कोलकाता। पड़ोसी देश बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों पर बढ़ते हमलों की पृष्ठभूमि में इस वर्ष पश्चिम बंगाल में रामनवमी का आयोजन बड़े पैमाने पर होने जा रहा है। हिंदू संगठनों ने इस वर्ष रामनवमी जुलूसों की संख्या में कम से कम 25 फीसदी की वृद्धि करने का लक्ष्य रखा है।
राज्य में रामनवमी सहित विभिन्न हिंदू त्योहारों का आयोजन मुख्य रूप से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से जुड़े संगठन हिंदू जागरण मंच द्वारा किया जाता है। इसके अलावा, विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) भी इस आयोजन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
संघ परिवार से जुड़े सूत्रों के अनुसार, पिछले वर्ष बंगाल में छोटे-बड़े मिलाकर लगभग 815 रामनवमी जुलूस निकले थे, जबकि इस वर्ष यह संख्या एक हजार से अधिक होने की संभावना है।
हिंदू जागरण मंच के प्रवक्ता कमलेश पांडे ने कहा कि हर साल रामनवमी उत्सव का विस्तार हो रहा है। पिछले वर्ष कई स्थानों पर भगवान श्रीराम की पूजा के साथ जुलूस निकले थे। इस बार यह आयोजन और व्यापक होगा। हिंदू समाज पर बढ़ते हमलों को देखते हुए लोग अब अधिक संगठित हो रहे हैं। हमारा अनुमान है कि इस बार कम से कम 25 फीसदी अधिक जुलूस निकलेंगे।
संघ से जुड़े एक अन्य नेता ने कहा कि वे सीधे रामनवमी आयोजनों में भाग नहीं लेते, लेकिन इस कार्यक्रम की योजना और रूपरेखा तैयार करने में उनकी भूमिका रहती है। इस वर्ष भी संघ ने बंगाल के हिंदुओं से रामनवमी के दिन अधिक संख्या में बाहर निकलने का आह्वान किया है।
संघ के पूर्वी क्षेत्र के सह-प्रचार प्रमुख जिष्णु बोस ने कहा कि रवींद्रनाथ टैगोर ने कहा था कि भारत के अन्य राज्यों के लोग अपने व्यक्तिगत जीवन से लेकर युद्ध तक भगवान श्रीराम का अनुसरण कर खुद को तैयार करते हैं, लेकिन बंगाली समाज ऐसा करने में पीछे रह गया। अब बांग्लादेश की स्थिति को देखकर हर बंगाली को रामनवमी के दिन खुद को तैयार करना चाहिए और संकल्प लेना चाहिए।