-सच हम नहीं, सच तुम नहीं, सच है सतत संघर्ष ही: कल्पना
-वास्तविकता छिपाने के लिए मेरे पिता के नाम का उपयोग न करें: राजश्री
-मैं और मेरे बच्चों ने मुंह खोला तो भयावह सच्चाई उजागर होगी: सीता
रांची। शिबू सोरेन के परिवार का झगड़ा खुल कर सबके सामने आ गया है। शिबू सोरेन की बड़ी बहू सीता सोरेन के इस्तीफे के बाद अब परिवार के सदस्यों में आरोप-प्रत्यारोप का दौर चल पड़ा है। सीता के भाजपा में शामिल हो जाने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना ने दुर्गा सोरेन का जिक्र करते हुए बुधवार को इशारों में जेठानी पर निशाना साधा। वहीं, मां के बचाव में सीता की बेटी राजश्री भी सामने आ गयी है। राजश्री ने सोशल मीडिया पर चाची कल्पना को जवाब दिया है। इस बीच सीता सोरेन ने चेतावनी भरे लहजे में कल्पना को जवाब दिया है।
कल्पना सोरेन का पोस्ट:
पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की पत्नी और शिबू परिवार की छोटी बहू कल्पना सोरेन ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट किया। कल्पना सोरेन ने हेमंत सोरेन के एक्स हैंडल पर हेमंत सोरेन की शादी के समय की एक तस्वीर साझा की है। इस फोटो में हेमंत सोरेन के साथ उनके बड़े भाई दुर्गा सोरेन भी बैठे हैं। कल्पना ने पोस्ट में लिखा कि हेमंत जी के लिए स्वर्गीय दुर्गा दा, सिर्फ बड़े भाई नहीं, बल्कि पिता तुल्य अभिभावक के रूप में रहे। 2006 में ब्याह के उपरांत इस बलिदानी परिवार का हिस्सा बनने के बाद मैंने हेमंत जी का अपने बड़े भाई के प्रति आदर तथा समर्पण और स्वर्गीय दुर्गा दा का हेमंत जी के प्रति प्यार देखा। हेमंत जी राजनीति में नहीं आना चाहते थे, परंतु दुर्गा दादा की असामयिक मृत्यु और आदरणीय बाबा के स्वास्थ्य को देखते हुए उन्हें राजनीति के क्षेत्र में आना पड़ा। कल्पना ने आगे लिखा कि हेमंत जी ने राजनीति को नहीं, बल्कि राजनीति ने हेमंत जी को चुना। लिखा कि वह आर्किटेक्ट बनना चाहते थे। लेकिन उनके ऊपर अब झामुमो, आदरणीय बाबा और स्व दुर्गा दा की विरासत और संघर्ष को आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी थी। झारखंड मुक्ति मोर्चा का जन्म समाजवाद और वामपंथी विचारधारा के समन्वय से हुआ था। झामुमो आज झारखंड में आदिवासियों, दलितों, पिछड़ों और अल्पसंख्यकों समेत सभी गरीबों, वंचितों और शोषितों की विश्वसनीय आवाज बन कर आगे बढ़ रहा है। आदरणीय बाबा एवं स्व दुर्गा दा के संघर्षों और जो लड़ाई उन्होंने पूंजीपतियों-सामंतवादियों के खिलाफ लड़ी थी, उन्हीं ताकतों से लड़ते हुए आज हेमंत जी जेल चले गये। वह झुके नहीं। उन्होंने एक झारखंडी की तरह लड़ने का रास्ता चुना। वैसे भी हमारे आदिवासी समाज ने कभी पीठ दिखा कर, समझौता कर, आगे बढ़ना सीखा ही नहीं है। झारखंडी के डीएनए में ही झुकना नहीं है। आगे लिखा है कि सच हम नहीं, सच तुम नहीं, सच है सतत संघर्ष ही। पोस्ट के अंत में हैशटैग के साथ लिखा कि झारखंड झुकेगा नहीं।
राजश्री ने क्या पोस्ट किया:
