Close Menu
Azad SipahiAzad Sipahi
    Facebook X (Twitter) YouTube WhatsApp
    Sunday, June 15
    • Jharkhand Top News
    • Azad Sipahi Digital
    • रांची
    • हाई-टेक्नो
      • विज्ञान
      • गैजेट्स
      • मोबाइल
      • ऑटोमुविट
    • राज्य
      • झारखंड
      • बिहार
      • उत्तर प्रदेश
    • रोचक पोस्ट
    • स्पेशल रिपोर्ट
    • e-Paper
    • Top Story
    • DMCA
    Facebook X (Twitter) Instagram
    Azad SipahiAzad Sipahi
    • होम
    • झारखंड
      • कोडरमा
      • खलारी
      • खूंटी
      • गढ़वा
      • गिरिडीह
      • गुमला
      • गोड्डा
      • चतरा
      • चाईबासा
      • जमशेदपुर
      • जामताड़ा
      • दुमका
      • देवघर
      • धनबाद
      • पलामू
      • पाकुर
      • बोकारो
      • रांची
      • रामगढ़
      • लातेहार
      • लोहरदगा
      • सरायकेला-खरसावाँ
      • साहिबगंज
      • सिमडेगा
      • हजारीबाग
    • विशेष
    • बिहार
    • उत्तर प्रदेश
    • देश
    • दुनिया
    • राजनीति
    • राज्य
      • मध्य प्रदेश
    • स्पोर्ट्स
      • हॉकी
      • क्रिकेट
      • टेनिस
      • फुटबॉल
      • अन्य खेल
    • YouTube
    • ई-पेपर
    Azad SipahiAzad Sipahi
    Home»राजनीति»झारखंड की सबसे हाॅट सीट बनी खूंटी, अर्जुन मुंडा की प्रतिष्ठा दांव पर
    राजनीति

    झारखंड की सबसे हाॅट सीट बनी खूंटी, अर्जुन मुंडा की प्रतिष्ठा दांव पर

    adminBy adminMarch 8, 2024No Comments4 Mins Read
    Facebook Twitter WhatsApp Telegram Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Share
    Facebook Twitter WhatsApp Telegram LinkedIn Pinterest Email

    गुटबाजी दूर नहीं हुई, तो भाजपा की बढ़ेगी परेशानी

    खूंटी, 8 मार्च (हि.स.)। अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षित खूंटी संसदीय सीट लोकसभा चुनाव में झारखंड की सबसे हाॅट सीट बन गई है। यहां से जनजातीय मामलों और कृषि एवं किसान मंत्रालय के केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा दूसरी बार भाजपा के टिकट पर चुनावी मैदान में हैं। झारखंड के तीन बार मुख्यमंत्री रह चुके अर्जुन मुंडा की प्रतिष्ठा एक बार फिर दांव पर लग गई है। राजनीति के जानकारों का मानना है अर्जुन मुंडा के खिलाफ संभवतः काली चरण मुंडा ही विपक्ष के उम्मीदवार होंगे।

    019 के लोकसभा चुनाव में भी इन्हीं दोनों राजनीतिक योद्धाओं के बीच कांटे का मुकाबला हुआ था और अर्जुन मुंडा 1445 वोटों के अंतर से बाजी मार ले गये थे।हर ओर एक ही चर्चा है कि क्या भाजपा अपनी परंपरागत सीट को बचा पाएगी या कांग्रेस की हार का सिलसिला टूटेगा। आनेवाला लोकसभा चुनाव भाजपा के लिए काफी महत्वपूर्ण होने वाला है। ऐसा इसलिए क्योंकि यही चुनाव देश की दशा और दिशा तय करने वाला साबित हो सकता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अबकी बार चार सौ पार का नारा देकर पार्टी के समक्ष एक लंबी लकीर खींच दी है। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए भाजपा कोई कोर-कसर बाकी नहीं रखना चाहती। इसके लिए पार्टी स्तर से हर संभव प्रयास शुरू कर दिए गए हैं, लेकिन भाजपा में व्याप्त गुटबाजी किसी से छिपी नहीं है।

