जमशेदपुर। जुगसलाई थाने में बागबेड़ा के रहने वाले सैनिक सूरज राय और उनके चचेरे भाई विजय राय के साथ हुई अभद्रता, मारपीट और जेल भेजे जाने के मामले की उच्च स्तरीय जांच होगी। डीजीपी अनुराग गुप्ता ने बुधवार को इस मामले में जांच के आदेश दिये हैं। डीजीपी ने कोल्हान डीआइजी मनोज रतन चौथे को आदेश दिया है कि वह मामले की जांच (अनुसंधान) करें। जांच के दौरान जो भी पुलिसकर्मी इस मामले में दोषी पाये जाते हैं। उन पर कड़ी कार्रवाई की जायेगी।

सैनिक कानून तोड़े तो आर्मी यूनिट को सौंपें
डीजीपी ने सैनिक को जेल भेजने की घटना पर कहा कि देश का सैनिक जेल जाये यह दुख का विषय है। यह नहीं होना चाहिए। अगर कोई फौजी कानून तोड़ता है तो पुलिस को चाहिए कि नजदीक के आर्मी यूनिट को इसकी सूचना दें और सैनिक को आर्मी यूनिट को सौंप दें। सेना अपने नियमों के अनुसार सैनिक पर कार्रवाई करेगी

अखनूर में हवलदार के पद पर तैनात हैं सूरज राय
सूरज राय कश्मीर के अखनूर में सेना के हवलदार के पद पर तैनात हैं। विजय राय उनके चचेरे भाई हैं। सूरज राय के परिजनों का आरोप है कि जुगसलाई थाने की गाड़ी चलाने वाले छोटू नाम के युवक से विजय राय का विवाद हुआ था। पुलिस ने 14 मार्च को विजय राय को जुगसलाई थाना बुलाया था। मामले की जानकारी लेने के लिए सूरज राय भी उनके साथ चले गये। सूरज राय को देखते ही पुलिसकर्मी आग बबूला हो गये। सूरज राय और विजय राय के साथ थाने में अभद्रता की गयी। परिजनों का आरोप है कि सूरज राय के साथ मारपीट भी की गयी। बाद में दोनों को जेल भेज दिया गया था। हालांकि मंगलवार को सूरज राय जमानत पर छूट गये हैं।

पूर्व सैनिक संघ ने पुलिस की कार्रवाई पर उठाये सवाल
इस मामले में अखिल भारतीय पूर्व सैनिक सेवा परिषद ने विरोध जताते हुए जुगसलाई थाना और उपायुक्त कार्यालय में प्रदर्शन किया था। संघ ने कहा कि 14 मार्च को जुगसलाई थाना के ड्राइवर छोटू बिल्ला से विवाद हुआ था। इसके बाद थाना प्रभारी ने फौजी को बुलाकर शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया और बिना उचित कानूनी प्रक्रिया के हथकड़ी लगाकर जेल भेज दिया। पूर्व सैनिकों ने इस कार्रवाई को गलत बताते हुए कहा कि सेना के जवान को गिरफ्तार करने से पहले उसकी यूनिट (जम्मू) या स्थानीय सेना इकाई को सूचित करना होता है, लेकिन पुलिस ने नियम का उल्लघंन किया है।

पूर्व सैनिकों ने की थी ये मांग
पूर्व सैनिकों ने मांग की थी कि सूरज राय को बिना शर्त तत्काल रिहा किया जाये और मामले की न्यायिक जांच करायी जाये। इसके अलावा सेना के जवान पर लगे झूठे आरोप को हटाने और दोषी पुलिसकर्मियों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई करने की भी मांग की गयी थी। पूर्व सैनिकों ने भविष्य में सैन्य कर्मियों से जुड़े मामलों में उचित प्रोटोकॉल का पालन सुनिश्चित करने की मांग की थी।

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