दुर्गा और सीता सोरेन की बेटी राजश्री ने कल्पना सोरेन की झारखंडी के डीएनए में ही झुकना नहीं है वाले पोस्ट पर लिखा कि मेरे पिता अपने लोगों के संरक्षक थे। उन्होंने हमेशा अन्याय के खिलाफ लड़ाई लड़ी। वह लोगों की आवाज थे। उन्होंने झामुमो को मजबूत बनाने में अपना खून-पसीना बहाया।कृपया अपनी वास्तविकता छिपाने के लिए मेरे पिता के नाम का उपयोग न करें। राजश्री ने अपनी मां सीता का भी बचाव किया। उन्होंने लिखा कि झारखंड को झुकाना नहीं बचाना है। जोहार झारखंड। पापा ने हमें सिखाया है कि कभी भी अन्याय के सामने झुकना नहीं चाहिए। सदियों से महिलाएं अन्याय सहती आ रही हैं। तमाम अन्याय के बावजूद 14 साल की वफादारी रही। यह फैसला आसान नहीं रहा होगा। हिम्मत बनायें रखें। मैं अपनी मां के फैसले का सम्मान करती हूं। मुझे पता है पापा आप जहां भी हैं आपका प्यार और आशीर्वाद हमेशा हमारे साथ है।
सीता सोरेन ने क्या कहा:
कल्पना सोरेन के पोस्ट पर सीता सोरेन ने भी सोशल मीडिया पर चेतावनी भरा पोस्ट किया है। उन्होंने लिखा है, मेरे पति स्वर्गीय दुर्गा सोरेन जी के निधन के बाद से मेरे और मेरे बच्चों के जीवन में जो परिवर्तन आया, वह किसी भयावह सपने से कम नहीं था। मुझे और मेरी बेटियों को न केवल उपेक्षित किया गया, बल्कि हमें सामाजिक और राजनीतिक रूप से भी अलग-थलग कर दिया गया। ईश्वर जानता है कि मैंने इस दौर में अपनी बेटियों को कैसे पाला है। मुझे और मेरी बेटियों को उस शून्य में छोड़ दिया गया, जहां से बाहर निकल पाना हमारे लिए असंभव लग रहा था। मैंने न केवल एक पति खोया, बल्कि एक अभिभावक, एक साथी और अपने सबसे बड़े समर्थक को भी खो दिया। मेरे इस्तीफे के पीछे कोई राजनीतिक कारण नहीं है। यह मेरी और मेरी बेटियों की पीड़ा, उपेक्षा और हमारे साथ हुए अन्याय के खिलाफ एक आवाज है। उन्होंने लिखा, जिस झामुमो को मेरे पति ने अपने खून-पसीने से सींचा, वह पार्टी आज अपने मूल्यों और कर्तव्यों से भटक गयी है। मेरे लिए, यह सिर्फ एक पार्टी नहीं, बल्कि मेरे परिवार का एक हिस्सा था। मेरा निर्णय भले ही दु:खदायी हो, लेकिन यह अनिवार्य था। मैंने समझ लिया है कि अपनी आत्मा की आवाज सुनना और अपने आदर्शों के प्रति सच्चे रहना सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है। मैं समस्त झारखंडवासियों से अनुरोध करती हूं कि मेरे इस्तीफे को एक व्यक्तिगत संघर्ष के रूप में देखें, न कि किसी राजनीतिक चाल के रूप में। उन्होंने कहा कि झारखंड और झारखंडियों के लिए अपने जीवन का बलिदान देनेवाले स्वर्गीय दुर्गा सोरेन जी के नाम की आज दुहाई देकर घड़ियाली आंसू बहाने वाले लोगों से विनती है कि मेरे मुंह में अंगुली नहीं डालें। वरना अगर मैं और मेरे बच्चों ने मुंह खोल कर भयावह सच्चाई उजागर कर दी, तो कितनों का राजनीतिक और सत्ता सुख का सपना चूर-चूर हो जायेगा। झारखंड की जनता वैसे लोगों के नाम पर थूकेगी, जिन्होंने हमेशा से दुर्गा सोरेन और उनके लोगों को मिटा कर समाप्त करने की साजिश की है।