    एक ओर पद्मभूषण कड़िया मुंडा का वरदहस्त प्राप्त केंद्रीय मंत्री का गुट है, तो दूसरी ओर वर्तमान विधायक और पूर्व ग्रामीण विकास मंत्री नीलकंठ सिंह मुंडा का गुट है। इसके कारण कार्यकर्ताओं में हमेशा ऊहापोह की स्थिति बनी रहती है। भाजपा की गुटबाजी उस समय भी सामने आ गई, जब पार्टी प्रत्याशी घोषित करने के बाद गत बुधवार को जब पहली बार अर्जुन मुंडा संसदीय क्षेत्र के मुख्यालय खूंटी पहुंचे, लेकिन उनकी अगवानी और स्वागत के लिए परिसदन में भाजपा जिला कमेटी की ओर से सिर्फ जिला अध्यक्ष चंद्रशेखर गुप्ता और वैसे कार्यकर्ता ही नजर आए, जो अमूमन अर्जुन मुंडा के हर कार्यक्रम में शामिल होते रहे हैं। प्रत्याशी घोषित होने के बाद खूंटी पहुंचने पर अर्जुन मुंडा की अगवानी के लिए विधायक नीलकंठ सिंह मुंडा के समर्थक भाजपा संगठन से जुड़ा कोई भी नेता-कार्यकर्ता परिसदन में नजर नहीं आया।

    मतदाताओं पर नहीं पड़ेगा असर

    भाजपा नेताओं में व्याप्त गुटबाजी के बारे में पार्टी समर्थकों का कहना है कि स्थानीय स्तर पर उत्पन्न इस गुटबाजी का मतदाताओं में कोई खास प्रभाव नहीं पड़ेगा, क्योंकि भाजपा समर्थक यहां के मतदाता हमेशा से केंद्रीय नेताओं के प्रभाव में अपना मत का प्रयोग करते रहे हैं, लेकिन फिर भी इस गुटबाजी का कहीं ना कहीं थोड़ा बहुत असर पड़ने की संभावना से इंकार भी नहीं किया जा रहा है। ऐसे में गुटबाजी को पाटने के लिए भाजपा नेताओं के उदासीन रवैये पर भी सवाल उठने लगे हैं।

    2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान भी पार्टी में गुटबाजी की चर्चा जारों पर थी। भाजपा की प्रचंड लहर के बाद भी अर्जुन मुंडा हरत-हारते 1445 मतों से जीत गये। उस समय भी विधायक नीलकंठ सिंह मुंडा पर अपने सगे भाई और कांग्रेस प्रत्याशी को अप्रत्यक्ष समर्थन देने के आरोप लगे थे। अर्जुन मुंडा को खरसावां और तमाड़ विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस प्रत्याशी की तुलना में अच्छी खासी बढ़त मिल गई और वे किसी प्रकार चुनाव जीत गए, अन्यथा छह में से चार विधानसभा क्षेत्रों सिमडेगा, कोलेबिरा, तोरपा और खूंटी में तो कांग्रेस प्रत्याशी भाजपा प्रत्याशी से अच्छी खासी बढ़त हासिल कर जीत की दहलीज पर पहुंच गए थे। हालांकि विधायक नीलकंठ सिंह मुंडा ने अपने ऊपर उठे सवाल का हर मंच पर पुरजोर खंडन किया था। उसके बावजूद सांसद और विधायक समर्थकों की गुटबाजी थमने का नाम नहीं ले रही है और इसका असर आसन्न लोकसभा चुनाव पर पड़ सकता है।

    Ranchi
    Share. Facebook Twitter WhatsApp Telegram Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Previous Articleहेमंत सोरेन को इंसाफ मिलने तक जारी रहेगा संघर्ष : झामुमो
    Next Article लोकसभा चुनाव में निर्णायक की भूमिका में होंगे झारखंड के युवा वोटर
    admin

      Related Posts

      मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने लालू प्रसाद यादव को जन्मदिन की दी बधाई

      June 11, 2025

      लालू यादव के जन्मदिन पर काटा 78 पाउंड का केक

      June 11, 2025

      राज्यपाल से अंगीभूत कॉलेजों में इंटर में छात्र-छात्राओं के नामांकन पर पुनर्विचार का आग्रह

      June 11, 2025
      Add A Comment

      Comments are closed.

      Recent Posts
      • प्रधानमंत्री कनाडा में जी7 सम्मेलन में लेंगे भाग, साइप्रस और क्रोएशिया भी जाएंगे
      • सड़क हादसे में दो की मौत
      • स्वास्थ्य मंत्री डॉ. इरफान अंसारी का जनता दरबार 17 को
      • पटमदा में आवारा कुत्तों का आतंक जारी, अब तक 20 से अधिक लोग घायल
      • पुलिस ने 50 लाख का गांजा किया बरामद, एक गिरफ्तार
      Read ePaper

      City Edition

      Follow up on twitter
      Tweets by azad_sipahi
      Facebook X (Twitter) Instagram Pinterest
      © 2025 AzadSipahi. Designed by Microvalley Infotech Pvt Ltd.

      Type above and press Enter to search. Press Esc to cancel.

      Go to mobile version