि कहां राजनीतिक चूक हो रही है
    -क्या आपदा को अवसर बना पायेंगे राहुल, या अपनी तरह की ही राजनीति करेंगे

    कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी मानहानि के एक मामले में सूरत की कोर्ट से सजायाफ्ता होने के बाद लोकसभा की सदस्यता के लिए अयोग्य ठहरा दिये गये हैं। लोकसभा सचिवालय द्वारा जारी अधिसूचना में यह जानकारी दी गयी है। सूरत की जिला अदालत द्वारा मानहानि के मामले में दो साल की सजा सुनाये जाने के बाद से ही यह तय हो गया था कि राहुल गांधी की सांसदी किसी भी क्षण खत्म हो सकती है। यह सही है कि राहुल गांधी के सामने अभी ऊपरी अदालत में अपील करने का विकल्प बचा हुआ है, लेकिन राजनीतिक रूप से उनका करियर बेहद अहम मोड़ पर है। अपने वक्तव्यों और अपरिपक्व बयान देने के लिए पूरी दुनिया में चर्चित हो चुके कांग्रेस के युवराज के अगले कदम पर देश भर की निगाहें तो हैं, लेकिन सबसे अहम सवाल यह है कि अपने 137 साल के इतिहास के सबसे बुरे दौर से गुजर रही कांग्रेस के लिए आगे का रास्ता क्या हो सकता है। राहुल गांधी के बिना पार्टी का आगे का रास्ता कैसे तय होगा, इसकी चिंता पार्टी को होनी स्वाभाविक है। लेकिन अदालत द्वारा सजा सुनाये जाने और उसके परिणामस्वरूप सांसदी गंवाने के बाद राहुल गांधी क्या करनेवाले हैं, यह जानना जरूरी है। वास्तव में अदालत का फैसला और सांसदी जाने का यह मौका राहुल के लिए आत्ममंथन का समय होना चाहिए। उन्हें अब यह बात मान लेनी चाहिए कि लोकतंत्र में सब कुछ संविधान और कानून से तय होता है। यह बात सिर्फ राहुल ही नहीं, हर कांग्रेसी को भी मान लेनी चाहिए। अपने किसी विचार को किसी जाति या समुदाय पर थोपना सही नहीं हो सकता। यह भी बात साफ हो जानी चाहिए कि अदालत ने उन्हें सजा सुनायी है न कि भाजपा ने। भले राहुल गांधी विदेश में जाकर लोकतंत्र की हत्या की बात करते हैं, लेकिन बात जब संविधान से चलने की आती है, तो अदालत के फैसले को भाजपा का फैसला बताने से कांग्रेसी हिचक नहीं रहे हैं, जबकि सच्चाई यही है कि कानून के आधार पर ही उनके खिलाफ कार्रवाई हुई है। संसद ने जो कानून बनाया है, कोर्ट ने उसे ही सुनाया है। यह बात अन्य दलों के लोग भी अच्छी तरह जानते हैं, जबकि कांग्रेस इसे मानने को तैयार नहीं है। दबी जुबान अब देश में यह भी चर्चा हो रही है कि क्या सांसदी गंवाने के बाद राहुल गांधी इंदिरा गांधी की तरह दोबारा मजबूत ढंग से राजनीति में वापसी कर सकते हैं। ऐसा अंदेशा इसलिए हो रहा है, क्योंकि अभी दूसरे दलों के नेता भी यह मानते हैं कि राहुल गांधी अभी पूरी तरह परिपक्व नहीं हुए हैं। सो उनके लिए अभी दिल्ली दूर है। राहुल गांधी के इस पूरे प्रकरण के विभिन्न पहलुओं का विश्लेषण कर रहे हैं आजाद सिपाही के विशेष संवाददाता राकेश सिंह।
    कांग्रेस नेता राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता रद्द कर दी गयी है। लोकसभा सचिवालय की तरफ से इसका आदेश भी जारी कर दिया गया है। आदेश में उन्हें लोकसभा की सदस्यता से अयोग्य ठहराते हुए केरल की वायनाड सीट को रिक्त घोषित कर दिया गया है। राहुल को सूरत की एक अदालत ने गुरुवार को ही मानहानि के मामले में दोषी ठहराते हुए दो साल की सजा सुनायी थी। उन पर 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान मोदी उपमान पर विवादित टिप्पणी करने का आरोप लगा था। इसी मामले में राहुल पर गुजरात के भाजपा विधायक और पूर्व मंत्री पूर्णेश मोदी ने मानहानि का मुकदमा दायर किया था। नियम के अनुसार अगर किसी सांसद या विधायक को दो साल या इससे अधिक की सजा होती है, तो उसकी सदस्यता चली जाती है। राहुल के साथ भी ऐसा ही हुआ। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी के दिग्गज नेता राहुल गांधी अब क्या करेंगे? राहुल के पास अब क्या विकल्प बचे हैं? क्या अब राहुल गांधी जेल जायेंगे?

