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कांग्रेस में रह कर भाजपा के लिए काम करनेवाले लोगों की कब होगी पहचान
यह राहुल गांधी या के राजू की साफगोई नहीं, कमजोर होती पकड़ का परिचायक है
नमस्कार। आजाद सिपाही विशेष में आपका स्वागत है। मैं हूं राकेश सिंह।
कांग्रेस के युवराज और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी दो दिन पहले गुजरात के दौरे पर अहमदाबाद गये थे। इस दौरान वह अपनी ही पार्टी के नेताओं पर बुरी तरह बिफरे। उन्होंने अपनी ही पार्टी को निशाने पर लिया और यहां तक कह दिया कि 10 से 40 लोगों को निकालना पड़ेगा, तो पार्टी से निकाल दो। उन्होंने साफ-साफ कहा कि गुजरात में कांग्रेस के कुछ लोग भाजपा के लिए काम कर रहे हैं। ऐसे लोगों को पहचानना जरूरी है। इतना ही नहीं, उन्होंने पार्टी नेतृत्व पर भी सवाल किया और कहा कि कांग्रेस बारात के घोड़े को रेस में उतार देती है और रेस के घोड़े को बारात में। उनके बयान से कांग्रेस में सन्नाटा पसरा हुआ है। राहुल गांधी के बयान के 24 घंटे बाद झारखंड में कांग्रेस के प्रभारी के राजू ने भी कुछ ऐसी ही बात कही। उन्होंने कह दिया कि झारखंड कांग्रेस के भीतर भाजपा का स्लीपर सेल सक्रिय है। पार्टी के कुछ नेता भाजपा के लिए काम कर रहे हैं। इनके खिलाफ कार्रवाई होगी। राहुल गांधी और के राजू के लगभग एक जैसे बयान ने जहां कांग्रेस के भीतर की स्थिति को दुनिया के सामने ला दिया है, वहीं पार्टी नेतृत्व की कमजोरियों को उजागर कर दिया है। चाहे गुजरात हो या झारखंड या फिर कोई और राज्य, कांग्रेस का संगठन कहीं भी पटरी पर नहीं है। दक्षिण भारत के अलावा कांग्रेस के लिए अब कोई जगह नहीं बची है। ऐसे में लोग सवाल कर रहे हैं कि आखिर राहुल गांधी अपनी ही पार्टी की कमजोरियां दुनिया के सामने लाकर क्या हासिल करना चाहते हैं। वास्तव में उनका और राजू का बयान कांग्रेस को ही नुकसान पहुंचाने वाला साबित हो सकता है। क्या हैं राहुल गांधी और के राजू के बयान के मायने और क्या हो सकता है कांग्रेस पर इसका असर, बता रहे हैं आजाद सिपाही के विशेष संवाददाता राकेश सिंह।
2024 के आम चुनाव में 99 सीटें जीत कर लोकसभा में विपक्ष के नेता बने राहुल गांधी इन दिनों विद्रोही रवैया अख्तिायार किये हुए हैं। उनकी देखा-देखी कांग्रेस के झारखंड प्रभारी के राजू भी कुछ इसी तरह का स्टैंड ले रहे हैं। कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने दो दिन पहले अपने अहमदाबाद दौरे के दौरान पार्टी की गुजरात इकाई के कुछ नेताओं को चेतावनी दी। उन्होंने आरोप लगाया कि वे भाजपा के लिए काम कर रहे हैं। राहुल गांधी ने कहा कि भाजपा शासित राज्य में कांग्रेस को मजबूत करने के लिए अगर जरूरत पड़ी, तो 30-40 नेताओं को हटाने के लिए वह तैयार हैं।
क्या कहा राहुल गांधी ने
राहुल गांधी ने अहमदाबाद में एक कार्यक्रम में पार्टी कार्यकर्ताओं से कहा, अगर हमें गुजरात के लोगों से जुड़ना है, तो हमें दो काम करने होंगे। पहला काम वफादारों और बागियों के ग्रुप को अलग करना है। अगर हमें 10, 15, 20, 30, 40 लोगों को भी हटाना पड़े, तो हम एक उदाहरण स्थापित करने के लिए ऐसा करने के लिए तैयार हैं। उन्होंने कहा कि पिछले करीब 30 सालों से हम यहां सरकार में नहीं हैं। जब तक हम अपनी जिम्मेदारी को पूरा नहीं करेंगे, तब तक गुजरात की जनता हमें चुनाव में विजयी नहीं बनायेगी। जिस दिन हमने अपनी जिम्मेदारी पूरी कर दी, उसी दिन गुजरात के सभी लोग कांग्रेस पार्टी को अपना समर्थन दे देंगे।
