Close Menu
Azad SipahiAzad Sipahi
    Facebook X (Twitter) YouTube WhatsApp
    Thursday, September 11
    • Jharkhand Top News
    • Azad Sipahi Digital
    • रांची
    • हाई-टेक्नो
      • विज्ञान
      • गैजेट्स
      • मोबाइल
      • ऑटोमुविट
    • राज्य
      • झारखंड
      • बिहार
      • उत्तर प्रदेश
    • रोचक पोस्ट
    • स्पेशल रिपोर्ट
    • e-Paper
    • Top Story
    • DMCA
    Facebook X (Twitter) Instagram
    Azad SipahiAzad Sipahi
    • होम
    • झारखंड
      • कोडरमा
      • खलारी
      • खूंटी
      • गढ़वा
      • गिरिडीह
      • गुमला
      • गोड्डा
      • चतरा
      • चाईबासा
      • जमशेदपुर
      • जामताड़ा
      • दुमका
      • देवघर
      • धनबाद
      • पलामू
      • पाकुर
      • बोकारो
      • रांची
      • रामगढ़
      • लातेहार
      • लोहरदगा
      • सरायकेला-खरसावाँ
      • साहिबगंज
      • सिमडेगा
      • हजारीबाग
    • विशेष
    • बिहार
    • उत्तर प्रदेश
    • देश
    • दुनिया
    • राजनीति
    • राज्य
      • मध्य प्रदेश
    • स्पोर्ट्स
      • हॉकी
      • क्रिकेट
      • टेनिस
      • फुटबॉल
      • अन्य खेल
    • YouTube
    • ई-पेपर
    Azad SipahiAzad Sipahi
    Home»Top Story»राज्य सरकार की असफल नीतियों से शिक्षा व्यवस्था चौपट: राफिया नाज
    Top Story

    राज्य सरकार की असफल नीतियों से शिक्षा व्यवस्था चौपट: राफिया नाज

    shivam kumarBy shivam kumarMarch 24, 2025Updated:March 24, 2025No Comments3 Mins Read
    Facebook Twitter WhatsApp Telegram Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Share
    Facebook Twitter WhatsApp Telegram LinkedIn Pinterest Email

    सरकारी स्कूलों में घट रही छात्रों की संख्या
    रांची। झारखंड में शिक्षा के स्तर में निरंतर गिरावट और सरकारी स्कूलों में छात्रों की संख्या में कमी को लेकर भाजपा प्रदेश प्रवक्ता राफिया नाज ने राज्य सरकार की नीतियों पर कड़ी आलोचना की। राफिया ने कहा कि पिछले तीन वर्षों में लगभग नौ लाख छात्रों की संख्या घटने से राज्य के भविष्य पर गहरा संकट आ खड़ा हुआ है। राफिया ने कहा, पिछले तीन वर्षों में राज्य के सरकारी स्कूलों में छात्रों की संख्या में लगभग नौ लाख की कमी आयी है। यह स्थिति न केवल झारखंड के विकास को प्रभावित कर रही है, बल्कि हमारे बच्चों के उज्जवल भविष्य पर भी सवालिया निशान लगा रही है, साथ ही राज्य सरकार की नाकामी को भी उजागर कर रही है।

    उन्होंने बताया कि यूनिफाइड डिस्ट्रिक्ट इंफारमेशन सिस्टम फॉर एडुकेशन प्लस रिपोर्ट के अनुसार, 2021-2022 में जहां 79,70,050 बच्चे नामांकित थे, वहीं 2022-23 में यह घटकर 72,09,261 और 2023-24 में केवल 70,97,545 रह गये हैं। इस गिरावट के पीछे कई कारण हैं, जिनमें शिक्षकों की कमी, स्कूलों में सुविधाओं का अभाव और शिक्षा के लिए बजट में की गयी कटौती प्रमुख कारण हैं।

    राफिया नाज ने कहा कि झारखंड के सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की भारी कमी ने स्थिति को और गंभीर बना दिया है। राज्य के 7,642 स्कूलों में से कई स्कूलों में केवल एक शिक्षक के भरोसे पूरे स्कूल की पढ़ाई चल रही है। इन स्कूलों में 3.78 लाख छात्र पढ़ाई कर रहे हैं, जिनका शैक्षिक भविष्य केवल एक शिक्षक की मेहनत पर निर्भर है। यह न केवल शिक्षा के अधिकार का उल्लंघन है, बल्कि राज्य सरकार की नाकामी का भी स्पष्ट उदाहरण है।

