इस्लामाबाद/रावलपिंडी। पाकिस्तान के इस्लामाबाद और रावलपिंडी में रह रहे अफगान नागरिक कार्ड (एसीसी) धारकों के लिए देश छोड़ने की संघीय सरकार की समय सीमा आज समाप्त हो रही है। इसलिए दोनों शहरों में कानून प्रवर्तन अधिकारियों को आदेश दिया गया है कि वे आपराधिक गतिविधियों में संलिप्त पाए जाने वाले अफगान नागरिकों को उसके परिवारों सहित पकड़कर निर्वासित करें। रावलपिंडी के पुलिस प्रमुख ने रावल, पोटोहर और सदर डिवीजनों के अधीक्षकों को जिले में रहने या काम करने वाले अवैध अफगान नागरिकों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने का निर्देश दिया है।

डॉन अखबार की खबर के अनुसार, पुलिस को निर्देश दिया गया है कि वह किसी भी ऐसे अफगान नागरिक को हिरासत में ले जो आपराधिक गतिविधि में शामिल पाया जाता है। आदेश में सामूहिक दंड का एक रूप सुझाया गया है, जिसमें कहा गया है कि अगर परिवार का कोई भी सदस्य किसी अपराध में शामिल पाया जाता है, तो पूरा परिवार निर्वासन के लिए उत्तरदायी होगा। रावलपिंडी शहर के पुलिस अधिकारी के आदेश के बाद, सभी पुलिस स्टेशन के एसएचओ को अपने-अपने अधिकार क्षेत्र में रहने वाले अफगान नागरिकों के साथ-साथ उनके परिवारों को भी हिरासत में लेने का निर्देश दिया गया है।

एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि निर्देशों में कहा गया है कि पंजीकरण प्रमाण (पीओआर) कार्ड रखने वाले अफगान नागरिक जो जुड़वां शहरों में रह रहे हैं, उन्हें सावधान किया जाना चाहिए कि उन्हें और उनके परिवारों को सरकार की नीति के अनुसार पाकिस्तान छोड़ना होगा। पीओआर कार्डधारकों के लिए देश छोड़ने की समय सीमा 30 जून, 2025 है। हालांकि, पुलिस के आदेश में इस बारे में कोई स्पष्टता नहीं है कि क्या दस्तावेज वाले शरणार्थियों को अधिकारियों द्वारा निकाला जाएगा। पुलिस का रावलपिंडी जिले के विभिन्न हिस्सों में निवासियों की पुष्टि करने के लिए तलाशी अभियान जारी है। खासकर वे लोग जो किराए के घरों में रह रहे हैं। इस साल जनवरी में अवैध विदेशियों के खिलाफ कार्रवाई शुरू होने के बाद से, 923 अफगान नागरिकों को पकड़ा गया और गोलरा मोड़ के पास शरणार्थी केंद्र में स्थानांतरित कर दिया गया।

आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, 26 मार्च तक 923 अफगान नागरिकों को शिविर में लाया गया जिनमें से 715 को जांच के बाद रिहा कर दिया गया। कम से कम 213 को प्रत्यावर्तन के लिए तोरखम भेजा गया। 116 एसीसी धारकों के अलावा, 290 पीओआर कार्ड धारकों और 21 यूएनएचसीआर टोकन धारकों को केंद्र में हिरासत में लिया गया था। इसके अलावा, कम से कम 24 व्यक्ति जिन्होंने तीसरे देश के पुनर्वास के लिए आवेदन किया था, उन्हें भी केंद्र में लाया गया था।

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