राहुल गांधी यहीं नहीं रुके। उन्होंने कहा कि इस समय कांग्रेस दो गुटों में बंट चुकी है। एक गुट पार्टी के साथ खड़ा है। उसमें कांग्रेस की विचारधारा है, लेकिन जो दूसरा गुट है, वह जनता से दूर है। वहां भी आधे लोग तो भाजपा से मिले हुए हैं। जब तक इन लोगों को अलग नहीं कर देते, गुजरात की जनता हम पर विश्वास नहीं करने वाली है। राहुल गांधी यह भी मानते हैं कि गुजरात की कांग्रेस इस समय रेस का घोड़ा नहीं है, बल्कि वह बारात का घोड़ा बनकर रह गयी है। इसी वजह जनता उनका भरोसा नहीं कर पा रही।
राहुल गांधी ने बाद में सोशल मीडिया पर लिखा, कांग्रेस पार्टी को मूल नेतृत्व गुजरात ने दिया, जिसने हमें सोचने, लड़ने और जीने का तरीका सिखाया। गांधीजी के बिना कांग्रेस पार्टी देश को आजादी नहीं दिलवा पाती और गुजरात के बिना गांधी जी नहीं होते। उनके एक कदम पीछे, गुजरात ने हमें सरदार पटेल जी को दिया। आज वही गुजरात रास्ता ढूंढ़ रहा है। यहां के छोटे व्यापारी, उद्यमी, किसान – सब संकट में हैं। गुजरात नया विकल्प चाह रहा है, लेकिन कांग्रेस पार्टी उसे दिशा नहीं दिखा पा रही है। यह सच्चाई है, और इसे कहने में मुझे कोई शर्म या डर नहीं है। हमें कांग्रेस की उसी विचारधारा पर लौटना होगा, जो गुजरात की विचारधारा है।
कांग्रेस का गुजरात में प्रदर्शन
वैसे राहुल गांधी का ऐसा इसलिए बोलना पड़ा है, क्योंकि पिछले कई विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा है। पिछले चुनाव की बात करें, तो भाजपा ने 156 सीटें जीतकर सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया था, वहीं कांग्रेस ने सबसे खराब प्रदर्शन करते हुए मात्र 17 सीटें जीती थीं। इसके ऊपर कई नेताओं का पार्टी छोड़ देना भी कांग्रेस को राज्य में कमजोर कर गया है। ऐसे में अब राहुल गांधी पूरी कोशिश कर रहे हैं कि गुजरात कांग्रेस को फिर एकजुट किया जाये।
क्या कहा झारखंड प्रभारी ने
राहुल गांधी के बयान के अगले ही दिन झारखंड कांग्रेस के प्रभारी के राजू ने भी कुछ इसी तरह की बात कही। उन्होंने कहा कि कांग्रेस में कई ऐसे कार्यकर्ता हैं, जो स्लीपर सेल की तरह भाजपा के लिए काम कर रहे हैं। ऐसे लोगों की पहचान की जा रही है और उनके खिलाफ कार्रवाई भी की जायेगी।
राहुल और राजू ने ऐसा क्यों कहा
अब यहां सवाल उठता है कि राहुल गांधी और के राजू ने इस तरह की बातें क्यों की। दरअसल इसकी पृष्ठभूमि करीब 10 दिन पहले तिरुवनंतपुरम के सांसद शशि थरूर द्वारा पार्टी नेतृत्व को दी गयी चुनौती के बाद तैयार हो गयी थी। शशि थरूर ने पार्टी नेतृत्व से कहा था कि पार्टी में उनके लिए कोई काम नहीं है। यदि उनके लिए कोई भूमिका नहीं है, तो उन्हें बता दिया जाये। फिर वह अपना आगे का रास्ता तलाशेंगे। थरूर के इस बयान के बाद कांग्रेस के भीतर से यह आवाज उठी कि ऐसे नेताओं को पार्टी को बर्दाश्त नहीं किया जाना चाहिए। थरूर वही नेता हैं, जिन्होंने सोनिया गांधी-राहुल गांधी की पसंद के प्रत्याशी मल्लिकार्जुन खड़गे के खिलाफ पार्टी अध्यक्ष का चुनाव लड़ा था।
क्या होगा इन बयानों का असर
राहुल गांधी और के राजू के बयानों का तत्काल तो कोई खास असर नहीं दिख रहा है, लेकिन कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने जरूर यह कह दिया है कि आखिर राहुल गांधी पार्टी के भीतर सक्रिय भाजपा स्लीपर सेल को कब बाहर निकालेंगे। दिग्विजय सिंह का बयान बताता है कि कांग्रेस पार्टी के भीतर अब राहुल गांधी और के राजू के बयानों का गंभीरता से विश्लेषण किया जा रहा है। कांग्रेस की अंदरूनी राजनीति पर निगाह रखनेवाले बताते हैं कि इन बयानों से दरअसल पार्टी को ही नुकसान हुआ है। राहुल गांधी या के राजू को अपने ही नेताओं पर खुलेआम संदेह व्यक्त करने से पहले सोचना चाहिए था। अभी पार्टी को महाराष्ट्र, हरियाणा और दिल्ली में बुरी तरह हार का सामना करना पड़ा है। आगे बिहार का चुनाव है। ऐसे में यदि अपनी ही पार्टी को कटघरे में खड़ा किया जायेगा, तो उसका परिणाम क्या होगा, यह सभी जानते हैं।