नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भारत को वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए विकास इंजन बताते हुए मंगलवार को कहा कि आज दुनिया का हर देश भारत के साथ अपनी आर्थिक साझेदारी को मजबूत करना चाहता है। उन्होंने कहा कि हमारे विनिर्माण क्षेत्र को इन साझेदारियों का लाभ उठाने के लिए अधिक से अधिक पहल करनी चाहिए।

प्रधानमंत्री वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) क्षेत्र पर बजट के बाद वेबिनार को संबोधित करते कर रहे थे। उन्होंने कहा कि विनिर्माण और निर्यात पर ये बजट वेबिनार हर दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण है। ये बजट हमारी सरकार के तीसरे कार्यकाल का पहला पूर्ण बजट था। इस बजट की सबसे खास बात रही, अपेक्षाओं से अधिक डिलीवरी। कई क्षेत्र ऐसे हैं जहां विशेषज्ञों ने भी जितनी अपेक्षाएं की थीं, सरकार ने उससे अधिक कदम उठाए हैं।

उन्होंने कहा कि किसी भी देश में विकास के लिए स्थिर नीति और अच्छा कारोबारी माहौल बहुत जरूरी है। कुछ साल पहले हम जन विश्वास अधिनियम लेकर आए। हमने अनुपालन को कम करने की कोशिश की। केंद्र और राज्य स्तर पर 40 हजार से अधिक अनुपालन समाप्त किए गए। इससे व्यापार करने में आसानी हुई। हमने सरलीकृत आयकर की अवधारणा पेश की। हम जनविश्वास 2.0 विधेयक पर काम कर रहे हैं। गैर-वित्तीय क्षेत्र के नियमों की समीक्षा के लिए, हमने एक समिति बनाने का फैसला किया है। हम उन्हें आधुनिक, लोगों के अनुकूल और कार्य-आधारित बनाना चाहते हैं।

उन्होंने कहा कि हमने आत्मनिर्भर भारत के विजन को आगे बढ़ाया और सुधारों की अपनी गति को और तेज किया। हमारे प्रयासों से अर्थव्यवस्था पर कोविड का प्रभाव कम हुआ। इससे भारत को तेज गति से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बनाने में मदद मिली। उन्होंने कहा, “जब कोविड-19 महामारी के दौरान वैश्विक अर्थव्यवस्था धीमी हो गई तो भारत ने वैश्विक विकास को गति दी। यह आसानी से नहीं हुआ। हमने अपने सुधारों की गति को तेज किया और आत्मनिर्भर भारत के विजन की दिशा में काम किया। हमारे प्रयासों से कोविड-19 का हमारी अर्थव्यवस्था पर न्यूनतम प्रभाव पड़ा। आज भी भारत वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए विकास का इंजन है।”

प्रधानमंत्री ने कहा कि आज 14 क्षेत्रों को पीएलआई योजना का फायदा मिल रहा है। इस योजना के तहत 7.5 करोड़ यूनिट को मंजूरी दी गई है। इससे 1.5 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का निवेश आया है, 13 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का प्रोडक्शन हुआ है और पांच लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का एक्सपोर्ट हुआ है। उन्होंने कहा कि भारत की मैन्युफैक्चरिंग यात्रा में आरएडंडी का अहम योगदान है। इसे और आगे बढ़ाने और गति देने की आवश्यकता है। आरएडंडी के द्वारा हम इनोवेटिव प्रोडक्ट्स पर फोकस कर सकते हैं, साथ ही प्रोडक्ट्स में वैल्यू एडिशन कर सकते हैं।

उन्होंने कहा कि आज देश में एमएसएमई की संख्या बढ़कर 6 करोड़ से ज्यादा हो गई है। इससे करोड़ों लोगों को रोजगार के अवसर मिले हैं। इस बजट में एमएसएमई की परिभाषा को फिर विस्तार किया है, ताकि हमारे एमएसएमई को निरंतर आगे बढ़ते रहने का विश्वास मिले। इससे युवाओं के लिए और ज्यादा रोजगार के अवसर तैयार होंगे।

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