    राहुल गांधी की सदस्यता क्यों गयी
    लोक-प्रतिनिधि अधिनियम 1951 की धारा 8 (3) के मुताबिक अगर किसी सांसद या विधायक को दो साल या इससे ज्यादा की सजा सुनायी जाती है, तो उसे सजा होने के दिन से उसकी अवधि पूरी होने के बाद आगे छह वर्षों तक चुनाव लड़ने पर रोक का प्रावधान है। अगर कोई विधायक या सांसद है, तो सजा होने पर वह अयोग्य ठहरा दिया जाता है। उसे अपनी विधायकी या सांसदी छोड़नी पड़ती है। इसी नियम के तहत राहुल की सदस्यता चली गयी। सूरत की जिस अदालत ने राहुल को सजा सुनायी है, उसने राहुल को फैसले के खिलाफ ऊपरी अदालत में याचिका दायर करने के लिए एक महीने का समय दिया है। तब तक राहुल की सजा पर रोक है, लेकिन चूंकि कोर्ट ने राहुल को दोषी करार कर दिया है, इसलिए नियम के अनुसार राहुल की सदस्यता चली गयी।

    अब आगे क्या है राहुल के पास विकल्प
    सांसदी जाने के बाद राहुल के पास अब सिर्फ दो विकल्प हैं। यदि वह कानूनी तरीके से आगे नहीं बढ़ते हैं, तो आनेवाले दिनों में उनको जेल भी जाना पड़ सकता है। सूरत की अदालत का फैसला आने के बाद नियम के अनुसार ही राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता खत्म की गयी है। ऐसे में अगर वह अपनी सदस्यता वापस हासिल करना चाहते हैं, तो उन्हें हाइकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट का रुख अख्तियार करना पड़ेगा। हालांकि उम्मीद कम है कि हाइकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट से राहुल को इस मसले में राहत मिले। ऐसा इसलिए, क्योंकि राहुल पर दोष साबित हो चुका है। ऐसे में अगर राहुल को मानहानि केस में सजा से राहत मिले, तब ही वह अपनी सदस्यता बचाये रख सकते हैं। हालांकि अदालत कुछ समय के लिए लोकसभा अध्यक्ष के फैसले पर स्थगनादेश भी दे सकती है। इसके अलावा राहुल गांधी को सजा सुनाने वाली सूरत की अदालत ने उन्हें एक महीने का समय दिया है। इस एक महीने के अंदर राहुल को फैसले के खिलाफ सेशंस कोर्ट में याचिका दायर करनी होगी। इसके बाद कोर्ट के फैसले पर राहुल गांधी का भविष्य निर्भर होगा।

    तो क्या जेल जायेंगे राहुल
    अगर राहुल गांधी सेशंस कोर्ट जाते हैं और वहां से उन्हें राहत मिलती है, तो ही वह जेल जाने से बच सकते हैं। अगर सेशंस कोर्ट से उन्हें राहत नहीं मिलती है, तो यह तय है कि राहुल को जेल जाना पड़ सकता है। इसके अलावा उन पर छह साल का प्रतिबंध भी लग जायेगा। मतलब इस दौरान वह चुनाव भी नहीं लड़ पायेंगे।

    10 जुलाई 2013 को सुप्रीम कोर्ट ने दिया था बड़ा फैसला
    सुप्रीम कोर्ट ने 10 जुलाई, 2013 को जन प्रतिनिधित्व कानून की धारा 8 (4) को असंवैधानिक ठहरा दिया था और फैसला दिया था कि कम से कम दो साल की सजा होने पर सांसदी या विधायकी चली जायेगी। इसके बाद सजा के बाद कोई भी शख्स अगले छह साल तक चुनाव नहीं लड़ सकेगा।

    राहुल ने 2019 में क्या दिया था बयान
    2019 के लोकसभा चुनाव से पहले राहुल गांधी ने कर्नाटक के कोलार में रैली में पीएम नरेंद्र मोदी पर हमला किया था। रैली के दौरान राहुल ने कहा था कि सभी चोरों का सरनेम मोदी ही क्यों होता है, चाहे वह ललित मोदी हों या नीरव मोदी हों, चाहे नरेंद्र मोदी। राहुल यहीं पर नहीं थमे। उन्होंने आगे कहा, नीरव मोदी, ललित मोदी, नरेंद्र मोदी। अभी और ढूढेंÞगे, तो और भी नाम निकल जायेंगे।