    इसके अतिरिक्त उन्होंने कहा, राज्य के कई स्कूलों में बच्चों की संख्या इतनी कम हो गयी है कि 2863 स्कूलों में 25 से भी कम छात्र नामांकित हैं। कई स्कूलों में तो एक भी बच्चा नामांकित नहीं है। यह स्थिति सरकारी नीतियों की विफलता को दर्शाती है। झारखंड के प्रमुख जिलों जैसे रांची, गुमला, पूर्वी सिंहभूम, पश्चिमी सिंहभूम, खूंटी, साहिबगंज, हजारीबाग, धनबाद, दुमका और बोकारो में ऐसे स्कूलों की संख्या ज्यादा है, जहां छात्रों की संख्या 25 से भी कम है। रांची में 350, गुमला में 250, पूर्वी सिंहभूम में 200 और दुमका में 200 स्कूल ऐसे हैं, जहां छात्रों की संख्या चिंताजनक स्तर तक गिर चुकी है।

    उन्होंने कहा कि शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य की दृष्टि से भी छात्रों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। झारखंड में लाखों छात्राओं को मासिक धर्म के दौरान सेनेटरी पैड की कमी के कारण कक्षा छोड़नी पड़ती है। यह समस्या शिक्षा में एक बड़ी रुकावट का कारण बनती है, क्योंकि सेनेटरी पैड की अनुपलब्धता के कारण कई छात्राएं पेट दर्द के चलते स्कूल छोड़ देती हैं। यह राज्य सरकार की नाकामी को दर्शाता है, क्योंकि इस मुद्दे पर अब तक कोई ठोस नीति नहीं बनायी गयी है और छात्राओं को विद्यालय में सैनिटरी पैड्स उपलब्ध कराने में भी सरकार असफल है, जो कि यह बहुत बड़ी चिंता का विषय है।

    राफिया ने कहा, राज्य सरकार जिÞलों में लाइब्रेरी खुलवाने की बात कर रही है पर राज्य के सरकारी स्कूलों में बच्चों को समय पर किताबें भी नहीं मिल पा रही हैं। खासकर कक्षा 11 और 12 के विद्यार्थियों को किताबों की कमी का सामना करना पड़ रहा है, जो शिक्षा की गुणवत्ता पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है और दूसरी तरफ सरकारी स्कूल के बच्चों को मुफ़्त में साइकिल बांटने का झूठा दावा हास्यपद है।

    उन्होंने कहा कि शिक्षा बजट में कटौती भी एक और गंभीर समस्या है। झारखंड सरकार ने शिक्षा के बजट में भारी कटौती की है, जो राज्य में शिक्षा के स्तर को और गिरा देगा।

    Share. Facebook Twitter WhatsApp Telegram Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Previous Articleआईपीएल 2025: चेन्नई में रचिन रविंद्र ने देखा एमएस धोनी के फैंस का जुनून
    Next Article ईशान किशन ने वापसी में दिखाया दम: आईपीएल 2025 में शतक से की यादगार शुरुआत
    shivam kumar

      Related Posts

      झारखंड हाइकोर्ट का बड़ा फैसला: मुख्य सचिव समेत तीन अधिकारियों को अवमानना नोटिस

      September 10, 2025

      सीएम हेमंत सोरेन ने दिवंगत दुर्गा सोरेन को दी श्रद्धांजलि, कहा- आंदोलन के मजबूत स्तंभ थे

      September 10, 2025

      इस्लामनगर के लॉज से पकड़ा गया आईएसआईएस से जुड़ा आतंकी, रांची-पलामू में छापेमारी

      September 10, 2025
      Add A Comment

      Comments are closed.

      Recent Posts
      • मोदी और ट्रंप जल्द कर सकते हैं टैरिफ मुद्दे पर बातचीत, व्यापार समझौते की उम्मीद
      • ‘बागी 4’ की कमाई में आई गिरावट, बॉक्स ऑफिस पर धीमी होती रफ्तार
      • अक्षय और अरशद की ‘जॉली एलएलबी 3’ का धमाकेदार ट्रेलर हुआ रिलीज
      • भारत की अर्थव्यवस्था मजबूत, फिच ने जीडीपी अनुमान बढ़ाकर 6.9% किया
      • नालंदा में जल निकाय गणना को लेकर प्रशिक्षण आयोजित, सिंचाई योजनाओं पर दिया गया जोर
      Read ePaper

      City Edition

      Follow up on twitter
      Tweets by azad_sipahi
      Facebook X (Twitter) Instagram Pinterest
      © 2025 AzadSipahi. Designed by Microvalley Infotech Pvt Ltd.

      Type above and press Enter to search. Press Esc to cancel.

      Go to mobile version