– म्यांमार में फंसे भारतीयों को वापस लाया गया, पूछताछ के दौरान पीड़ितों ने कई बातें बतायी
लखनऊ। विदेश में अच्छी नौकरी का झांसा देकर म्यांमार बुलाकर साइबर ठगी के जाल में फंसाए गए 530 भारतीयों को दस मार्च को सकुशल भारत वापस लाया गया है। इनमें से 64 उत्तर प्रदेश के हैं, जो अन्य जिलों के रहने वाले हैं। इन लोगों से यूपी एसटीएफ, समेत सुरक्षा जांच एजेंसी की टीमों ने पूछताछ की।

भारतीय नागरिकों ने बताया कि म्यांमार में साइबर ठगी कराई जाती थी और पूरे दिन में एक भी शिकार उनके हाथ नहीं लगता था तो उन्हें कई तरह से प्रताड़ित किया जाता था। चार घंटे साेने काे और बाकी समय काम कराया जाता था। उन्होंने म्यांमार में अपने साथ हुई बर्बरता की आपबीती बयां की। कुछ लाेग ताे अपने ऊपर हुए सितम की दास्ता बयां करते हुए राेने लगते थे।

अपर पुलिस महानिदेशक (एडीजी) कानून व्यवस्था व एसटीएफ अमिताभ यश के नेतृत्व में टीमों ने म्यांमार से भारत लाए गए लोगों से पूछताछ की। इस दौरान इन लोगों ने बताया कि टेलीग्राम एवं अन्य सोशल मीडिया के माध्यम से अन्तरराष्ट्रीय संगठित गिरोह, साइबर फ्रॉड करने वाले गिरोह के सम्पर्क में आये थे। उन्हें अधिक वेतन का झांसा देकर कम्पयूटर डाट आपरेटर, कॉल हैडलर समेत कई विभिन्न प्रकार की नौकरियां बतायी गई थी। इसके लिए ऑनलाइन इंटरव्यू लिया और पास होने पर व्हाट्सएप, टेलीग्राम और मेल के जरिए नियुक्ति पत्र भेजा गया था।

बैकांक पहुंचने पर गिरोह के लोगों उन्हें म्यांमार बार्डर के एक होटल में ठहराया गया। अगले दिन गिरोह के दूसरे लोग म्यांमार थाईलैंड बार्डर की नदी पार करके एक स्थान पर ले जाया गया। यहां पर रहने के लिए हॉस्टल, ट्रेनिंग सेंटर बना रखे थे। उन लोगों के यहां पर पहुंचने पर उनके पासपोर्ट और अन्य दस्तावेज छिपा लेते थे। इसका विरोध करने वालों को तरह-तरह से प्रताड़ित किया जाता था। काम के बदले उन्हें थाई करेंसी मिलती थी, जिसे वे मनी एक्सचेंजर के जरिए अपने परिजनों को भेजते थे। भारत के अलावा कई देशों के नागरिकों को म्यांमार ले जाकर उनसे साइबर ठगी कराई जा रही है। एसटीएफ के एडीजी अमिताभ यश ने बताया कि इनसे अब तक मिली जानकारी की गहनता से जांच की जा रही है।

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