    क्या होगा राहुल और कांग्रेस का अगला कदम
    अदालत के फैसले और लोकसभा सचिवालय की अधिसूचना के बाद यह स्वाभाविक ही है कि इस मुद्दे पर राजनीतिक माहौल गरमा गया है। यहां सवाल यह है कि कांग्रेस और राहुल गांधी का अगला कदम क्या होगा। इस बात में कोई संदेह नहीं है कि राहुल गांधी अपने करियर के सबसे अहम मोड़ पर हैं। अदालत के फैसले के बाद उन्हें यह एहसास तो हो ही जाना चाहिए कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में संविधान और कानून से ऊपर कोई भी नहीं है। किसी जाति या समुदाय के खिलाफ अमर्यादित टिप्पणी करना गलत है और इसकी सजा उन्हें मिली है। इस लिहाज से यह उनके लिए आत्ममंथन का समय है।
    लेकिन अपने इतिहास के सबसे बुरे दौर से गुजर रही कांग्रेस और खास कर राहुल गांधी के लिए आगे का रास्ता बेहद कठिन हो गया है। यदि ऊपरी अदालत से राहुल को राहत नहीं मिलती है, तो 2024 का चुनाव वह नहीं लड़ सकेंगे। तब इस बात की संभावना बढ़ जायेगी कि वह राजनीतिक धारा से हमेशा के लिए अलग हो जायेंगे। दो साल की सजा के बाद छह साल तक चुनावी परिदृश्य से बाहर रहने के बाद राहुल वापसी कर सकेंगे, इसकी संभावना बहुत कम दिख रही है। यहां एक ऐतिहासिक तथ्य भी है कि राहुल की दादी इंदिरा गांधी और उनकी मां सोनिया गांधी की सांसदी चली गयी थी, लेकिन तब और अब में अंतर यह है कि उन दोनों को अदालती फैसले के बाद सांसदी नहीं गंवानी पड़ी थी और न उनके चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध लगाया गया था। यह सच है कि अपनी सांसदी गंवाने के दौरान इंदिरा गांधी ने अपने खिलाफ मामलों का उपयोग सहानुभूति के लिए किया था। वहीं राहुल की मां और पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने लाभ के पद कानून के तहत संसद सदस्यता गंवा दी थी और बाद में जीत कर दोबारा हासिल की थी। लेकिन राहुल के लिए यह जंग आसान नहीं होगी।

    राहुल की छवि बदलने की कोशिश
    कहा जा रहा है कि कांग्रेस और उसके नेता ताजा घटना के तहत राहुल की छवि बदलने की कोशिश में लगे हैं। इसके तहत पार्टी उनको महात्मा गांधी की तरह दिखायेगी, जो सत्ता के सामने खड़ा है। कांग्रेस राहुल की ऐसी छवि बनाने की कोशिश में हैं, जहां यह दिखाया जा सके कि वह बगैर सांसद हुए भी ताकतवर हैं। पार्टी का मानना है कि इंदिरा गांधी के खिलाफ हुए कई मामलों का इस्तेमाल उनकी वापसी के लिए किया गया। इसी तरह वही दांव राहुल के लिए भी काम करेगा। हालांकि, अब समय और सियासत का तरीका बदल गया है। कांग्रेस को उम्मीद है कि 2024 में गांधी का नाम ही काफी होगा। यह भी कहा जा रहा है कि कांग्रेस चुनावी रणनीति के तौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी निशाना बनाना नहीं छोड़ेगी। राहुल इस एजेंडे पर और आक्रामक रूप से सक्रिय रहेंगे। खास बात है कि ऐसे में सोनिया और प्रियंका गांधी वाड्रा पर भी 2024 लोकसभा चुनाव लड़ने का दबाव बनेगा।

    Share. Facebook Twitter WhatsApp Telegram Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Previous Articleवजन कम करना है तो आज से ही खाएं ये सब्जियां
    Next Article दीपक प्रकाश ने बेरोजगार नौजवानों पर लाठीचार्ज की कड़ी निंदा की
    admin

      Related Posts

      सवाल कर राहुल ने स्वीकारा तो कि भारतीय सेना ने पाकिस्तान पर करवाई की

      May 23, 2025

      बदल रहा है शशि थरूर और पी चिदंबरम का मिजाज!

      May 22, 2025

      पाकिस्तान को बेनकाब करने उतरी पीएम मोदी की टीम

      May 21, 2025
      Add A Comment

      Comments are closed.

      Recent Posts
      • केंद्र और राज्य टीम इंडिया की तरह मिलकर काम करें तो कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं : प्रधानमंत्री
      • राहुल गांधी ने पुंछ में गोलाबारी के पीड़ितों से की मुलाकात, नुकसान को बताया एक बड़ी त्रासदी
      • नीति आयोग की बैठक में हर घर नल योजना और यमुना के मुद्दे पर भी हुई चर्चाः रेखा गुप्ता
      • आतंकवादियों को नहीं पढ़ाई जाएगी जनाजा नमाज, भारत में दफनाया भी नहीं जाएगा : डॉ इलियासी
      • आरक्षण का श्रेणी वार परिणाम नहीं निकाल कर जेपीएससी ने परीक्षा को बना दिया संदिग्ध: प्रतुल शाहदेव
      Read ePaper

      City Edition

      Follow up on twitter
      Tweets by azad_sipahi
      Facebook X (Twitter) Instagram Pinterest
      © 2025 AzadSipahi. Designed by Microvalley Infotech Pvt Ltd.

      Type above and press Enter to search. Press Esc to cancel.

      Go to mobile version