रांची। भारतीय जनता पार्टी (भा.ज.पा.) के प्रदेश अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष, बाबूलाल मरांडी ने हेमंत सोरेन सरकार पर जमकर हमला बोला है। शुक्रवार को उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर राज्य की कानून व्यवस्था और बालू के अवैध कारोबार को लेकर गंभीर आरोप लगाए।

रांची में हत्याओं पर हेमंत सरकार पर हमला
बाबूलाल मरांडी ने रांची में बीते दो दिनों में दो नृशंस हत्याओं का हवाला देते हुए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर निशाना साधा। मरांडी का कहना था कि जब राजधानी रांची में हत्याएं हो रही थीं, तब मुख्यमंत्री रमजान की इफ्तार पार्टी और ईद की बधाइयों में व्यस्त थे। उन्होंने सरकार से इन हत्याओं की जिम्मेदारी लेने की मांग की और कहा कि राज्य में अपराधी इतने बेकाबू हो गए हैं कि आम जनता की जान जोखिम में है।

मरांडी ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की ओर से पोषित अपराधियों के चलते लोग असमय काल के गाल में समा रहे हैं। उनका कहना था कि समाज की हालत इतनी खराब हो गई है कि महिलाएं विधवा हो रही हैं, बच्चे अनाथ हो रहे हैं, और पूरे परिवार उजड़ जा रहे हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री से कानून व्यवस्था को सुधारने की अपील की और चेतावनी दी कि अगर सरकार एक्शन नहीं लेती, तो विपक्ष भी इसे लेकर कड़ा प्रतिरोध करेगा।

बालू के अवैध कारोबार पर भी सवाल
बाबूलाल मरांडी ने झारखंड में बालू की किल्लत और उसकी बढ़ती कीमतों को लेकर सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने आरोप लगाया कि बालू के अवैध कारोबार में सरकार, खनन माफिया, ट्रांसपोर्टर, अधिकारियों और दलालों की मिलीभगत है। मरांडी का कहना था कि रांची में निर्माण कार्य के लिए उपयोग होने वाला बालू सिल्ली, बुंडू और सोनाहातू से लाया जाता है, और यहां से निकलने पर इसकी कीमत लगभग 5,000 रुपये होती है, लेकिन रांची पहुंचते-पहुंचते यह कीमत 45,000 रुपये तक पहुंच जाती है।

उन्होंने कहा कि यह नौ गुना बढ़ोतरी यह साबित करती है कि बालू का कारोबार एक संगठित अवैध गतिविधि बन चुका है। मरांडी ने आरोप लगाया कि बालू घाटों पर अवैध एंट्री, परिवहन के दौरान अवैध पासिंग और ब्लैक मार्केटिंग के माध्यम से भारी रकम वसूली जा रही है।

ईडी से हस्तक्षेप की मांग
मरांडी ने इस मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) से हस्तक्षेप की मांग करते हुए कहा कि झारखंड में चल रहे इस हजारों करोड़ रुपये के अवैध बालू कारोबार को ध्वस्त किया जाए, ताकि आम जनता को सस्ती कीमत पर पर्याप्त बालू उपलब्ध हो सके और सरकार को होने वाले राजस्व नुकसान को भी कम किया जा सके।

ज्ञात हो कि झारखंड में लगभग 440 बालू घाट हैं, लेकिन इनमें से केवल 31 कानूनी रूप से संचालित हैं। इससे राज्य में बालू की किल्लत और मूल्यवृद्धि की समस्या बढ़ गई है।

बाबूलाल मरांडी के ये आरोप झारखंड की राजनीति में एक नई बहस को जन्म दे सकते हैं, क्योंकि राज्य में अपराध और अवैध कारोबार से जुड़ी समस्याएं गंभीर होती जा रही हैं।

Share.
Leave A Reply

Exit mobile version